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			| शब्द का अर्थ |  
				| धर्मार्थ 					 : | वि० [धर्म-अर्थ, ब० स०] १. धार्मिक कार्यों के लिए अलग किया या निकाला हुआ (धन)। २. (कार्य) जो धर्म, परोपकार, पुण्य आदि की दृष्टि से किया जाए। क्रि० वि० केवल धर्म, अर्थात परोपकार या पुण्य के उद्देश्य या विचार से। जैसे—वे हर महीने १॰., धर्माथ देते हैं। पुं० धार्मिक दृष्टि से किया हुआ दान। |  
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				| धर्मार्थी (र्थिन्) 					 : | पुं० [धर्म-अर्थिन, ष० त०] वह जो धर्म और उसके फल की इच्छा या कामना रखता हो। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
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