| शब्द का अर्थ | 
					
				| धंध 					 : | पुं० [सं० द्वंद्व] झंझट। बखेड़ा।a | 
			
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				| धंधक 					 : | पुं० [हिं० धंधा] झंझट। बखेड़ा। पुं० [?] एक प्रकार का ढोल। | 
			
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				| धंधक-धेरी 					 : | पुं०=धंधक-धोरी। | 
			
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				| धंधक-धोरी 					 : | पुं० [हिं० धंधक+धोरी] सांसारिक झंझटों या बखेड़ों में फँसा रहनेवाला व्यक्ति। | 
			
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				| धँधका 					 : | पुं० [देश०] [स्त्री० अल्पा धँधकी] एक प्रकार का ढोल। | 
			
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				| धँधरक 					 : | पुं० [हिं० धंधा] काम-धंधे का जंजाल, बखेड़ा या बोझ। | 
			
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				| धँधरक-धोरी 					 : | पुं०=धंधक-धोरी। | 
			
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				| धंधला 					 : | पुं० [हिं० धाँधल] १. कपटपूर्ण आचरण या व्यवहार। छल-छंद। २. आडंबर। ढोंग। ३. बहाना। मिस। हीला। (स्त्रियाँ)। ४. दे० ‘धाँधली’। | 
			
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				| धँधलाना 					 : | अ० [हिं० धँधला] १. छल छंद करना। ढंग रचना। अ० [हिं० धाँधली] १. धाँधली करना। २. जल्दी मचाना। | 
			
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				| धंधा 					 : | पुं० [सं० धन-धान्य] १. वह उद्योग या कार्य जो जीविका-निर्वाह के लिए किया जाय। जैसे—अब उन्होंने वकालत (या वैद्यक) का धंधा छोड़ दिया है। २. व्यवसाय। व्यापार। ३. ऐसा काम जिसमें कुछ समय तक लगा रहना पड़े। जैसे—घर का भी कुछ धंधा किया करो। ३. दूसरों का चौका-बरतन करने की नौकरी। पुं०=द्वंद्व (राज०)।a | 
			
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				| धँधार 					 : | स्त्री० [हिं० धूँआ] १. आग की लपट। २. बहुत अधिक मानसिक संताप। वि० अकेला। एकाकी।a पुं० भारी लकड़ियाँ, पत्थर आदि उठाने के काम आनेवाला लकड़ी का एक तरह का लंबा डंडा। | 
			
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				| धंधारि 					 : | स्त्री० १.=धँधार। २.=धंधारी।b | 
			
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				| धंधारी 					 : | स्त्री० [हिं० धंधा] गोरखपंथी साधुओं का गोरख धंधा। स्त्री० [?] १. अकेलापन। २. एकान्त या सुनसान स्थान। ३. निस्तब्धता। सन्नाटा। | 
			
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				| धंधाला 					 : | स्त्री० [हिं० धंधा] कुटनी। दूती। | 
			
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				| धंधालू 					 : | वि० [हिं० धंधा] जो किसी काम या धंधे में लगा रहता हो। | 
			
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				| धँधेरा 					 : | पुं० [देश०] राजपूतों की एक जाति। | 
			
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				| धँधौरा 					 : | पुं० [अनु० धाँय-धाँय=आग दहकने का शब्द] १. होलिका। होली। २. आग की लपट। ज्वाला। | 
			
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