शब्द का अर्थ
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					द्रु					 :
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					पुं० [सं०√द्रु+डु] १. वृक्ष। पेड़। २. वृक्ष की शाखा। पेड़ की डाल।				 | 
			
			
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					द्रु-किलिम					 :
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					पुं० [सं०√किल् (श्वेत होना)+किमच्, द्रु-किलिम, स० त०] देवदारु।				 | 
			
			
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					द्रु-सल्लक					 :
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					पुं० [सं० स० त०] चिरौंजी का पेड़।				 | 
			
			
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					द्रुग्ग					 :
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					पुं०=दुर्ग।				 | 
			
			
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					द्रुग्ध					 :
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					भू० कृ० [सं०√द्रुह (दोह)+क्त] जिसके विरुद्ध षडयंत्र रचा गया हो। २. जिसे द्वेष आदि के कारण हानि पहुँचाई गई हो।				 | 
			
			
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					द्रुघण					 :
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					पुं० [सं० द्रु√हन् (मारना)+अप्, घनादेश, णत्व] १. लोहे का मुग्दर। २. कुठार। कुल्हाड़ा। ३. परशु या फरसे की तरह का एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ४. भू-चंपा। ५. ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					द्रुण					 :
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					पुं० [सं०+द्रुण (हिंसा)+क] १. धनुष। कमान। २. खड्ग। तलवार। ३. बिच्छू। ४. भृंगी नाम की कीड़ा।				 | 
			
			
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					द्रुणा					 :
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					स्त्री० [सं० द्रण+अच्—टाप्] धनुष की डोरी। ज्या।				 | 
			
			
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					द्रुणी					 :
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					स्त्री० [सं०√द्रुण+इन्—ङीष्] १. मादा कछुआ। कछुई। २. कन-खजूरा। ३. कठवत। कठौता।				 | 
			
			
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					द्रुत					 :
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					वि० [सं०√द्रु+क्त] १. पिघला हुआ। २. शीघ्रतापूर्वक और वेग से आगे बढ़ने या कोई काम करनेवाला। ३. जो भागकर बच निकला हो। ४. (संगीत में स्वर, लय आदि) जिसकी गति साधारण की अपेक्षा द्रुत हो। जैसे—द्रुत लय या द्रुत विलंबित। क्रि० वि० जल्दी। शीघ्र। उदा०—फिर तुम तम में, मैं प्रियतम में हो जावें द्रुत अंतर्धान।—पंत। पुं० १. बिच्छू। २. बिल्ली। ३. वृक्ष। पेड़। ४. संगीत में उतने समय का आधा जितना साधारणतः एक मात्रा का होता या माना जाता है। लेखन में इसका चिह्न है। ५. संगीत में, गाने की वह लय जो मध्यम से भी कुछ और तीव्र होती है।				 | 
			
			
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					द्रुत-गति					 :
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					वि० [ब० स०] जल्दी या तेज चलनेवाला। शीघ्रगामी।				 | 
			
			
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					द्रुत-त्रिताली					 :
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					स्त्री०=जल्द तिताला (ताल)।				 | 
			
			
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					द्रुत-पद					 :
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					पुं० [कर्म० स०] १. शीघ्रगामी चरण। २. १२-१२ अक्षरों के चार चरणोंवाला एक प्रकार का छंद जिसका चौथा, ग्यारहवाँ और बारहवाँ अक्षर गुरु और शेष अक्षर लघु होते हैं।				 | 
			
			
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					द्रुत-बिलंबित					 :
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					पुं० [कर्म० स०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः १ नगण २ भगण और १ रगण होता है। इसे ‘सुंदरी’ भी कहते हैं।				 | 
			
			
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					द्रुत-मध्या					 :
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					स्त्री० [ब० स०] एक अर्द्ध-सम-वृत्ति जिसके प्रथम और तृतीय पद में ३ भगण और दो गुरु होते हैं।				 | 
			
			
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					द्रुतगामी (मिन्)					 :
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					वि० [सं० द्रुत√गम् (जाना)+णिनि] [स्त्री० द्रुतगामिनी] जल्दी या तेज चलनेवाला। शीघ्रगामी।				 | 
			
			
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					द्रुति					 :
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					स्त्री० [सं०√द्रु+क्तिन्] १. तरल पदार्थ। द्रव। २. द्रवित होने की अवस्था या भाव। ३. गति। चाल।				 | 
			
			
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					द्रुतै					 :
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					अव्य० [सं० द्रुत] शीघ्रता से। जल्दी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					द्रुपद					 :
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					पुं० [सं०] उत्तर पांचाल के एक प्रसिद्ध राजा जिनकी कन्या कृष्णार्जुन आदि पांडवों को ब्याही गई थी। २. खंभे का आधार या पाया। ३. खड़ाऊँ।				 | 
			
