शब्द का अर्थ
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दु :
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वि० [हिं० दो] दो का संक्षिप्त रूप जो उसे समस्त पदों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता है। जैसे—दुभाषिया, दुसूती। |
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समानार्थी शब्द-
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दु-परता :
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वि० [हिं० दो+परत] [भाव० दुपरती] जिसमें दो परतें हों। |
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दु-पलिया :
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वि० [हिं० दो+पल्ला] जिसमें दो पल्ले हों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दु-पल्ला :
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वि० [हिं० दो+पल्ला] [स्त्री० दुपल्ली] जिसमें दो पल्ले एक साथ जुड़े या लगे हों। जैसे—दुपल्ला दरवाजा, दुपल्ली टोपी। |
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दु-पासिया :
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पुं० [हिं० दो+पाँस] चौपड़ का वह खेल जो चार आदमियों के साथ बैठकर खेलने पर इस प्रकार खेला जाता है कि आमने-समाने के दोनों खेलाड़ी अपने-अपने पाँसों में एक दूसरे के साथी होते हैं। |
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दु-बगली :
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स्त्री० [हिं० दो+बगल] मालखंभ की एक कसरत। |
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दु-वरकी :
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स्त्री० [हिं० दो+वरक=पन्ना या वृष्ठ] स्त्री की भग। योनि। (बाजारू और अश्लील व्यंग्य)। मुहा०—दु वरकी का सबक पढ़ाना=(क) स्त्रियों का आपस में भग-संघर्ष के द्वारा मैथुन करना। चपटी लड़ना। (मुसलमान स्त्रियाँ) (ख) मैथुन या संभोग करना। (बाजारू) |
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दुअ :
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अव्य० [सं० द्रुत] शीघ्र। वि०=दो |
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दुअन :
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वि०, पुं०=दुवन। |
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दुअन्नी :
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स्त्री० [हिं० दो+आना] पुराने दो आने अर्थात् ८ पैसों के मूल्य का एक छोटा सिक्का जो पहिले चाँदी का होता था; पर बाद में निकल का बनने लगा था। |
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दुअरवा :
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पुं०=दुआर (द्वार)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुअरा :
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पुं०=द्वार। |
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दुअरिया :
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स्त्री०=दुआरी (छोटा दरवाजा)। |
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दुआ :
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स्त्री० [अ०] १. किसी बड़े अथवा ईश्वर से की जानेवाली प्रार्थना। निवेदन। विनती। २. किसी के कल्याण या मंगल के लिए ईश्वर से की जानेवाली प्रार्थना। कि० प्र०—करना।—माँगना। ३. आशीर्वाद। असीस। क्रि० प्र०—देना।मुहा०—(किसी की) दुआ लगना=आशीर्वाद फलीभूत होना। पुं० [हिं० दो] १. गले में पहनने का एक गहना। २. दे० ‘दूआ’। |
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दुआदस :
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पुं०=द्वादश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुआदसी :
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स्त्री०=द्वादशी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुआब :
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पुं०=दुआबा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुआबा :
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पुं० [फा० दोआबः] १. दो नदियों के बीच का प्रदेश। २. गंगा और यमुना के बीच का प्रदेश। |
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दुआर :
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पुं० [स्त्री० दुआरी]=द्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुआरा :
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पुं०=द्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुआरामती :
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स्त्री० [सं० द्वारावती] द्वारिका। उदा०—देव सु आ दुआरामती।—प्रिथीराज। |
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दुआरी :
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स्त्री० [हिं० दुआर] छोटा दरवाजा। |
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दुआल :
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स्त्री० [फा०] १. चमड़े का तमसा। २. रिकाब का तस्मा। |
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दुआला :
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पुं० [देश०] लकड़ी का एक बेलन जो सुनहरी छपी हुई छोंटों के छापों को बैठने के लिए उन पर फेरा जाता है। |
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दुआली :
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स्त्री० [फा० द्वाल=तसमा] खराद का तसमा। सान की बद्घी। |
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दुआह :
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पुं० [हिं० दु+सं० विवाह] १. पहली पत्नी के मरने के उपरांत पुरुष का होनेवाला दूसरा विवाह। २. पहले पति के मरने पर स्त्री का होनेवाला दूसरा विवाह। |
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दुइज :
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स्त्री०=दूज (द्वितीया तिथि)। |
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दुइज :
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स्त्री०=दूज (द्वितीया तिथि)। |
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दुई :
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वि०=दो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुई :
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वि० [हिं० दु (दो)+ई (प्रत्य०)] १. दो। २. दोनों। स्त्री० १. दो महीने की अवस्था या भाव। २. अपने को ईश्वर से भिन्न समझने की अवस्था या भाव। द्वैत-भाव। ३. किसी को दूसरा या पराया समझकर उसी के अनुसार उससे व्यवहार करना। दुजायगी। भेद-भाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुऊ :
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वि०=दोनों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपलब्ध नहीं |
दुऔ :
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वि०=दोनों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपलब्ध नहीं |
दुकड़हा :
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वि० [हिं० दुकड़ा+हा (प्रत्य०)] [स्त्री० दुकड़ही] १. जिसका मूल्य टुकड़े के बराबर हो, फलतः बहुत ही तुच्छ और हीन। २. बहुत ही तुच्छ और हीन प्रकृतिवाला। कमीना। नीच। |
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दुकड़ी :
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स्त्री० [हिं० टुकड़ा] १. एक साथ जुड़ी या मिली हुई दो चीजें। २. चारपाई की वह बुनावट जिसमें दो-दो रस्सियाँ एक साथ बुनी जाती हैं। ३. ऐसी गाड़ी या बग्धी जिसमें दो घोड़े एक साथ जुतते हों। ४. |
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दुकना :
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अ० [देश०] लुकना। छिपना। |
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दुकम :
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वि० [सं० दुष्क्लम्प] १. जिस पर आक्रमण करना कठिन हो। २. जिसे पार करना या लाँघना कठिन हो। |
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दुंका :
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पुं० [सं० स्तोक] (अनाज का) छोटा कण। कन। दाना। |
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दुकाण :
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पुं०=दृक्कण। |
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दुकान :
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स्त्री० [फा०] १. वह कमरा या भवन जहाँ से किसी एक अथवा कई प्रकार की चीजें ग्राहकों के हाथ प्रायः फुटकर बेची जाती हैं। जैसे—घी की दुकान, मिठाई की दुकान। २. ऐसा स्थान जहाँ कोई व्यक्ति कुछ पारिश्रमिक प्राप्त करने के लिए दूसरों की सेवाएँ करता हो। जैसे—दरजी या हज्जाम की दुकान। मुहा०—दुकान करना या खोलना=दुकान लेकर किसी चीज की बिक्री आरंभ करना। दुकान खोलना। दुकान चलना=दुकान में होने-वाले व्यवसाय की वृद्धि होना। दुकान बढ़ाना= दुकान में बाहर रखा हुआ माल उठाकर अंदर रखना और किवाड़ें बंद करना। दुकान बंद करना। दुकान लगाना=(क) दुकान का सामान फैलाकर यथास्थान बिकी के लिए रखना। (ख) बहुत-सी चीजें चारों ओर फैलाकर रखना। |
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दुकानदार :
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पुं० [फा०] १. वह जो दुकान करता हो। २. वह जो उस कमरे का स्वामी हो जिसमें कोई दुकान लगाये हो। ३. बहुत अधिक मोल-भाव करनेवाला व्यक्ति। (व्यंग्य) ४. वह जिसने अपनी आय का साधन बनाने के लिए कोई ढोंग रच रखा हो। ५. चालाक व्यक्ति। |
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दुकानदारी :
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स्त्री० [फा०] १. दुकान लगाकर सौदा आदि बेचने का काम। २. ऐसा ढोंग जो केवल अपनी आय का साधन बनाने के लिए रचा जाय। ३. बहुत अधिक मोल-भाव करना। |
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दुकाना :
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स० [हिं० दुकना] छिपाना। (बुंदेल०) |
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दुकाल :
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पुं० [सं० दुष्काल] अकाल। दुर्भिक्ष। क्रि० प्र०—पड़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःकुंत :
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पुं०=दुष्यंत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुकुल्ली :
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स्त्री० [देश०] पुरानी चाल का एक तरह का बाजा जिस पर चमड़ा मढ़ा होता है। |
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दुकूल :
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पुं० [सं० √दु+ऊलच्, कुक्] १. सन या तीसी के रेशे का बना हुआ कपड़ा। क्षौम-वस्त्र। २. बढ़िया और महीन कपड़ा। ३. कपड़ा। वस्त्र। ४. स्त्रियों के पहनने की साड़ी। ५. बौद्घों के अनुसार एक प्राचीन मुनि। |
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दुकेला :
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वि० [हिं० दुक्का+एला (प्रत्य०)] [स्त्री० दुकेली] जिसके साथ कोई दूसरा भी हो। जो अकेला न हो, बल्कि किसी के साथ हो। पद—अकेला-दुकेला। (दे०) |
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दुकेले :
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अव्य० [हिं० दुकेला] किसी एक के साथ। दूसरे को साथ लिये हुए। |
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दुक्कड़ :
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पुं० [हिं० दो+कूँड़] १.तबले की तरह का एक बाजा, जो शहनाई के साथ बजाया जाता है। २. एक प्रकार का छोटा नगाड़ा जो एक डुगी के साथ रखकर बजाया जाता है। ३. दो बड़ी नावों का एक साथ जोड़ या बाँधकर बनाया हुआ बेड़ा। |
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दुक्कना :
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अ० [सं० दोष] किसी को दोष देना। दोषी ठहराना। |
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दुक्कर्ण :
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पुं०[सं० दृश-कर्ण ब० स०] साँप। |
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दुक्का :
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वि० [सं० द्विक] [स्त्री० दुक्की] १. जिसके साथ कोई और भी हो। दुकेला २. जो एक साथ दो हों। जोड़ा। युग्म। पद—इक्का-दुक्का। पुं० ताश का वह पत्ता जिस पर दो बूटियाँ होती हैं। दुक्की। दुक्की |
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दुःख :
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पुं० [सं०√दुःख (क्लेश)+अच्] भू० कृ० दुःखित, वि० दुःखी] १. मन में होनेवाली वह अप्रिय और अवांछित अनूभूति जो किसी प्रकार के उपकार, आघात, आपत्ति, दुर्घटना, दुष्कर्म, निराशा, व्याधि, हानि आदि के फलस्वरूप होती है। अनिष्ट, बुरी या विरोधी मानी जानेवाली बातों के कारण उत्पन्न होनेवाली मन की वह स्थिति जिससे आदमी छूटना या बचना चाहता है। ‘सुख’ का विपर्याय। (ग्रीफ, सारो) विशेष—(क) शास्त्रों में ‘दुःख’ का विवेचन और स्वरूप-निर्धारण अनेक प्रकार से किया गया है; उसके कई प्रकार के वर्गीकरण किये गये हैं। और उसके निवारण के अलग-अलग उपाय बताये गये हैं। सांख्य ने उसे चित्त का धर्म माना है, पर न्याय और वैशेषिक ने उसे आत्मा का धर्म कहा है। योग के अनुसार वे सभी बातें दुःख हैं जो समाधि में बाधक होती हैं। गौतम बुद्घ ने तो जन्म से मृत्यु तक की सभी बातों को दुःख माना है; और उसे चार आर्य सत्यों में पहला स्थान दिया है। (ख) लौकिक दृष्टि से ‘सुख’ का अभाव या विनाश ही दुःख है और वह मानसिक तथा शारीरिक दोनों प्रकार का होता है। कारण या मूल के विचार से यह शास्त्रों में तीन प्रकार का कहा गया है—आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक। (ग) आर्थी दृष्ट से इसके कष्ट, क्लेश, खेद, पीड़ा, विषाद, वेदना, व्यथा, शोक, संताप आदि ऐसे भेद-विभेद हैं, जो मुख्यतः अलग प्रकार की मानसिक या शारीरिक परिस्थितियों के सूचक हैं और जिनमें यह अनुभूति या मनः स्थिति कभी कुछ हलकी, कभी कुछ तेज और कभी बहुत तेज होती है। क्रि० प्र०—देना—पहुँचना।—पाना।—भोगना।—मिलना।—सहना। मुहा०—दुःख उठाना=दुःख भोगना या सहना। (किसी का) दुःख बँटाना=दुःख, विपत्ति आदि के समय किसी की सहायता करके उसका दुःख कम करना। दुःख भरना=कष्ट या दुःख भोगना या सहना। २. आपत्ति। विपत्ति। संकट। जैसे—इधर बरसों से उन पर बराबर दुःख पर दुःख आते रहे हैं। ३. बीमारी। रोग। (क्व०) |
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दुख :
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पुं० [सं० दुःख] १. दुःख। (दे०) कि० प्र०—देना।—पहुँचाना। पाना।—भोगना।—मिलना। मुहा०—दुख उठाना=कष्ट या तलकीफ भोगना या सहना। ऐसी स्थिति में पड़ना जिसमें सुख या शांति हो। दुख बँटाना=किसी के कष्ट या संकट के समय उसका साथ देना। दुख भरना=कष्ट या संकट के दिन जैसे-तैसे बिताना।२. आपत्ति। विपत्ति। संकट। मुहा०—(किसी पर) दुख पड़ना=आपत्ति आना। संकट उपस्थित होना। ३. मानसिक कष्ट। खेद। रंज। जैसे—उन्हें लड़के के मरने का बहुत दुख है। मुहा०—दुख मानना=खिन्न या संतप्त होना। दुःखी होना। ४. |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-ग्राम :
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वि० [ब० स०] दुःखों से भरा हुआ। पुं० संसार। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-त्रय :
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पुं० [सं० ष० त०] आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक ये तीन प्रकार के दुःख। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-दग्ध :
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वि० [तृ० त०] बहुत अधिक दुःखी। |
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दुख-दुंद :
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पुं० [सं० दुःखद्वंद्व] अनेक प्रकार के दुःख, कष्ट और विपत्तियाँ। |
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दुःख-निवह :
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वि० [ब० स०] दुःसह। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-प्रद :
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वि० [ष० त०]=दुःखद। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-बहुल :
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वि० [ब० स०] जिसमें बहुत अधिक दुःख (कष्ट या क्लेश) हो। दुःखमय। |
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दुःख-लभ्य :
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वि० [तृ० त०] १. जो दुःख या कष्ट से प्राप्त होता हो।२. जो कठिनता से मिले। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-लोक :
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पुं० [ष० त०] संसार। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःख-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] यह मत या सिद्घांत कि यह सारा संसार और इसमें का जीवन दुःखमय है। ‘सुखवाद’ का विपर्याय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःख-सागर :
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पुं० [ष० त०] संसार जो दुःखों का घर माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःख-साध्य :
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वि० [तृ० त०] (कार्य) जिसके साधन में अनेक प्रकार के दुःख सहने पड़े हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखकर :
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वि० [सं० दुःख√कृ (करना)+ट] दुःखद। दुःखदायक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखजीवी (विन्) :
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वि० [सं० दुःख√जीव् (जीना)+णिनि] दुःखों में पलने तथा रहनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखंडा :
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वि० [हिं० दो+खंड] १. जिसमें दो खंड या विभाग हों। २. (घर या मकान) जिसमें ऊपर एक और खंड या तल्ला भी हो। दो मरातिबवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखड़ा :
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पुं० [हिं० दुख+ड़ा (प्रत्य०)] १. ऐसी विस्तृत बातें जिनमें अपने कष्टों, दुःखों विपत्तियों आदि का उल्लेख या चर्चा हो। तकलीफों का हाल। मुहा०—(अपना) दुखड़ा रोना= अपने दुःख का वृत्तांत दीन भाव से कहना। अपने कष्टों का हाल सुनाना। २. कष्ट। तकलीफ। विपत्ति। क्रि० प्र०—पड़ना। मुहा०—दुखड़ा पीटना या भरना= बहुत कष्ट से जीवन बिताना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखंत :
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पुं०=दुष्यंत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि०=दुःखांत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखद :
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वि० [सं० दुःख√दा (देना)+क] १. दुःख या कष्ट देनेवाला। २. जिसके कारण या फलस्वरूप मन को दुःख पहुँचे। जैसे—मृत्यु का दुःखद समाचार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखद :
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वि०=दुःखद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखदाई :
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वि०=दुःखदायी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखदाता (तृ) :
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वि० [सं० ष० त०] दुःख पहुँचानेवाला (मनुष्य)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखदानि :
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वि० स्त्री० [सं० दुःखदायिनी] दुःख देनेवाली। तकलीफ पहुँचानेवाली। उदा०—यह सुनि गुरु बानी धनु गनु तानी जानी द्विज दुखदानि।—केशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखदायक :
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वि० [ष० त०] १.= दुःख दायिन्। २.=दुःखद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखदायक :
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वि० १.= दुःखद। २.=दुःखदाता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखदायी (यिन्) :
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वि० [सं० दुःख√दा+णिनि] [स्त्री० दुःखदायनी] १. (व्यक्ति) जो दूसरों को दुःख देता हो। २. दुःखद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखदोह्या :
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वि०, स्त्री० [तृ० त०] गाय या भैंस जिसे कठिनता से दूहा जा सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखना :
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अ० [सं० दुःख] १. (किसी अंग का) पीड़ित होना। दर्द करना। पीड़ा युक्त होना। जैसे—आँखें या सिर दुखना। २. किसी पीड़ित अंग या व्रण पर आघात आदि लगने से उसकी पीड़ा बढ़ना। जैसे—घाव या फोड़ा दुखना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखमय :
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वि० [सं० दुःख+मयट्] बहुत अधिक दुःख या दुःखों से भरा हुआ। दुःखों से परिपूर्ण। जैसे—दुःखमय जगत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखरा :
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पुं०=दुखड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखवना :
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स०=दुखाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखवादी (दिन्) :
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वि० [सं० दुःखवाद+इनि] दुःखवाद-संबंधी। दुःखवाद का। पुं० वह जो दुःखवाद का पोषक या समर्थक हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखहाया :
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वि० [हिं० दुःख+हाया (प्रत्य०)] [स्त्री० दुखहाई] दुःख से भरा हुआ। परम दुःखी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखांत :
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वि० [दुःख-अंत ब० स०] जिसका अंत या अंतिम अंश दुःखद, दुःखमय या दुःखों से परिपूर्ण हो। जैसे—दुःखांत नाटक या कहानी। पुं० १. दुःख की समाप्ति। २. दुःख की पराकाष्ठा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखांत :
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वि०=दुःखांत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखातीत :
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वि० [दुःख-अतीत द्वि० त०] दुःखों से जिसे मुक्ति मिली हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखाना :
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स० [सं० दुःख] १. कष्ट या पीड़ा पहुँचाना। दुःखित या व्यथित करना। जैसे—किसी का जी या मन दुखाना। २. किसी के पीड़ित अंग पर कोई ऐसी क्रिया करना जिससे उसकी पीड़ा फिर से बढ़े। जैसे—किसी का घाव या फोड़ा दुखाना। अ०=दुखना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखान्वित :
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वि० [दुःख-अन्वित तृ० त०] १. दुःखमय। २. बहुत अधिक दुःखी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखायतन :
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पुं० [दुःख-आयतन ष० त०] दुःखसागर। संसार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखारा :
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वि० [हिं० दुख+आर (प्रत्य०)] [स्त्री० दुखारी] दुःखी। पीड़ित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखारो :
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वि०=दुखारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखार्त :
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वि० [दुःख-आर्त तृ० त०] बहुत अधिक दुःखी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखित :
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भू० कृ० [सं० दुःख+इतच्] जिसे बहुत अधिक दुःख (कष्ट या क्लेश) हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखित :
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वि०=दुःखित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखिनी :
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वि० स्त्री० हिं० ‘दुखिया’ का स्त्री०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखिया :
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वि० [हिं० दुख+इत्या (प्रत्य०)] [स्त्री० दुखिनी] १. जो दुःख या कष्ट में पड़ा हो। जिसे किसी प्रकार की व्यथा हो। २. जिसके मन में बराबर किसी तरह का दुःख बना रहता हो। ३. बीमार। रोगी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखियारा :
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वि०=दुखिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखी :
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वि० [सं० दुःखिन्] [स्त्री० दुखिनी] १. जिसे बहुत दुःख हुआ हो। २. जिसे बहुत अधिक मानसिक या शारीरिक कष्ट पहुँचा हो। ३. जो अधिकतर या सदा कष्टों में रहता हो। दीनहीन। ४. बीमार। रोगी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःखी (खिन्) :
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वि० [सं० दुःख+इनि] १. जिसे दुःख मिला या पहुँचा हो। २. जिसके मन में किसी प्रकार का दुःख हो। (विशेष दे० ‘दुःखी’) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखीला :
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वि० [हिं० दुख+ईला (प्रत्य०)] १. दुःख से युक्त। दुःखी। २. मन में दुःख का अनुभव करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुखौहाँ :
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वि० [हिं० दुख+ओहीं] [स्त्री० दुखौहीं] १. दुःख देनेवाली। दुःखदायी। २. मन में बराबर दुःखी बना रहनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग :
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स्त्री०=धुक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=दो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगई :
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स्त्री० [देश०] घर के आगे का ओसारा। दालान या बरामदा। (बुंदे०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगंछा :
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स्त्री० [सं० दुं |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगदा :
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वि० दुर्गम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगदुगी :
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स्त्री० [अनु० धुक धुक] १. मनुष्य के शरीर में गरदन के नीचे और छाती के ऊपर बीचों-बीच में होनेवाला छोटा गड्ढा। मुहा०—दुगदुगी में दम होना=प्राण का कंठगत होना। मरणासन्न होना। २. गले में पहनने का धुकधुकी नाम का गहना। ३. दे० ‘धुकधुकी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगध :
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पुं०=दुग्ध (दूध)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगध-नदीस :
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पुं०=क्षीर-सागर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगधा :
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स्त्री०=दुविधा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगन :
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वि०=दूना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगना :
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वि० [सं० द्विगुण] [स्त्री० दुगनी]=दूना। अ० [?] छिपाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुँगरी :
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स्त्री० [देश०] पुरानी चाल का एक तरह का मोटा कपड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगाड़ा :
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पुं० [दो+गाड़=गड्ढा] १. दुनाली बंदूक। दोनली बंदूक। २. दोहरी गोली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगाना :
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वि० उभय० [फा० दोगानः] जो दो एक में मिले हों। जुड़वाँ। युग्म। जैसे—दुगाना केला=ऐसा केला जिसमें दो फलियाँ एक साथ जुड़ी हों। दुगाना सिंघाड़ा=एक में जुड़े हुए दो सिंघाड़े। स्त्री० १. मुसलमान स्त्रियों में एक विशिष्ट प्रकार का सहेलियों का-सा संबंध जो प्रायः बहुत आत्मीयता या घनिष्ठता का सूचक होता है। विशेष—यह संबंध इस प्रकार स्थापित होता था कि एक स्त्री भुलावा देकर अपनी सखी को कोई दुगाना चीज या फल देती थी। यदि वह चीज या फल लेने के समय। वह सखी कह देती—‘याद है’ तब तो ठीक था। पर यदि वह ‘याद है’ कहना भूल जाती, तब चीज या फल देनेवाली स्त्री कहती—‘फरामोश’ अर्थात तुम ‘याद है’ कहना भूल गई। उस दशा में फल या चीज देनेवाली स्त्री को वही चीज या फल गिनती में दो सौ गुनी दो हजार गुनी देनी पड़ती थी जो संबंधियों और सहेलियों में बाँटी जाती थी और इस प्रकार दोनों में दुगाना का संबंध स्थापित होता था। २. उक्त प्रकार का संबंध स्थापित हो जाने पर परस्पर किया जाने-वाला संबोधन। ३. वे दो सखियाँ या सहेलियाँ जो आपस में अप्राकृतिक मैथुन करती अर्थात् भग-संघर्षण करती या चपटी लड़ाती हों। पुं०=दोगाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगासरा :
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पुं० [सं० दुर्ग+आश्रय] वह गाँव जो किसी दुर्ग के नीचे या पास हो और इसी लिए उसके आसरे या रक्षा में हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगुण :
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वि०=द्विगुण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगुन :
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वि० =दुगना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगून :
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वि० [सं० द्विगुण] दो-गुना। दूना। स्त्री० गाने-बजाने में वह बढ़ी हुई लय जो आरंभिक लय से दूनी गतिवाली होती है और जिसमें आरंभिक लय में लगनेवाले समय से अपेक्षया लगभग आधा समय लगता है। गाने-बजाने की आरंभिक गति से कुछ और आगे बढ़ी हुई या तेज गति। विशेष—यही गति और आगे बढ़ने या तीव्र होने पर कमात्, तिगून और चौगून कहलाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुगूल :
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पुं०=दुकूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ग :
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पुं०=दुर्ग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्गम :
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वि०=दुर्गम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध :
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वि० [सं०√दुह् (दुहना)+क्त] १. दूहा हुआ। २. भरा हुआ। पुं० १. दूध। २. कुछ विशिष्ट पौधों, वृक्षों आदि में से निकलनेवाला दूध जैसा सफेद तथा लसीला पदार्थ। (दे० ‘दूध’) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-कल्प :
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पुं० [ष० त०] वैद्यक में, एक प्रकार की चिकित्सा जिसमें रोगी को केवल दूध पिलाकर नीरोग किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-कूपिका :
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स्त्री० [सं० दुग्ध-कूप ष० त०,+ठन्—इक, टाप्] एक प्रकार का पकवान जो पिसे हुए चावल और दूध के छेने से बनता था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-तालीय :
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पुं० [सं० दुग्ध-ताल ष० त०, छ-ईय] १. दूध का फेन। झाग। २. मलाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-पाषाण :
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पुं० [ब० स०] एक प्रकार का वृक्ष जिसे बंगाल की ओर शिरगोला कहते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-पुच्छी :
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स्त्री० [ब० स० ङीष्] एक प्रकार का वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-फेन :
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पुं० [ष० त०] १. दूध का फेन। झाग। २. [ब० स०] क्षीर हिंडीर नाम का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-फेनी :
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पुं० [ब० स० ङीष्] एक प्रकार का छोटा पौधा। पयस्विनी। जाय। स्त्री० दूध में भिगोई हुई फेनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-बीजा :
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स्त्री० [ब० स० टाप्] ज्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-मापक :
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पुं० [ष० त०] शीशे की वह नली जिसमें भरे हुए पारे के उतार-चढ़ाव से पता चलता है कि दूध में पानी की कितनी मिलावट है। (लैक्टोमीर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-शर्करा :
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स्त्री० [ष० त०] दूध में से चूर्ण के रूप में निकाला हुआ उसका मीठा सार भाग। (मिल्क-शूगर) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्ध-समुद्र :
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पुं० [ष० त०] पुराणानुसार सात समुद्रों में से एक। क्षीर-सागर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धशाला :
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स्त्री० [सं०] वह स्थान जहाँ गौएँ आदि रखकर बेचने के लिए दूध आदि तैयार किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धांक :
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पुं० [दुग्ध-अंक ब० स०] एक तरह का पत्थर जिस पर दूध के रंग के सफेद छोटे चिह्न होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धाक्ष :
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पुं० [दुग्ध-अक्ष ब० स०] एक तरह का सफेद छींटोंवाला नग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धाग्र :
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पुं० [दुग्ध-अग्र ष० त०] मलाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धाब्धि :
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पुं० [दुग्ध-अब्धि ष० त०] क्षीर समुद्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धाब्धि-तनया :
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स्त्री० [ष० त०] लक्ष्मी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धाश्मा (श्मन्) :
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पुं० [दुग्ध-अश्मन् ब० स०] शिरगोला (वृक्ष)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धिका :
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स्त्री० [सं० दुग्ध+उन्—इक, टाप्] १. दुद्धी नाम की घास या जड़ी। २. गंधिका नाम की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धिनिका :
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स्त्री० [सं०] लाल चिचड़ा। रक्त्तापामार्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धी (ग्धिन्) :
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वि० [सं० दुग्ध+इनि] जिसमें दूध हो। दूध से युक्त। पुं० क्षीर वृक्ष। स्त्री० [दुग्ध+अच+ङीष्] दुद्धी नाम की घास या जड़ी। दूधिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुग्धोद्योग :
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पुं० [दुग्ध-उद्योग, ष० त०] दूध या उससे विभिन्न पदार्थ (मक्खन, घी आदि) तैयार करने का उद्योग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुघ :
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वि० [सं०] १. दुहनेवाला। २. देनेवाला। (प्रायः समासांत में) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुघड़िया :
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वि० [हिं० दो-घड़ी] दो घड़ियों का। दो घड़िया। जैसे—दुघड़िया मुहूर्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुघड़िया मुहूर्त्त :
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पुं० [हिं० दो घड़ी+सं० मुहूर्त्त] दो घड़ियों का ऐसा मुहूर्त जो विशेष आवश्यकता पड़ने पर तत्काल काम चलाने के लिए निकाला जाता है। द्विघटिका मुहूर्त्त। कि० प्र०—देखना।—निकालना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुघरी :
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स्त्री०=दुघड़िया मुहूर्त्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचंद :
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वि० [फा०] दूना। दुगना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचल्ला :
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पुं० [हिं० दो+चाल] ऐसी छत जिसके दोनों ओर ढाल हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचित :
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वि० [हिं० दो+सं० चित्त] १. जिसका चित्त दो बातों में लगा हुआ हो। जो असमंजस या दुबिधा में पड़ा हो। २. संदेह में पड़ा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचितई :
|
स्त्री०=दुचिताई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचिताई :
|
स्त्री० [हिं० दुचित] १. दुचित्ते होने की अवस्था या भाव।२. चित्त की अस्थिरता। असमंजस। दुविधा। ३. संदेह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचित्ता :
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वि० [हिं० दो+चित्त] [स्त्री० भाव० दुचित्ती] १. जिसका चित्त या मन किसी एक बात पर स्थिर न हो। जो असमंजस या दुबिधा में पड़ा हो। २. आशंका या खटके के कारण जिसका मन शांत या स्थिर न हो। ३. दो कठिनाइयाँ सामने होने पर जो कभी एक ओर और कभी दूसरी ओर ध्यान देता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुचित्ती :
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स्त्री० [हिं० दुचित्ता] दुचित्ते होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुच्छक :
|
पुं० [सं० दु (ताप)+क्विप्, तुक्, दुत्√शक् (सकना) +अच्] कपूरकचरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुछण :
|
पुं० [सं० द्वेषण=शत्रु] सिंह। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुज :
|
पुं०=द्विज। (दुज के यौगिक शब्दों लिए दे० ‘द्विज’ के यौ०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजड़ :
|
स्त्री० [देश०] [स्त्री० अल्पा० दुजड़ी] तलवार। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजड़ी :
|
स्त्री० [देश०] कटारी। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजन्मा :
|
पुं०=द्विजन्मा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजानू :
|
क्रि० वि० [फा० दुजानू] दोनों घुटनों के बल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजायगी :
|
स्त्री० [हिं० दो+फा० जायगाहा ?] १. जिनके साथ आपसदारी का व्यवहार रहा हो, उनके साथ किया जानेवाला परायेपन का व्यवहार। २. जिनके प्रति समान व्यवहार करना आवश्यक या उचित हो उनमें से किसी एक के साथ किया जानेवाला भेद-भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजिह्व :
|
वि०, पुं०=द्विजिह्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजीह :
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पुं०=द्विजिह्व।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुजेश :
|
पुं०=द्विजेश।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुज्ज :
|
पुं०=द्विज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुज्जन :
|
वि०=दुर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुझारना :
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स० [हिं० झाड़ना] झटकारना। झाड़ना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुटूक :
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वि० [हिं० दो+टूक] दो टुकड़ों में किया या तोड़ा हुआ। पद—दुटूक बात=थोड़े में कहीं हुई ऐसी बात जिसमें साफ-साफ यह बतलाया गया हो कि हम या तो यह काम या बात करेंगे अथवा वह काम या बात करेंगे। (प्रश्न, विवाद आदि के प्रसंग में) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुडि :
|
स्त्री० [सं०] दुलि। कच्छपी। स्त्री०=दुक्की (ताश की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुड़ियंद :
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पुं० [?] सूर्य। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुड़ी :
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स्त्री०=दुक्की (ताश की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंडुक :
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वि० [सं० दुंडुभ√कै (मालूम होना)+क, पृषो० भलोप] १. व्यक्ति जो ईमानदार न हो। बेईमान। २. दुष्ट। ३. जालसाज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंडुभ :
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पुं० [सं०√द्रुड् (डूबना)+उभ, नुम्, रलोप] एक तरह का विषहीन सर्प। डुंडुभ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुत :
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अव्य० [अनु०] एक शब्द जो उपेक्षा, तिरस्कार या निरादरपूर्वक दूर करने या हटाने के समय कहा जाता है। दुतकारने का शब्द। स्त्री०=द्युति। उदा०—गुण भूषण भुरजालरो, जस मैं दुत जागंत।—बाँकीदास।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतकार :
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स्त्री० [अनु० दुत+कार] १. दुतकारने की क्रिया या भाव। २. वह बात जो किसी को उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक ‘दुत’ कहते हुए दूर करने या हटाने के लिए कही जाय। कि० प्र०—बताना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतकारना :
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स० [हिं० दुतकार] १. उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक दुत् दुत् शब्द करके किसी को अपने पास से अलग या दूर करना। बुरी तरह से अपमानित करके दूर हटाना। २. तिरस्कृत करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतर :
|
वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतरणि :
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वि० [सं० दुस्तरण] १. कठिन। २. दुःखदायक। (राज०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतरफा :
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वि० [फा० दुतर्फ़ः] [स्त्री० दुतरफी] जो दोनों ओर हो। इधर भी और उधर भी होने या रहनेवाला। जैसे—कपड़े की दुतरफा छपाई। २. (आचरण या व्यवहार) जो निश्चित रूप से किसी एक ओर न हो, बल्कि आवश्यकतानुसार दोनों तरफ माना या लगाया जा सकता हो। जैसे—दुतरफा काट या चाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुताबी :
|
स्त्री० [हिं० दो+फा० ताब] पुरानी चाल की एक तरह की दुधारी तलवार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतारा :
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पुं० [हिं० दो+तार] सितार की तरह का एक प्रकार का बाजा जिसमें दो तार लगे होते हैं और जो तर्जनी उँगली से बजाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुति :
|
स्त्री०=द्युति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतिमान :
|
वि०=द्युतिमान्। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतिय :
|
वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतिया :
|
वि०=द्वितीय। स्त्री०=द्वितीया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतिवंत :
|
वि० [हिं० दुति+वंत (प्रत्य०)] १. आभायुक्त। चमकीला। प्रकाशमान्। २. शोभायुक्त। सुंदर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुती :
|
वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=द्युति (चमक)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतीय :
|
वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुतीया :
|
वि०=द्वितीय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=द्वितीया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुत्तर :
|
वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुथन :
|
स्त्री० [?] पत्नी। जोरू। (कुमाऊँ) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुथरी :
|
स्त्री० [देश०] एक तरह की मछली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंद :
|
पुं० [सं० द्वंद्व] १. दो मनुष्यों के बीच होनेवाला झगड़ा या युद्ध। द्वंद्व। २. उत्पात। उपद्रव। ऊधम। ३. हो-हल्ला। शोर-गुल। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। ४. जोड़ा। युग्म। पुं०=दुंदुभि (नगाड़ा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदका :
|
पुं० [देश०] वह कोल्हू, जिसमें ऊख पेरी जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदकारना :
|
स०=दुतकारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदभ :
|
पुं० [सं० द्वंद्व] मरणादि का क्लेश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदभि :
|
स्त्री० [सं० दुंदु√भा (शोभित होना)+कि] १. एक तरह का नगाड़ा। २. विष्णु। ३. कृष्ण। ४. वरुण। ५. एक प्राचीन पर्वत। ६. पुराणानुसार कौंच द्वीप का एक विभाग। ७. जूए में पासे का एक दाँव। ८. एक राक्षस जिसे बलि ने मारा था। ९. जहर। विष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदम :
|
पुं० [सं० दुंद√मण् (शब्द करना)+ड] एक तरह का नगाड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदमा :
|
स्त्री० [सं०] दुंदुभि पर आघात लगने से होनेवाली ध्वनि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदल :
|
वि० [सं० द्विदल] फूटने या टूटने पर जिसके दो बराबर दल या खंड हो जायँ। द्विदल। पुं० १. एक प्रकार का पहाड़ी पौधा जिसे कान-फूल और बरन भी कहते हैं। २. दे० ‘दाल’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदलाना :
|
स० [अनु०] दुतकारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदहँड़ी :
|
स्त्री०=दुधहँड़ी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदामी :
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स्त्री० [हिं० दो+दाम] पुरानी चाल का एक तरह का सूती कपड़ा। (मालवा) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदिला :
|