			
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					द्रुपदा					 :
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					स्त्री० [सं० द्रुपद+अच्—टाप्] एक वैदिक ऋचा जिसके आदि में द्रुपद शब्द है। स्त्री०=द्रौपदी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					द्रुपदात्मज					 :
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					पुं० [द्रुपद-आत्मज ष० त०] [स्त्री० द्रुपदात्मजा] १. शिखंडी २. धृष्ट-द्युम्न।				 | 
			
			
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					द्रुपदादित्य					 :
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					पुं० [द्रुपदा-आदित्य मध्य० स०] काशी खंड के अनुसार सूर्य की एक प्रतिमा जो द्रौपदी द्वारा प्रस्थापित मानी जाती है।				 | 
			
			
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					द्रुम					 :
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					पुं० [सं० द्रु+म] १. वृक्ष। पेड़। २. पारिजात। परजाता। ३. कुबेर। ४. रुक्मिणी के गर्भ से उत्पन्न श्रीकृष्ण के एक पुत्र।				 | 
			
			
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					द्रुम-कंटिका					 :
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					स्त्री० [ष० त०] सेमर का पेड़।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुम-नख					 :
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					पुं० [ष० त०] पेड़ का नाखून, काँटा।				 | 
			
			
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					द्रुम-मर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० द्रुम√मृ० (मरना)+अप्] काँटा। कंटक।				 | 
			
			
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					द्रुम-व्याधि					 :
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					स्त्री० [ष० त०] १. पेड़ के ऊपर होनेवाला रोग। २. लाख। लाक्षा। ३. गोंद।				 | 
			
			
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					द्रुम-शीर्ष					 :
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					पुं० [ष० त०] १. पेड़ का ऊपरी भाग या सिरा। २. [ब० स०] वास्तु शास्त्र में गोल मंडप के आकार की एक प्रकार की छत।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुम-श्रेष्ठ					 :
				 | 
				
					पुं० [स० त०] ताड़ का पेड़।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुम-सार					 :
				 | 
				
					पुं० [ष० त०] अनार का पेड़।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुम-सेन					 :
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					पुं० [सं०] महाभारत का एक योद्धा जो धृष्टद्युम्न के हाथों मारा गया था।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमामय					 :
				 | 
				
					पुं० [द्रुम-आमय ष० त०] १. पेड़ों को होनेवाले रोग। २. लाख। लाक्षा।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमारि					 :
				 | 
				
					पुं० [द्रुम-अरि ष० त०] पेड़ का शत्रु, हाथी।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमालय					 :
				 | 
				
					पुं० [द्रुम-आलय ष० त०] वृक्ष का घर। जंगल।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमाश्रय					 :
				 | 
				
					वि० [द्रुम-आश्रय ब० स०] वृक्षों पर निवास करनेवाला। पुं० गिरिगिट।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमिणी					 :
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					स्त्री० [सं० द्रुम+इनि—ङीप्] १. वृक्षों का समूह। २. जंगल। वन।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमिल					 :
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					पुं० [सं०] १. एक दानव जो सौभ देश का राजा था। २. नौ योगेश्वरों में से एक।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमिला					 :
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					स्त्री० [सं०] एक प्रकार का छंद जिसके चरणों में ३२-३२ मात्राएँ होती है।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमेश्वर					 :
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					पुं० [सं० द्रुम-ईश्वर, ष० त०] १. चंद्रमा। २. पारिजात। परजाता। ३. ताड़ का पेड़।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुमोत्पल					 :
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					पुं० [सं० द्रुम-उत्पल ब० स०] कर्णिकार वृक्ष। कनकचंपा। कनियारी।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुवय					 :
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					पुं० [सं० द्रु+वय] लकड़ी की एक पुरानी माप।				 | 
			
			
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					द्रुह					 :
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					पुं० [सं०√द्रुह् (अनिष्ठ चाहना)+क] [स्त्री० द्रुही] १. पुत्र। बेटा। २. वृक्ष। पेड़।				 | 
			
			
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					द्रुहण					 :
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					पुं० [सं० द्रु√हन् (हिंसा)+अच्] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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				| 
					द्रुहिण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√द्रुह+इनन्] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					द्रुही					 :
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					स्त्री० [सं० द्रुह+ङीष्] कन्या।				 | 
			
			
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					द्रुह्य					 :
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					पुं० [सं०] १. एक वैदिक जाति। २. राजा ययाति का शर्मिष्ठा के गर्भ से उत्पन्न एक पुत्र।				 | 
			
			
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