वि० [हिं० दो+फा० दिल] १. असमंजस या दुविधा में पड़ा हुआ। २. जिसका मन कभी एक ओर कभी दूसरी ओर होता हो। दुचित्ता। ३. चिंतित और व्यग्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदु :
|
पुं० [सं०] १. एक तरह का नगाड़ा। २. भगवान् कृष्ण के पिता वसुदेव का एक नाम। पु०= दुंदभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदुभ :
|
पुं० [सं० दुंदु√भण् (शब्द)+ड] बड़ा नगाड़ा। धौंसा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदुभि-स्वन :
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पुं० [सं० ब० स०] सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की विष-चिकित्सा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदुभिक :
|
पुं० [सं०] एक तरह का विषैला कीड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदुभी :
|
स्त्री०=दुंदभि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदुमार :
|
पुं० दे० ‘धुंधुमार’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंदुह :
|
पुं० [सं० डुंडभ] पानी में रहनेवाला साँप। डेंड़हा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुदृष्ट :
|
वि० [सं० दुर्-दृष्ट प्रा० स०] (व्यवहार) १. जिस पर ठीक और पूरा ध्यान न दिया गया हो। २. जिसका ठीक तरह से फैसला या न्याय न हुआ हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुद्धी :
|
स्त्री० [सं० दुग्धी] १.एक प्रकार की घास जिसके डंठलों में थोड़ी थोड़ी दूर पर गाँठें होती हैं और जिनके दोनों ओर एक-एक पत्ती होती है। २. थूहर की जाति का एक छोटा पौधा जो भारतवर्ष के सब गरम प्रदेशों में होता है। इसका दूध दमे या श्वास के रोग में दिया जाता है। ३. सारिवा नाम की लता। ४. जंगली नील। ५. एक प्रकार का बड़ा पेड़ जो मध्य प्रदेश और राजस्थान में होता है। स्त्री० [हिं० दूध] १. दूधिया नाम की मिट्टी। खड़िया। २. एक प्रकार का धान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुद्रुम :
|
पुं० [सं० दुर्-द्रुम प्रा० स, पृषों० रलोप] प्याज का हरा पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुध :
|
पुं० [ हिं० दूध] १. ‘दूध’ का वह संक्षिप्त रूप जो उसे यौ० पदों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता है। जैसे—दुध-मुँहाँ, दुध-हँडी। २. दूध। (पश्चिम)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुध-कट्टू :
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वि० [हिं० दूध+काटना] वह शिशु जिसकी माँ को दूसरी संतान हो गई हो और इस कारण या अन्य कारण से जो माँ का दूध उचित अवधि तक न पी सका हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुध-पिठवा :
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पुं० [सं० दुग्ध, हिं० दूध+सं० पिष्टक, हिं० पीठा] एक प्रकार का पकवान जो गुंधे हुए मैदे की लंबी-लंबी बत्तियों को दूध में उबाल कर बनाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुध-मुँहाँ :
|
वि० [हिं० दूध+मुँह] (शिशु) जो अभी तक अपनी माँ का दूध पीता हो। माँ का दूध पीनेवाला (छोटा बच्चा)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधमुख :
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वि०= दुध-मुहाँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधहँड़ी :
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स्त्री० [हिं० दूध+हाँड़ी] मिट्टी की वह हाँड़ी जिसमें दूध गरम किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधा :
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अव्य० [सं० द्विधा] दो प्रकार से। दो तरह से। उदा०—एकहि देव दुदेह दुदेहरे देव दुधायक देह दुहू मैं।—देव। स्त्री०=दुबिधा।# |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधाँडी :
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स्त्री० =दुधहँड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधार :
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वि० [हिं० दूध+आर (प्रत्य०)] १. दूध देनेवाली। जो दूध देती हो। जैसे—दुधार गौ। २. जिसमें दूध रहता या होता हो। वि०=दुधारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधारा :
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वि० [हिं० दो+धार] [स्त्री० दुधारी] जिसमें दोनों ओर धार हो (तलवार, छुरी आदि)। जैसे—दुधारा खाँडा। पुं० एक प्रकार का चौड़ा खाँड़ा जिसमें दोनों ओर धार होती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधारी :
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स्त्री० [हिं० दूध+आर (प्रत्य०)]एक प्रकार की कटार जिसमें दोनों ओर धार होती हैं। वि० १.=दुधार। २. ‘दुधारा’ का स्त्री०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधारु :
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वि०, स्त्री०=दुधार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधित :
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वि० [सं०] १. पीड़ित। २. व्याकुल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधिया :
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वि०, पुं०, स्त्री०=दूधिया। विशेष— ‘दुधिया’ के यौ० के लिए देखें ‘दूधिया’ के यौ०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधेली :
|
स्त्री० [सं० दुग्धी] थूहर की जाति का दुद्धी नाम का पौधा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुधैल :
|
वि०=दुधार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुध्र :
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वि० [सं० दुर्√धृ (धारण)+क, पृषो० सिद्धि] हिंसक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनया :
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पुं० [सं० द्वि०, हिं० दो+सं० नदी, प्रा० णई] दो नदियों का संगम-स्थान। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनरना :
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अ०, स०=दुनवना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनवना :
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अ० [हिं० दो+नवना=झुकना] नरम या लचीली चीज का इस प्रकार झुकना कि उसके दोनों छोर एक दूसरे से मिल जायँ अथवा पास-पास हो जायँ। लचकर दोहरा हो जाना। स० १. झुका या लचाकर दोहरा करना। २. कुचल या रौंदकर नष्ट-भ्रष्ट करना। उदा०— तरनि जवार नभवार नभतरनि जै तरनि दैव तरनि कै दुखत्तम दुने हैं।—देव। ३. धुनना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनहुँ :
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वि०=दोनों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनाली :
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वि० स्त्री० [हिं० दो+नाल] जिसमें दो नल या नलियाँ हों।स्त्री० एक प्रकार की बंदूक जिसके आगे दो नलियाँ होती हैं और जिसमें से दो गोलियाँ एक साथ छूटती या निकलती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनावा :
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वि० [हिं० दो+नाल=खाँचा] [स्त्री० दुनावी] (कटार, तलवार आदि का फल) जिस पर दो खाँचे बने हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियवी :
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वि०=दुनियावी (सांसारिक)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनिया :
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स्त्री० [अ० दुन्या] १. जगत। संसार। मुहा०—दुनिया की हवा लगना=(क) सांसारिक बातों का अनुभव होना। (ख) संसार में होनेवाले अनुचित कार्यों की ओर प्रवृत्त होना। दुनिया से उठ जाना या चल बसना=मर जाना। पद—दुनिया के परदे पर=सारे संसार में। दुनिया भर का=बहुत अधिक परंतु व्यर्थ का अथवा इधर-उधर का। २. संसार के लोग। लोक। जनता। जैसे—जरा यह तो सोचो कि दुनिया क्या कहेगी। ३. संसार और घर-गृहस्थी के झगड़े-बखेड़े। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियाई :
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वि० [अ० दुन्या+हिं० ई० (प्रत्य०)] सांसारिक। लौकिक स्त्री०=दुनिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियादार :
|
पुं० [फा०] [भाव० दुनियादारी] १. सांसारिक प्रपंच में फँसा हुआ मनुष्य। संसारी। गृहस्थ। २. जो सांसारिक आचरण, व्यवहार आदि में कुशल या दक्ष हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियादारी :
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स्त्री० [फा०] १. सांसारिक कार्यों और घर-गृहस्थी का निर्वाह। २. सांसारिक कार्यों और घर-गृहस्थी के झगड़े-बखेड़े या प्रपंच। ३. संसार में रहकर उचित ढंग से आचरण या व्यवहार करने का कौशल या योग्यता। ४. लोकाचार। ५. ऐसा आचरण या व्यवहार जो केवल लौकिक दृष्टि से या लोगों को दिखलाने भर के लिए किया जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियावी :
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वि० [अ० दुन्यवी] दुनिया का। संसार-संबंधी। सांसारिक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियासाज :
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पुं० [अ० दुन्या+फा० साज] [भाव० दुनियासाजी] लोगों के रंग-ढंग देखकर उन्हीं के अनुसार आचरण या व्यवहार करते हुए अपना काम चलाने या निकालने वाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनियासाजी :
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स्त्री० [हिं० दुनियासाज] १. दुनियासाज होने की अवस्था या भाव। २. लोगों के रंग-ढंग देखकर उन्हीं के अनुसार आचारण या व्यवहार करके अपना काम निकालने का कौशल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनी :
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स्त्री० [अ० दुन्या] संसार। जगत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुनो (नों) ना :
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अ०, स०=दुनवना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपटा :
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पुं० [स्त्री० अल्पा० दुपटी]=दुपट्टी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपटी :
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स्त्री० [हिं० दुपटा] १. छोटा दुपट्टा। २. चादर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपट्टा :
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पुं० [हिं० दो+पाट] [स्त्री० अल्पा० दुपट्टी] १. स्त्रियों के सिर पर ओढ़ने का वह कपड़ा जो दो पाटों को जोड़कर बना हो। दो पाट की ओढ़ने की चद्दर। मुहा०—(मुँह पर) दुपट्टा तान कर सोना=निश्चिंत होकर सोना। बेखटके सोना। (किसी से) दुपट्टा बदलना=किसी को अपनी सहेली बनाना। २. कंधे या गले पर डालने का लंबा कपड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपद :
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पुं०=द्विपद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपर्दी :
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स्त्री० [हिं० दो+फा० पर्दा] एक तरह की बगलबंदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपहर :
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स्त्री०=दोपहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपहरिया :
|
स्त्री० [ हिं० दो+पहर] १. मध्याह्न का समय। दोपहर।२. गुल-दुपहरिया नाम का पौधा और उसका फूल। वि० जिसका गर्भाधान दोपहर को हुआ हो, अर्थात् बहुत दुष्ट या पाजी। (बाजारू) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपहरी :
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स्त्री०=दुपहरिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुपी :
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पुं० [सं० द्विप] हाथी। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुफसला :
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वि० [हिं० दो+अ० फस्ल] [स्त्री० दुफसली] दोनों फसलों में उत्पन्न होनेवाला। जो रबी और खरीफ दोनों में हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुफसली :
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वि० [हिं० दुफसला] १. जिसके दो रुख या पक्ष हों। दोनों तरह का। जैसे—तुम तो हमेशा दुफसली बातें करते हो। २. दे० ‘दुफसला।’ |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुब-ज्यौरा :
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पुं० [हिं० दूब+जेंवरी] गले में पहनने का एक गहना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंबक :
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पुं० [सं०] १. एक तरह का मेढ़ा। दुंबा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबकना :
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अ०=दबकना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबड़ा :
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पुं० [हिं० दूब] एक तरह की घास। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबधा :
|
स्त्री०=दुविधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबया :
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पुं० दे० ‘हुदहुद’ (पक्षी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबरा :
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वि० [भाव० दुबराई]=दुबला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबराना :
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अ०, स०=दुबलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबराल गोला :
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पुं० [हिं० दो+अं० बैरल+हिं० गोला] तोप का लंबों-तरा गोला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबराल पलंग :
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पुं० [ हिं० दुबराल+अं० पुलिंग] पाल की वह डोरी जिसे खींचकर पाल के पेट की हवा निकालते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबला :
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वि० [सं० दुर्बल] [स्त्री० दुबली, भाव० दुबलापन] १. क्षीण शरीरवाला। हलके और पतले बदनवाला। कृश। २. कम शक्ति वाला। निर्बल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबलाना :
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अ० [हिं० दुबला] दुबला होना। जैसे—चार दिन के बुखार में लड़का दुबला गया है। स० किसी को दुबला करना। जैसे—चिन्ता ने उन्हें दुबला दिया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबलापन :
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पुं० [हिं० दुबला+पन] दुबले होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंबा :
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पुं० [फा० दुंबालः] मेढ़ों की एक जाति जिनकी दुम चक्की की पाट की तरह गोल भारी होती है। २. उक्त जाति का मेढ़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबाइन :
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स्त्री० [हिं० ‘दूबे’ का स्त्री०] १. दूबे जाति की स्त्री। २. ‘दूबे’ की पत्नी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबागा :
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पुं० [हिं० दो+फा० बाग=लगाम] सन की बटी हुई मोटी रस्सी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबारा :
|
क्रि० वि० [फा० दुबारः] दोबारा। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंबाल :
|
पुं० [फा० दुंबालः] १. चौड़ी पूँछ। २. नाव की पतवार। ३. जहाज या नाव का पिछला भाग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबाला :
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वि०=दोबाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबाँहिया :
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वि० [सं० द्विबाहु] जो दोनों हाथों से कोई काम समान रूप से कर सकता हो। पुं० वह योद्घा जो दोनों हाथों से तलवार चलाता या चला सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबिद :
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पुं०=द्विविद (वानर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबिध :
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स्त्री०=दुबिधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबिधा :
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स्त्री०=दुविधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबिसी :
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स्त्री० [हिं० दो+बीच] ऐसी स्थिति जिसमें मनुष्य कुछ निर्णय न कर पा रहा हो। दुविधा की स्थिति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबीचा :
|
पुं० [हिं० दो+बीच] १. दो परस्पर विरोधी बातों आदि के बीच की ऐसी स्थिति जिसमें सहसा किसी पक्ष में निर्णय न हो सके। असमंजस। दुबिधा। २. अनिष्ट की आशंका। खटका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंबुर :
|
पुं० [सं० उदुंबर] गूलर की जाति का एक पेड़ जिसकी टहनियों पर कुछ विशिष्ट कीड़े लाख बनाते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुबे :
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पुं०=दूबे (द्विवेदी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभाखी :
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पुं०=दुभाषिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभालिया :
|
पुं० [हिं० दो+भाला] एक तरह का दो फलोंवाला अस्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभाषिया :
|
वि० [सं० द्विभाषी] दो भाषाएँ जानने और बोलनेवाला। पुं० ऐसा व्यक्ति जो दो विभिन्न भाषा-भाषियों को एक दूसरे की बातें समझाता और उनके भावों के आदान-प्रदान का माध्यम बनता हो। मध्यस्थ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभाषी :
|
वि०, पुं० [सं० द्विभाषिन्] दुभाषिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभिख :
|
पुं०=दुर्भिक्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुभुज :
|
वि०=द्विभुज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुम :
|
स्त्री० [फा०] १. पशुओं तथा रीढ़वाले अन्य जंतुओं के पिछले भाग में लटकता रहनेवाला लचीला मांसल लंबा अंग जिस पर प्रायः बाल भी होते हैं। पूँछ। जैसे—हाथी या शेर की दुम, चूहे या नेवले की दुम। विशेष—(क) पक्षियों का उक्त भाग कड़े तथा घने पंखों का बना होता है। (ख) सरी-सृपों आदि में उनका पिछला अंश दूसरे भाग की अपेक्षा पतला होता है। जैसे-साँप की दुम। मुहा०—(किसी की) दुम के पीछे लगे फिरना=किसी के पीछे-पीछे लगे फिरना। दुम दबाकर भागना= डरपोक कुत्ते की तरह डरकर पीछे हटना या भागना। दुम दबा जाना=(क) डर के मारे पीछे हट जाना। डर से भाग जाना। (ख) डरकर चुपचाप जहाँ के तहाँ बैठे रहना। (किसी के सामने) दुम हिलाना=कुत्ते की तरह दीन बनकर किसी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करना। २. लाक्षणिक रूप में, किसी वस्तु का अंतिम या पिछला लंबा तथा लचीला सिरा जो देखने में दुम के समान जान पड़े। जैसे—गुड्डी या पतंग की दुम। मुहा०—(किसी बात का) दुम में घुसना=गायब हो जाना। दूर हो जाना। जैसे—सारी शेखी दुम में घुस गई। (किसी की) दुम में घुसा रहना=खुशामद के मारे पीछे-पीछे घूमना या लगे रहना। ३. किसी बड़े तारे के पीछे के छोटे-छोटे तारे जो एक पंक्ति में हों। ४. किसी के पीछे-पीछे लगा रहनेवाला हीन व्यक्ति। ५. किसी काम या बात का अंतिम और तुच्छ अंश या भाग। पुं०=द्रुम (वृक्ष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमची :
|
स्त्री० [फा०] १. घोड़े के साज में वह तमसा जो पूँछ के नीचे दबा रहता है। २. कमर के नीचे दोनों चूतडों के बीच की हड्डी। ३. पतली या हलकी डाल अथवा शाखा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमंजिला :
|
वि० [फा०] [स्त्री० दुमंजिली] (घर या मकान) जिसमें दो मंजिल अर्थात खंड या तल्ले हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमदार :
|
वि० [फा०] १.जिसे दुम हो। पूँछवाला। पुच्छल। २. जिसके पीछे या साथ दुम की तरह कोई पतली लंबी चीज लगी हो। जैसे—दुमदार तारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमन :
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वि० दे० ‘दुचित्ता’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमात :
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स्त्री० =दुमाता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमाता :
|
स्त्री० [सं० दुर्मातृ] १. बुरी माता। २. सौतेली माँ। विमाता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमाला :
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पुं० [हिं० दो+ माला] पाश। फंदा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमाहा :
|
[वि० हिं० दो+माह] १. दो महीने की अवस्थावाला। २. हर दो महीने पर होनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुमुँहा :
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वि० [हिं० दो+मुँह] १. जिसके दो मुँह हों। २. जिसके दोनों ओर मुँह हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर :
|
अव्य० [हिं० दूर] एक अव्यय जिसका प्रयोग किसी को तिरस्कार पूर्वक दूर हटाने के लिए होता है और जिसका अर्थ है— ‘दूर हो।’ पद—दूर-दूर फिट फिट=बहुत बुरी तरह से या परम तुच्छ और हीन समझकर किया जानेवाला तिरस्कार। मुहा०—(किसी को) दुर दुर करना=तिरस्कारपूर्वक कुत्ते की तरह हटाना या भगाना। पुं० [फा०] १. मोती। मुक्ता। २. नाक में पहनने का मोती का लटकन। बुलाक। लोलक। ३. कान में पहनने की ऐसी छोटी वाली जिसमें मोती पिरोये हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरक्ष :
|
वि० [सं० दुर्-अक्षि ब० स०] १. जिसे कम दिखाई पड़ता हो। २. बुरी या दूषित निगाहवाला। पुं० [दुर्-अक्ष प्रा० स०] १. जूए में बेईमानी करने के लिए खास तौर से बनाया हुआ पासा। २. उक्त पासे पर खेला जानेवाला जूआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरखा :
|
पुं० [देश०] [स्त्री० दुरखी] एक प्रकार का फतिंगा जो गेहूँ, तमाकू, नील, सरसों आदि की खेती को हानि पहुँचाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंग :
|
पुं० [सं० दुर्ग] किला। गढ़। (राज०) उदा०—लड़ नह लीधो जाय ओ दीघो जाय दुरंग।—बाँकीदास। वि०=दुरंगा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंगा :
|
वि० [हिं० दो+रंग] [स्त्री० दुरंगी, भाव० दुरंगापन] १. दो रंगोंवाला। जिसमें दो रंग हों। २. दो तरह या प्रकार का। ३. दो तरह का अर्थात् दोहरी चाल चलनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंगी :
|
स्त्री० [हिं० दोरंगा] १. दो रंगों या प्रकारों के होने का भाव। दोरंगापन। २. दो तरह का अर्थात् कभी इस पक्ष के अनुकूल और कभी उस पक्ष के अनुकूल किया जानेवाला आचारण या व्यवहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरचुम :
|
पुं० [देश०] दरी के ताने के दो-दो सूतों को इसलिए एक में बाँधना कि वे उलझ न जायँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरजन :
|
पुं०=दुर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरजोधन :
|
पुं०=दुर्योधन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंत :
|
वि० [सं० दूर-अंत प्रा० ब० स०] १. जिसका अंत या पार पाना कठिन हो। अपार उदा०—द्रौपदी का यह दुरंत दुकूल है।—पंत। २. बहुत कठिन। दुस्तर। ३. तीव्र। प्रचंड। ४. बहुत विकट। घोर। ५. खल। दुष्ट। ६. जिसका अंत या परिणाम बहुत बुरा हो या होने को हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंतक :
|
पुं० [सं० दुरंत+कन्] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंतर :
|
पुं० [सं० दुरंत] १. कठिन। २. दुर्गम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरति :
|
स्त्री० [हिं० दु+सं० रति] १. दो परस्पर विरोधी या विभिन्न बातों के प्रति होनेवाली रति या अनुराग। २. द्वैध-भाव। उदा०—दुरित दूर करो नाथ, अशरण हूँ गहो हाथ-निराला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरतिक्रम :
|
वि० [सं० दुर्-अति√क्रम (गति)+खल्] १.जिसका अतिक्रमण या उल्लंघन सहज में न हो सके अर्थात् प्रबल या विकट। २. जिसका या जिससे पार पाना बहुत कठिन हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरत्यय :
|
वि० [सं० दुर्-अति√इ (गति)+खल्] १. जिसका या जिससे पार पाना कठिन हो। २. जिसका अतिकमण सहज न हो। दुस्तर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरथल :
|
पुं० [सं० दुःस्थल] १. बुरा स्थान। २. कुठाँव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)उदा०—दुरदिन परे रहीम कहि दुरथल जैयत भाग।—रहीम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरद :
|
पुं०=द्विरद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरदाम :
|
वि०=दुर्दम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरदाल :
|
स० [स० द्विरद] हाथी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरदुराना :
|
स० [हिं० दुरदुर] दुरदुर कहते हुए तिरस्कारपूर्वक दूर करना। अपमान करते हुए भगाना या हटाना। संयो० क्रि०—देना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरदृष्ट :
|
वि० [सं० दुर्-अदृष्ट प्रा० ब० स०] अभागा। पुं० १. दुर्भाग्य। २. पाप। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरंधा :
|
वि० [ सं० द्विरंध्र] १. जिसमें दो छेद हों। २. जिसके दोनों ओर छेद हो। ३. आर-पार छिदा हुआ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरधिगम :
|
वि० [सं० दुर-अधि√गम् (जाना)+खल्] १. जिसके पास पहुँचना बहुत कठिन हो। २. जिसे प्राप्त करना बहुत कठिन हो। दुर्लभ। दुष्प्राप्य। ३. जो जल्दी समझ में न आवे। दुर्बोध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरधिष्ठित :
|
वि० [सं० दुर्-अधि√स्था (स्थिति)+क्त] १. बुरी तरह से किया हुआ। २. अव्यवस्थित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरधीत :
|
पुं० [सं० दुर्-अधीत प्रा० स०] वेदों का अशुद्ध उच्चारण तथा अशुद्ध स्वर में किया जानेवाला अध्ययन या पाठ। वि० बुरी तरह से पढ़ा जानेवाला या पढ़ा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरधुरा :
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स्त्री० [यू० दुरोथोरिया] बृहज्जातक के अनुसार जन्म कुंडली का एक योग जिसमें अनफा और सुनफा दोनों योगों का मेल होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरध्व :
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वि० [सं० दुर्-अध्वन् प्रा० स०, अच्] जिस पर चलना कठिन हो। पुं० १. कुमार्ग। १. विकट मार्ग। बीहड़ रास्ता। उदा०—चलना होगा कब तक दुरध्व पर हृदय बाल।—दिनकर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरना :
|
अ० [हिं० दूर] १. किसी का आँखों से दूर होना। आड़ या ओट में होना। २. प्रत्यक्ष या सामने न होना। छिपना। संयो० क्रि०—जाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरन्वय :
|
वि० [सं० दुर्-अनु√ इ (गति)+खल्] दुष्प्राप्य। पुं० अशुद्घ निष्कर्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरपदी :
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स्त्री०=द्रौपदी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरपवाद :
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पुं० [सं० दुर्-अपवाद प्रा० स०] १. निदा। २. बदनामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबचा :
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पुं० [फा० दुर+हिं० बच्चा] ऐसी छोटी बाली जिसमें एक ही मोती हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबल :
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वि०=दुर्बल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबस :
|
पुं०=दुर्वासा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबार :
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वि० [सं० दुर्वार] जिसका निवारण न किया जा सके।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबास :
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स्त्री० [सं० दुर्वास] बुरी गंध। दुर्गंध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबीन :
|
स्त्री०=दूरबीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरबेस :
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पुं०=दरवेश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरभिग्रह :
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वि० [ सं० दुर्-अभि√ ग्रह, (पकड़ना)+खल्] जो सरलता से पकड़ा न जा सके। पुं० अपामार्ग। चिचड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरभिग्रहा :
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स्त्री० [सं० दुरभिग्रह+टाप्] १. केवाँच। कौंछ। २. धमासा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरभिसंधि :
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स्त्री० [सं० दुर्-अभिसंधि प्रा० स०] दुष्ट उद्देश्य से की जानेवाली मंत्रणा सलाह। कुमंत्रणा। षड्यंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरभेव :
|
पुं०=दुर्भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरमति :
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वि० स्त्री०=दुर्मति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरमुट :
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पुं०=दुरमुस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरमुस :
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पुं० [सं० दुर (उप०)+मुस=कूटना] जमीन पीटकर समतल करने का पत्थर का गोल टुकड़ा जो लंबे डंडे में जड़ा रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरलभ :
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वि०=दुर्लभ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवग्रह :
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वि० [सं० दुर्-अव√ग्रह (पकड़ना) खल्] जिसे रोकना अथवा नियंत्रित करना कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवधार्य :
|
वि० [सं० दुर्-अव√ध् (धारण)+ण्यत्] १. जिसका अवधारण सहज में न हो सके। २. जो ठीक तरह से ठहरा या बना न रह सके। ३. (भार) जो सहज में सँभाला न जा सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवस्थ :
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वि० [सं० दुर्-अवस्था प्रा० ब० स०] हीन अवस्था में पड़ा हुआ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवस्था :
|
स्त्री० [सं० दुर्-अवस्था प्रा० स०] १. बुरी दशा। २. कष्ट, दरिद्रता आदि के कारण होनेवाली हीन अवस्था। ३. दुर्दशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवाप :
|
वि० [सं० दुर्-अव√आप् (प्राप्त)+खल्] दुष्प्राप्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरवार :
|
वि०=दुर्वार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरस :
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पुं० [हिं० दो+औरस] सहोदर भाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराउ :
|
पुं०=दुराव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराक :
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पुं० [सं०] १. एक प्राचीन म्लेच्छ जाति। २. एक प्राचीन देश जिसमें उक्त जाति रहती थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराक्रम :
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वि० [सं०] दुर्जय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराक्रमण :
|
पुं० [सं० दुर्-आक्रमण प्रा० स०] १. कपटपूर्ण आक्रमण। २. ऐसा स्थान जहाँ जाना या पहुँचना कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरागम :
|
पुं० [सं० दुर्-आ√गम् (जाना)+खल्] अनुचित या अवैध रूप से आना, मिलना या प्राप्त होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरागमन :
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पुं०=द्विरागमन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरागौन :
|
पुं० [द्विरागमन] वधू का दूसरी बार अपनी ससुराल जाना। द्विरागमन। गौना। क्रि० प्र०—करना।—कराना।—लाना। मुहा०—दुरागौन देना=लड़की को दूसरी बार ससुराल भेजना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराग्रह :
|
पुं० [सं० दुर-आ√ग्रह (ग्रहण)+खल्] १. किसी काम या बात के लिए ऐसा आग्रह जो उचित या उपयुक्त न हो। अनुचित जिद या हठ। २. अपना कथन या मत ठीक न होने पर भी जिद करते हुए उसे ठीक कहते या मानते रहने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराग्रही (हिन्) :
|
वि० [सं० दुराग्रह+इनि] दुराग्रह या अनुचित हठ करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराचरण :
|
पुं० [सं० दुर-आचरण प्रा० स०]=दुराचार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराचार :
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पुं० [सं० दुर्-आचार प्रा० स०] अनुचित और निंदनीय आचरण। बुरा चाल-चलन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराचारी (रिन्) :
|
वि० [सं० दुराचार+इनि] [स्त्री० दुराचारिणी] दुराचरण या दुराचार करनेवाला। बदचलन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराज :
|
पुं० [सं० द्विराज्य] १. ऐसा राज्य या शासन जिसमें दो राजा मिलकर एक साथ शासन करते हो। २. ऐसा प्रदेश या स्थान जहाँ उक्त प्रकार का राज्य या शासन हो। पुं० [सं० दुर+राज्य] १. बुरा राज्य। २. बुरा शासन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराजी :
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वि० [सं० दुराज्य] १. जिस पर दो राजाओं का अधिकार हो। २. जिसमें दो राजे हों। पुं०=दुराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरात्मा (त्मन्) :
|
वि० [सं० दुर-आत्मन् प्रा० ब० स०] नीच। दुष्ट प्रकृतिवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरादुरी :
|
स्त्री० [हिं० दुरना=छिपना] छिपाव। दुराव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधन :
|
पुं० [सं०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधर :
|
पुं० [सं०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधर्ष :
|
वि० [सं० दुर्-आ√धृष् (दबाना)+अच्] १. जिसका दमन करना कठिन हो। २. जो बहुत कठिनाई से जीता जा सके। ३. उग्र। प्रचंड। प्रबल। पुं० १. विष्णु का एक नाम। २. पीली सरसों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधर्षता :
|
स्त्री० [सं० दुराधर्ष+तल्—टाप्] १. दुराधर्ष होने की अवस्था या भाव। २. प्रचंडता। प्रबलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधर्षा :
|
स्त्री० [सं० दुराधर्ष+टाप्] कुटुंबिनी का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराधार :
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पुं० [सं० दुर्-आ√धृ (धारणा)+णिच्+खल्] महादेव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरानम :
|
वि० [सं० दुर्-आ√नम् (झुकना)+णिच्+ऋखल्] जिसे कठिनाई से झुकाया या दबाया जा सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराना :
|
अ० [हिं० दूर] १. दूर होना। हटना। २. आड़ या ओट में होना। छिपना। स० १. दूर करना। हटाना। २. गुप्त रखना। छिपाना। ३. छोड़ना। त्यागना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराप :
|
वि० [सं० दुर्√आप् (प्राप्ति)+खल्] जिसे प्राप्त करना कठिन हो। दुर्लभ। दुष्प्राप्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराबाध :
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पुं० [सं० दुर्-आ√बाध् (पीड़ा)+खल्] शिव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराराध्य :
|
वि० [सं० दुर्-आ√राध् (सिद्धि)+ण्यत्] जिसे आराधन से प्रसन्न या संतुष्ट करना बहुत कठिन हो। पुं० विष्णु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरारुह :
|
पुं० [सं० दुर्-आ√रुह् (चढ़ना)+क] १. बेल। २. नारियल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरारुहा :
|
स्त्री० [सं० दुरारुह+टाप्] खजूर का पेड़। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरारोह :
|
वि० [सं० दुर्-आ+रुह+खल्] जिस पर कठिनता से चढ़ा जा सके। पुं० ताड़ का पेड़। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरारोहा :
|
स्त्री० [सं० दूरारोह+टाप्] १. सेमल का पेड़। २. खजूर का पेड़। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालंभ :
|
वि० [सं० दुर्-आ√ (पाना)+खल्, नुम्]=दुरालभ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालभ :
|
वि० [सं० दुर्-आ√लभ् खल्] दुर्लभ। दुष्प्राप्य। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालभा :
|
स्त्री० [सं० दुरालभ+टाप्] १. जवासा। धमासा। हिंगुंवा। २. कपास। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालाप :
|
पुं० [सं० दुर्-आलाप प्रा० स०] [वि० कर्ता दुरालापी] १. अनुचित या बुरी बातचीत। २. गाली। दुर्वचन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालापी (पिन्) :
|
वि० [सं० दुरालाप+इनि] बुरी बातें या दुर्वचन कहनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरालोक :
|
वि० [सं० दुर्-आलोक प्रा० स०] जो सरलता से देखा न जा सके। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराव :
|
पुं० [हिं० दुराना+आव (प्रत्य०)] १. कोई भेदपूर्ण बात अथवा मनोभाव गुप्त रखने की क्रिया या भाव। छिपाव। २. किसी के प्रति होनेवाली कपटपूर्ण भावना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरावार :
|
वि० [सं० दुर्-आ√वृ (वर्जन)+घञ्] जिसका वारण करना बहुत कठिन हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराश :
|
वि० [सं० दुर्-आशा ब० स०] जिसे दुराशा हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराशय :
|
पुं० [सं० दुर्-आशय प्रा० स०] [भाव० दुराशयता]दुष्ट या बुरा आशय। बुरी नीयत। वि० दुष्ट या बुरे आशयवाला। बद-नीयत। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुराशा :
|
स्त्री० [सं० दुर्-आशा प्रा० स०] १. अनुचित या बुरी आशा। २. व्यर्थ की आशा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरासद :
|
वि० [सं० दुर्-आ√सद् (प्राप्ति)+खल्] १. दुष्प्राप्य। २. कठिन। दुस्साध्य। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरासा :
|
स्त्री०=दुराशा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरित :
|
पुं० [सं० दुर्-इत प्रा० ब० स०] १. पाप। २. पापी। ३. पातक। ४. पातकी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरित-दमनी :
|
स्त्री० [ष० त०] शमी वृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरियाना :
|
स० [सं० दूर] १. दूर करना या हटाना। २. दे० ‘दुरदुराना’। अ० दूर हटना या होना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरिष्ट :
|
पुं० [सं० दुर्-इष्ट प्रा० स०] १. पाप। पातक। २. उच्चाटन, मारण, मोहन आदि अभिचारों की सिद्धि के लिए किया जानेवाला यज्ञ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरिष्टि :
|
स्त्री० [सं० दुर्-इष्टि प्रा० स०] दुरिष्ट यज्ञ। अभिचारार्थ यज्ञ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरी :
|
स्त्री० [सं० डः] बुरे दिन। दुर्दिन। उदा०—दिन नेड़द् आइयाँ दुरी।—प्रिथीराज। वि० खराब। बुरा। (राज०) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरीषणा :
|
स्त्री० [सं० दुर्-ईषणा प्रा० स०] १. किसी के अहित की कामना। अनुचित या बुरी इच्छा। २. शाप। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुक्त :
|
वि० [सं० दुर्-उक्त प्रा० स०] बुरी तरह से कहा हुआ। स्त्री०= दुरुक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुक्ति :
|
स्त्री० [सं० दुर्-उचित प्रा० स०]१. खराब या बुरी युक्ति अथवा कथन। २. गाली। दुर्वचन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुखा :
|
वि० [फा० दुरुखः] [स्त्री० दुरुखी] १. जिसके दो रुख या मुँह हों। २. जिसके दोनों ओर मुँह हों। ३. जिसके दोनों ओर किसी एक प्रकार का अंकन या चिह्न हो। जैसे—दुरुखी छींट, दुरुखा शाल। ४. जिसके दोनों ओर दो प्रकार के अंकन, चिन्ह या रंग हों। जैसे—दुरुखा कपड़ा, दुरुखा किनारा, दुरुखी छपाई। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुच्छेद :
|
वि० [सं० दुर्-उद्√छिद् (काटना)+खल्] जिसका उच्छेदन कठिनता से हो सके। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुत्तर :
|
वि० [सं० दुर्-उद्√तृ (पार होना)+खल्] जिसका पार पाना कठिन हो। दुस्तर। पुं० [दुर्-उत्तर प्रा० स०] दुष्ट या बुरा उत्तर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुत्साहक :
|
पुं० [सं० दुर्-उत्साह प्रा० ब० स०] वह जो किसी को किसी अनुचित या नियम के विरुद्घ कार्य में या किसी दुष्ट उद्देश्य से प्रवृत्त करे या लगावे। (एबेटर) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुत्साहन :
|
पुं० [सं० दुर्-उत्साहन प्रा० स०] किसी को कोई अनुचित या विधि-विरुद्ध कार्य के लिए उत्साहित या प्रवृत्त करना। (एबेटमेन्ट) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुत्साहित :
|
भू० कृ० [सं० दुर्-उद्√सह् (सहना)+णिच्+क्त] जिसे किसी ने किसी अनुचित कार्य के लिए उकसाया हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुद्वह :
|
वि० [सं० दुर्-उद्√वह (ढोना)+खल्] जिसे वहन या सहन करना बहुत कठिन हो। दुर्वह। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुपयोग :
|
पुं० [सं० दुर्-उपयोग प्रा० स०] किसी चीज या बात का ठीक ढंग या प्रकार से अथवा उपयुक्त अवस्था या समय में उपयोग न करके अनुचित रूप से किया जानेवाला या बुरा उपयोग। जैसे—अधिकारों का दुरुपयोग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुपयोजन :
|
पुं० [सं० दुर्-उप√युज् (योग)+णिच्+ल्युट्—अन] दुरुपयोग करने की क्रिया या भाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुफ :
|
पुं० [?] नीलकंठ ताजिक के मतानुसार फलित ज्योतिष में एक योग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुम :
|
पुं० [देश०] एक प्रकार का गेहूँ जिसका दाना पतला और लंबा होता है। पुं०= द्रुम (वृक्ष)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुस्त :
|
वि० [फा०] [भाव० दुरुस्ती] १. जिसमें भूल, दोष या विकार न हो अथवा निकाल या दूर कर दिया गया हो। २. जो अच्छी या ठीक दशा में हो। मुहा०—(किसी को) दुरुस्त करना=इस प्रकार किसी को दंडित करना कि वह सीधे रास्ते पर आ जाय। ३. उचित। उपयुक्त। ४. यथार्थ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरुस्ती :
|
स्त्री० [फा०] १. दुरुस्त होने की अवस्था या भाव। २. दुरुस्त करने की क्रिया या भाव। शुद्धि। संशोधन। सुधार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरूह :
|
वि० [सं० दुर्√ऊह् (वितर्क)+खल्] जो जल्दी समझ में न आ सके। दुर्बोध। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरेफ :
|
पुं०=द्विरेफ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरोदर :
|
पुं० [सं०] १. जुआरी। २. जूआ। द्यूत। ३. पासा। ४. पासे से खेला जानेवाला खेल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुरौंधा :
|
पुं० [सं० द्वारोर्द्ध] दरवाजे के ऊपर की लकड़ी। भरेठा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर् :
|
उप० [सं०√दु (पीड़ित करना)+रुक् या सुक्] १. एक संस्कृत उपसर्ग जिसका प्रयोग शब्दों के आरम्भ में नीचे लिखे अर्थ या भाव सूचित करने के लिए होता है—(क) अनुचित, दूषित या बुरा। जैसे—दुरात्मा, दुर्जन, दुर्भाव। (ख) जो सहज में न हो सके अर्थात, कठिन या कष्ट-साध्य। जैसे—दुर्गम, दुर्बोध, दुर्वह। (ग) अभावपूर्ण। जैसे—दुर्बल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्कुल :
|
पुं०=दुष्कुल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग :
|
वि० [सं० दुर्√गम् (जाना)+ड](स्थान) जहाँ तक पहुँचना बहुत कठिन हो। दुर्गम। पुं० १. दु्र्गम पथ। २. बहुत बड़ा किला (विशेषतः किसी पहाड़ी पर स्थित) ३. एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका वध दुर्गा ने किया था। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-कर्म (न्) :
|
पुं० [ष० त०] दुर्ग बनाने का काम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-कारक :
|
पुं० [ष० त०] १. दुर्ग बनानेवाला कारीगर। २. एक तरह का वृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-कोपक :
|
पुं० [स० त०] किले में बगावत फैलानेवाला विद्रोही। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-तरणी :
|
स्त्री० [ष० त०] १. एक देवी का नाम। २. सावित्री। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-पाल :
|
पुं० [सं० दुर्ग√पाल् (रक्षा)+णिच्+अण्] दुर्ग अर्थात् किले का प्रधान अधिकारी और रक्षक। किलेदार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-पुष्पी :
|
पुं० [ब० स०, ङीष्] एक तरह का वृक्ष। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-रक्षक :
|
पुं० [ष० त०] दुर्गपाल। किलेदार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-लंघन :
|
पुं० [ष० त०] (रेतीले दुर्गम पथ को पार करनेवाला) ऊँट। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्ग-संचर :
|
पुं० [ष० त०] वह जिसके द्वारा या माध्यम से दुर्गम पथ पार किया जाय। जैसे—पुल, बेड़ा, सीढ़ी इत्यादि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गच्छा :
|
स्त्री० [सं०] एक प्रकार का मोहनीय कर्म जिसके उदय से मलिन पदार्थों में ग्लानि उत्पन्न होती है। (जैन) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गत :
|
वि० [ सं० दुर्√गम्+क्त] १. जिसकी दुर्गति हुई हो। २. गरीब। दरिद्र। स्त्री०=दुर्गति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गति :
|
स्त्री० [सं० दुर्√गम्+क्तिन्] १. दुर्गम होने की अवस्था या भाव। २. दुर्दशाग्रस्त होने की अवस्था या भाव। ३. दुर्दशाग्रस्त करने की क्रिया या भाव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गंध :
|
स्त्री० [सं० दुर्-गंध प्रा० स०] १. बुरी गंध या महक। बदबू। २. लोक में, किसी बुराई का होनेवाला प्रसार। पुं० [ प्रा० ब० स०] १. आम का पेड़। २. प्याज ३. काला नमक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गंधता :
|
स्त्री० [सं० दुर्गंध+तल्—टाप्] १. वह अवस्था जिसमें किसी वस्तु में से बदबू निकल रही हो। २. वह तत्त्व जिसके कारण दुर्गंध फैलती हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गम :
|
वि० [सं० दुर्√गम्+खल्] [भाव० दुर्गमता] १. जिसमें गमन करना अर्थात् जाना, चलना या आगे बढ़ना बहुत कठिन हो। २. जिसे जानना या समझना कठिन हो। दुर्बोध। ३. कठिन। विकट। पुं० १. दुर्ग। किला। गढ़। २. जंगल। वन। ३. संकटपूर्ण स्थान या स्थिति। ४. विष्णु का एक नाम। ५. एक असुर का नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गमता :
|
स्त्री० [सं० दुर्गम+तल्—टाप्] दुर्गम होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गमनीय :
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वि० [सं० दुर्√गम्+अनीयर्] दुर्गम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गल :
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पुं० [सं०] एक प्राचीन देश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गा :
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पुं० [सं० दुर्ग+टाप्] १. आदि शक्ति के रूप में मानी जानेवाली एक प्रसिद्ध देवी जिसका यह नाम दुर्ग राक्षस का वध करने के कारण पड़ा था। २. नौ वर्षों की अवस्थावाली कन्या। ३. नील का पौधा। ४. अपराजिता। ५. श्यामा पक्षी। ६. गौरी, मालश्री, सारंग और लीलावती के योग से बनी हुई एक संकर रागिनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गा-कल्याण :
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पुं० [सं०] ओडव संपूर्ण जाति का एक राग जो रात के पहले पहर में गाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गा-नवमी :
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स्त्री० [मध्य० स०] १. कार्तिक शुक्ल नवमी जिस दिन दुर्गा के पूजन का विधान है। २. चैत्र शुक्ल नवमी। ३. आश्वनी शुक्ल नवमी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गा-पूजा :
|
स्त्री० [ष० त०] १. दु्र्गा का पूजन। २. चैत्र और आश्विन के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिन जिनमें लोग दुर्गा या देवी की प्रतिमा स्थापित करके उसका पूजन करते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्गाधिकारी (रिन्) :
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पुं० [सं० दुर्ग-अधिकारिन् ष० त०] [स्त्री० दुर्गाधिकारिणी] दुर्ग का प्रधान अधिकारी। किलेदार। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्गापाश्रया भूमि :
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स्त्री० [सं० दुर्ग-अपाश्रया ष० त०, दुर्गापाश्रया भूमि व्यस्त पद] वह भूमि जिसमें अनेक किले हों। |
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दुर्गाष्टमी :
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स्त्री० [दुर्गा-अष्टमी मध्य० स०] १. आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी। २. चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी। |
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दुर्गाह्य :
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वि० [सं० दुर्√गाह्+ण्यत्] जिसका अवगाहन करना बहुत कठिन हो। |
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दुर्गाह्व :
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पुं० [सं० दुर्गा-आ ह्वा ब० स०] भूमि गूगल। |
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दुर्गुण :
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पुं० [सं० दुर्-गुण प्रा० स०] १. व्यक्ति में होनेवाली ऐसी दूषित स्वभावजन्य क्रियाशीलता जिसके कारण वह बुरे कामों में प्रवृत्त होता है। ऐब। २. किसी पदार्थ में होनेवाला ऐसा दोष जिससे विकार उत्पन्न होता हो। |
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दुर्गुणी (णिन्) :
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वि० [सं० दुर्गुण+इनि] जिसमें दुर्गुण या ऐब हों। |
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दुर्गेश :
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पुं० [सं० दुर्ग-ईश ष० त०] १. दुर्ग का स्वामी। २. दुर्ग का प्रधान अधिकारी। |
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दुर्गोत्सव :
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पुं० [सं० दुर्गा-उत्सव मध्य० स०] चैत्र तथा आश्विन के नवरात्रों में मनाया जानेवाला उत्सव जिसमें दुर्गा का पूजन किया जाता है। |
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दुर्ग्रह :
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वि० [सं० दुर्√ग्रह (पकड़ना)+खल्] १. जिसे कठिनता से पकड़ा अर्थात् अधिकार में किया जा सके। २. कठिनता से समझ में आनेवाला। दुर्बोध। पुं० १. अपामार्ग। चिचड़ा। २. [दुर्-ग्रह प्रा० स०] बुरा या अनिष्टकारक ग्रह। |
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दुर्ग्राह्य :
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वि० [सं० दुर्√ह+ण्यत्] दुर्ग्रह। |
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दुर्घट :
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वि० [सं० दुर्√घट् (घटित होना)+खल्] जिसका घटित होना प्रायः असंभव हो। बहुत कठिनता से घटित होनेवाला। |
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दुर्घटना :
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स्त्री० [सं० दुर्-घटना प्रा० स०] १. ऐसी घटना जिसके फलस्वरूप किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को क्षति या हानि पहुँचे। २. आफत। विपत्ति। |
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दुर्घोष :
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वि० [सं० दुर्-घोष प्रा० ब० स०] जो बुरा स्वर निकाले। कटु, कर्कश या बुरा घोष अथवा शब्द करनेवाला। पुं० भालू। रीछ। |
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दुर्जन :
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पुं० [सं० दुर्-जन प्रा० स०] [भाव० दुर्जनता] वह व्यक्ति जो दूसरों का अपकार, अपकीर्ति या हानि करता रहता हो। खराब या बुरा आदमी। |
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दुर्जनता :
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स्त्री० [सं० दुर्जन+तल्—टाप्] दुर्जन होने की अवस्था या भाव। |
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दुर्जय :
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वि० [सं० दुर्-जय प्रा० ब० स०] जिस पर विजय पाना बहुत कठिन हो। पुं० १. विष्णु का एक नाम। २. एक राक्षस का नाम। |
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दुर्जय-व्यूह :
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पुं० [कर्म० स०] एक प्रकार का व्यूह जिसमें सेना चार पंक्तियों में खड़ी की जाती थी। (कौ०) |
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दुर्जर :
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वि० [सं० दुर्√जृ (जीर्ण होना)+अच्] १. जो सदा तरुण या युवा बना रहे। २. (अन्न) जिसे सरलता से न पचाया जा सके। |
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दुर्जरा :
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स्त्री० [सं० दुर्जर+टाप्] ज्योतिष्मती लता। मालकँगनी। |
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दुर्जात :
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वि० [सं० दुर्-जात प्रा० स०] १. जिसका जन्म बुरी रीत से हुआ हो। जैसे—दोगला या वर्णसंकर। २. जिसका जन्म व्यर्थ हुआ हो। ३. नीच। कमीना। ४. अभागा। बद-किस्मत। पुं० १. व्यसन। २. विपत्ति। संकट। ३. असमंजस। दुविधा। ४. अनौचित्य। |
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दुर्जाति :
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स्त्री० [सं० दुर्-जाति प्रा० स०] बुरी जाति। नीच जाति। वि० १. बुरी जाति या कुल का। २. जिसकी जातीयता बिगड़ गई या नष्ट हो चुकी हो। |
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दुर्जीव :
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वि० [सं० दुर्-जीव प्रा० ब० स०] १. दूसरे के दिये हुए अन्न पर पलनेवाला। २. बुरी तरह से जीविका उपार्जित करनेवाला। पुं० [प्रा० स०] निंदनीय या बुरा जीवन। |
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दुर्जेय :
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वि० [सं० दुर्√जी (जीतना)+अच्] दुर्जय। |
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दुर्ज्ञेय :
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वि० [सं० दुर्√ज्ञा (जानना)+यत्] १. जिसे जानना बहुत कठिन हो। जो जल्दी समझ में न आ सके। दुर्बोध। |
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दुर्दम :
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वि० [सं० दुर्√दम् (दमन करना)+खल्] १. जिसका दमन करना बहुत कठिन हो। २. प्रचंड। प्रबल। पुं० वसुदेव के एक पुत्र का नाम जो रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। |
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दुर्दमन :
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पुं० [सं० दुर्-दमन प्रा० ब० स०] जनमेजय के वंश में उत्पन्न शतानीक राजा का पुत्र। वि०=दुर्दम। |
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दुर्दमनीय :
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वि० [सं० दुर्√दम्+अनीयर्] १. जिसका दमन करना बहुत कठिन हो। दुर्दम। २. प्रचंड। प्रबल। |
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दुर्दम्य :
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वि० [सं० दुर्√दम्+यत्] दुर्दम। पुं० [सं०] गाय का बछड़ा। |
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दुर्दर :
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वि०=दुर्धर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुर्दर्श :
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वि० [सं० दुर्√र्दृश् (देखना)+खल्] १. जिसका दर्शन करना या होना अत्यंत कठिन हो। २. जिसे देखने से डर लगे या घृणा हो। ३. देखने में खराब या बुरा। कुरूप। भद्दा। ४. जिसे देखने से कोई बुरा परिणाम या फल होता हो। |
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दुर्दर्शन :
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वि० [सं० दुर्—दर्शन प्रा० ब० स०] दुर्दर्श। पुं० [सं०] कौरवों का एक सेनापति। |
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दुर्दशा :
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स्त्री० [सं० दुर्-दशा प्रा० स०] बुरी और हीन दशा। खराब हालत। |
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दुर्दांत :
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वि० [सं० दुर्√दम्+क्त] १. जिसका दमन या वश में करना कठिन हो। दुर्दमनीय। २. प्रचंड। प्रबल। पुं० १. शिव का एक नाम। २. गौ का बछड़ा। ३. लड़ाई-झगड़ा। कलह। |
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दुर्दान :
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पुं० [?] चाँदी। (अनेकार्थ) |
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दुर्दिन :
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पुं० [सं० दुर्—दिन प्रा० स०] १. खराब या बुरा दिन। २. दुर्दशा के दिन या समय। ३. ऐसा दिन जिसमें प्रातःकाल से ही खूब बादल घिरे हों। पानी बरसता हो और कहीं आना-जाना कठिन हो। |
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दुर्दु रूढ़ :
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पुं० [सं०√दुल् (फेंकना)+ऊढ़ पृषो० सिद्धि] नास्तिक। |
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दुर्देंव :
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पुं० [सं० दुर्-दैव प्रा० स०] १. दुर्भाग्य। अभाग्य। बुरी किस्मत। २. बुरे दिन। बुरा समय। |
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दुर्द्धर :
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वि० [सं० दुर्√धृ (धारण)+खल्] १. जिसे कठिनता से पकड़ सकें। जो जल्दी पकड़ में न आ सके। २. प्रचंड। प्रबल। ३. जल्दी समझ में न आनेवाला। दुर्बोध। पुं० १. पारा। २. भिलावाँ। ३. एक नरक का नाम। ४. महिषासुर का एक सेनापति। ५. शंबरासुर का एक मंत्री। ६. धृतराष्ट्र का एक पुत्र। ७. रावण की सेना का एक राक्षस जो हनुमान् को पकड़ने के लिए अशोक-वाटिका में भेजा गया था और वहीं उनके हाथ से मारा गया था। ८. विष्णु का एक नाम। |
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दुर्द्धर्ष :
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वि० [सं० दुर्√धृष् (दबाना)+खल्] १. जिसका दमन करना कठिन हो। जिसे जल्दी दबाया या वश में न किया जा सके। २. जिसे परास्त करना या हराना कठिन हो। ३. प्रचंड। प्रबल। पुं० १. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। २. रावण की सेना का एक राक्षस। |
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दुर्द्धर्षा :
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स्त्री० [सं० दुर्द्धर्ष+टाप्] १. नागदौना। २. कथारी नाम का पेड़। |
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दुर्द्धी :
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वि० [सं० दुर्-धी प्रा० ब० स०] १. बुरी बुद्धिवाला। २. मंद बुद्धिवाला। स्त्री० बुरी बुद्धि। |
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दुर्द्धुरूढ़ :
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पुं० [सं० दुर्+धुर्व् (हिंसा)+डट्, पृषो० सिद्धि] वह शिष्य जो गुरु की आज्ञा का पालन सहज में न करता हो। |
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दुर्द्रिता :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार की लता। |
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दुर्द्रुम :
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पुं० [सं० दुर्-द्रुम प्रा० स०] हरित्यपलांडु। हरा प्याज। |
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दुर्धर :
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वि० [सं० दुर्√धृ (धारण)+खल्] १. जिसे धारण करना कठिन हो। २. प्रचंड। विकट। |
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दुर्धर्ष :
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वि०=दुर्द्धर्ष। |
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दुर्नय :
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पुं० [सं० दुर्=नी (ले जाना)+अच्] १. निकृष्ट या बुरा आचरण। खराब चाल-चलन। २. अनीति। अनैतिकता। ३. अन्याय। |
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दुर्नाद :
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वि० [सं० दुर्-नाद प्रा० ब० स०] १. बुरे नाद या स्वरवाला। २. कर्कश ध्वनिवाला। पुं० राक्षस। |
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दुर्नाम (न्) :
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वि० [सं० दुर्-नामन् प्रा० ब० स०] १. बुरे नामवाला। २. बदनाम। पुं० [प्रा० स०] १. बुरा नाम। कुख्याति। बदनामी। २. गाली। दुर्वचन। ३. [प्रा० ब० स०] बवासीर नामक रोग। ४. शुक्ति। सीपी। |
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दुर्नामक :
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पुं० [सं० दुर्-नामन् प्रा० ब० स०, कप्] अर्श रोग। बवासीर। |
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दुर्नामारि :
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पुं० [सं० दुर्नामन्-अरि ष० त०] (बवासीर को दूर करनेवाला) सूरन। जिमीकंद। |
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दुर्नाम्नी :
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स्त्री० [सं० दुर-नाम् प्रा० ब० स०, ङीप्] शुक्ति। सीप। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्निग्रह :
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वि० [सं० दुर्-नि√ग्रह् (पकड़ना)+खल्] जिसे वश में करना बहुत कठिन हो। |
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दुर्निमित्त :
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पुं० [सं० दुर्-निमित्त प्रा० स] अपशकुन। |
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दुर्निरीक्ष :
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वि० [सं० दुर्-निर्√ईक्ष (देखना)+खल्] १. जिसे देखना या देखते रहना बहुत कठिन हो। २. भयंकर। भीषण। ३. कुरूप। भद्दा। |
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दुर्निवार :
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वि० [सं० दुर्-नि√वृ (वारण)+घञ्]=दुर्निवार्य। |
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दुर्निवार्य :
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वि० [सं० दुर्-नि√वृ+ण्यत्] १. जिसका निवारण कठिनता से होता हो। जो जल्दी रोका न जा सके। २. जिसे जल्दी दूर दिया या हटाया न जा सके। ३. जिसका घटित होना प्रायः निश्चित हो। जो जल्दी टल न सके। |
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दुर्नीत :
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वि० [सं० दुर्√नी+क्त] नीति विरुद्ध आचरण करनेवाला। स्त्री०=दुर्नीति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्नीति :
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स्त्री० [सं० दुर्-नीति प्रा० स०] १. निंदनीय और बुरी नीति। २. नीति विरुद्ध आचरण। |
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दुर्बल :
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वि० [सं० दुर्-बल प्रा० ब० स०] [भाव० दुर्बलता] १. जिसमें शारीरिक शक्ति की कमी हो। कमजोर। २. दुबला-पतला। कृश। ३. जो मानसिक, नैतिक आदि शक्तियों से रहित हो। जैसे—दुर्बल चरित्र। |
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दुर्बलता :
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स्त्री० [सं० दुर्बल+तल्—टाप्] १. दुर्बल होने की अवस्था या भाव। २. दुबलापन। ३. कमजोरी। |
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दुर्बला :
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स्त्री० [सं० दुर्बल+टाप्] जलसिरीस का पेड़। |
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दुर्बाढ, दुर्गाध :
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वि० [सं० दुर्√गाह् (थाह लेना)+क्त दुर्-गाध प्रा० ब० स०] जिसकी थाह कठिनता से मिल सके। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्बाल :
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पुं० [सं० दुर्-बाल प्रा० ब० स०] १. सिर का गंजापन। २. गंज नामक रोग। |
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दुर्बुद्धि :
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वि० [सं० दुर्-बुद्धि प्रा० ब० स०] नीच या हीन बुद्धिवाला। स्त्री० दुष्ट या नीच बुद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्बोध :
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वि० [सं० दुर्-बुद्धि प्रा० ब० स०] (विषय) जिसका बोध कठिनता से हो सकता हो। जो जल्दी समझ में न आवे। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भक्ष :
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वि० [सं० दुर्√भक्ष् (खाना)+खल्] १. (पदार्थ) जिसे खाना कठिन हो। जो जल्दी न खाया जा सके। २. जो खाने में खराब या बुरा लगे। पुं० दुर्भिक्ष। अकाल। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भग :
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वि० [सं० दुर्-भग प्रा० ब० स०] [स्त्री० दुर्भगा] जिसका भाग्य बुरा हो। खराब किस्मत या प्रारब्धवाला। अभागा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भगा :
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स्त्री० [सं० दुर्भग+टाप्] ऐसी स्त्री जो अपने पति का प्रेम या स्नेह न प्राप्त कर सकी हो। वि० सं० ‘दुर्भग’ का स्त्री०। |
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दुर्भर :
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वि० [सं० दुर्√भृ (भरण)+खल्] १. जिसे उठाना बहुत कठिन हो। जो सहज में उठाया न जा सके। २. भारी। वजनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्भाग :
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पुं०=दुर्भाग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्भागी :
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वि० =अभागा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भाग्य :
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पुं० [सं० दुर्-भाग्य प्रा० स०] बुरा भाग्य। खराब किस्मत। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भाव :
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पुं० [सं० दुर्-भाव प्रा० स०] १. बुरा भाव। २. किसी के प्रति मन में होनेवाला द्वेष या बुरा भाव। दुर्भावना। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भावना :
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स्त्री० [सं० दुर्-भावना प्रा० स०] १. बुरी भावना या विचार। २. आशंका। खटका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्भाव्य :
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वि० [सं० दुर√भू (होना)+ण्यत्] जो जल्दी ध्यान में न आ सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्भिक्ष :
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पुं० [सं० दुर्-भिक्षा अव्य० स०] १. ऐसा समय जिसमें भिक्षा या भोजन बहुत कठिनता से मिले। २. अकाल। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भिच्छ :
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पुं०=दुर्भिक्ष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भिद :
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वि० [सं० दुर्√भिद् (फाड़ना)+क] जिसका भेदन कठिनता से हो सके। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भृत्य :
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पुं० [सं० दुर्-भृत्य प्रा० स०] बुरा या दुष्ट नौकर। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भेद :
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वि० [सं० दुर्√भिद्+खल्] =दुर्भेद्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्भेद्य :
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वि० [सं० दुर्√भिद्+ण्यत्] १. जो जल्दी भेदा न जा सके। जो कठिनता से छिदे। २. जो जल्दी पार न किया जा सके। ३. जिसके अन्दर पहुँचना बहुत कठिन हो। जैसे—दुर्भेद्य किला। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मति :
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वि० [सं० दुर्-मति प्रा० ब० स०] १. बुरी मति या बुद्धिवाला। २. खल। दुष्ट। स्त्री० [प्रा० स०] बुरी या दुष्ट बुद्धि। पुं० साठ संवत्सरों में से एक संवत्सर, जिसमें अकाल पड़ता है। (फलित ज्योतिष) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मंत्रणा :
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स्त्री० [सं० दुर्-मंत्रणा प्रा० स०] बुरी मंत्रणा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मद :
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वि० [सं० दुर्-मद प्रा० ब० स०] १. जो नशे में बुरी तरह से चूर हो। २. उन्मत। पागल। ३. जिसमें बहुत अधिक मद या घमंड हो। उदा०—दुंर्मद दुरस्त धर्म दस्युओं की त्रासिनी।—प्रसाद। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मना (नस्) :
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वि० [सं० दुर्-मानस् प्रा० ब० स०] १. बुरे चित्त या मनवाला। २. दुष्ट। पाजी। ३. उदास। खिन्न। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मनुष्य :
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पुं० [सं० दुर्-मनुष्य प्रा० स०] दुष्ट मनुष्य। दुर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मर :
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वि० [सं० दुर्-मर प्रा० ब० स०] जिसकी मृत्यु सहज में न हो। बहुत कठिनता या कष्ट से मरनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मरण :
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पुं० [सं० सद्-मरण प्रा० ब० स०] बुरे प्रकार से होनेवाली मृत्यु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मरा :
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स्त्री० [सं० दुर्मर+टाप्] दूर्वा। दूब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मर्ष :
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वि० [सं० दुर√मृष् (सहना)+खल्] जिसे सहन करना कठिन हो। दुःसह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मल्लिका :
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स्त्री० [सं०] चार अंकोंवाला एक तरह का हास्य-रस-प्रधान उपरूपक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मल्ली :
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स्त्री०=दुर्मल्लिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मित्र :
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पुं० [सं० दुर्-मित्र प्रा० स०] बुरा मित्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मिल :
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वि० [सं० दुर्√मिल् (मिलना)+क] जो सहज में न मिल सके। दुष्प्राप्य। पुं० १. भरत के सातवें लड़के का नाम। २. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में १॰, ८ और १४ के विराम से, ३, २ मात्राएँ होती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मुख़ :
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वि० [सं० दुर्-मुख प्रा० ब० स०] १. खराब या बुरे मुँहवाला। २. कुरूप या भद्दे मुँहवाला। ३. कड़वी और बुरी बातें करने या बोलनेवाला। पुं० १. भगवान रामचन्द्र का वह गुप्तचर जो प्रजा के भीतरी समाचार उन्हें सुनाया करता था। २. रामचंद्र की सेना का एक बंदर। ३. महिषासुर के एक सेनापति का नाम। ४. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। ५. एक नाग का नाम। ६. शिव का एक नाम। ७. साठ संवत्सरों में से एक। ८. एक यक्ष का नाम। ९. गणेश के एक गण का नाम। १॰. घोड़ा। ११. गुप्तचर। जासूस। १२. ऐसा घर या मकान जिसका दरवाजा उत्तर की ओर हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मुखी :
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स्त्री० [सं० दुर्मुख+ङीष्] एक राक्षसी जिसे रावण ने जानकी को बहकाने के लिए अशोक-वाटिका में रखा था। वि० हिं० ‘दुर्मुख’ का स्त्री०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मुट :
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पुं० =दुर्मस। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मुस :
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पुं० [सं० दुर्+मुस=कूटना] गदा के आकार का मिट्टी, पत्थर, सड़क आदि पीटने का एक उपकरण जिसके लंबे डंडे के निचले सिरे में पत्थर का भारी गोल टुकड़ा लगा रहता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मुहूर्त :
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पुं० [सं० दुर्-मुहूर्त प्रा० ब० स०] अशुभ या बुरा मुहूर्त्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मूल्य :
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वि० [सं० दुर-मूल्य प्रा० ब० स०] बहुत अधिक मूल्यवाला। बहुमूल्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्मेध (धस्) :
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वि० [सं० दुर्मेधस् प्रा० ब० स०] मंद बुद्धि। नासमझ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मोह :
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पुं० [सं० दुर√मुह् (मुग्ध होना)+घञ्] काकतुंडी। कौआठोंठी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्मोहा :
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स्त्री० [सं० दुर्मोह+टाप्] १. कौआ-ठोंठी। २. सफेद घुँघची। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्यस (स्) :
|
पुं० [सं० दुर्-यशस् प्रा० स०] बुरा यश। अपयश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्योध :
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वि० [सं० दुर्√युध् (लड़ना)+खल्] जिससे युद्ध करना और विजय पाना बहुत कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्योधन :
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पुं० [सं० दुर्√युध्+युच्-अन] एक प्रसिद्ध कुरुवंशीय राजा जो धृतराष्ट्र का ज्येष्ठ पुत्र था तथा जो महाभारत के युद्ध में मारा गया था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्योनि :
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वि० [सं० दुर्-योनि प्रा० ब० स०] जिसका जन्म निम्न या नीच कुल में हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्रा :
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पुं० [फा०] कोड़ा। चाबुक। जैसे—मरे पर सौ बुर्रे। (कहा०) पुं० [अ० दुर्रः] बड़ा मोती। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्रानी :
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पुं० [फा०] १. अफगानों की एक जाति। २. उक्त जाति का व्यक्ति। |
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दुर्लक्ष्य :
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वि० [सं० दुर्√लक्ष् (देखना)+ण्यत्] जो कठिनता से दिखाई पड़े या देखा जा सके। पुं० दुष्ट अथवा बुरा लक्ष्य या उद्देश्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्लघ्य :
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वि० [सं० दुर्√लंघ् (लांघना)+ण्यत्] जिसे लाँघना बहुत कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्लभ :
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वि० [सं० दुर्√लभ् (पाना)+खल्] १. जो कठिनता से प्राप्त होता हो। दुष्प्राप्य। २. जो बहुत कम मात्रा में, कभी-कभी अथवा कहीं-कहीं मिलता हो। (रेयर) ३. जिसके जोड़ या तरह का दूसरा जल्दी मिलता न हो। बहुत बढ़िया और अनोखा। ४. प्रिय। पुं० १. कचूर। २. विष्णु का एक नाम। |
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दुर्लभ-मुद्रा :
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स्त्री० [सं० दुर्लभा-मुद्रा कर्म० स०] आधुनिक अर्थशास्त्र में वह विदेशी मुद्रा जो कठिनाई से प्राप्त होती हो। विशेष—जब एक देश दूसरे देश को अधिक मूल्य का सामान निर्यात करता है और उस देश से कम मूल्य का सामान आयात करता है तो उसके लिए तो दूसरे देश की मुद्रा सुलभ रहती है (क्योंकि इसका उधर पावना होता है) परंतु दूसरे देश के लिए उस देश की मुद्रा दुर्लभ होती है (क्योंकि उसे पहले ही देना अधिक होता है)। |
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दुर्ललित :
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वि० [सं० दुर्√लल् (चाहना)+क्त] १. जिसका बुरी तरह से लालन या लाड़-प्यार किया गया हो और इसीलिए वह बिगड़ गया हो। २. दुष्ट। नटखट। पाजी। ३. खराब। दूषित। बुरा। उदा०—उठती अंतस्तल से सदैव दुर्ललित लालसा जो कि कांत।—प्रसाद। पुं० उद्धत या उद्दंड होने की अवस्था या भाव। उद्धतता। |
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दुर्लेख्य :
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वि० [सं० दुर्-लेख्य प्रा० स०] १. (लेख) जो खराब लिखा हुआ हो। जिसकी लिखावट बुरी हो। २. जो ऐसा लिखा हो कि जल्दी पढ़ा न जा सके। (स्मृति) पुं० वह लेख्य जो विधिक व्यवहार में अप्रामाणिक तथा विधि-विरुद्ध माना जाय। (इनवैलिड डीड) |
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दुर्वच :
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वि० [सं० दुर्√वच् (बोलना)+खल्] १. (वचन) जो सहज में न कहा जा सके। जिसे कह सकना कठिन हो। २. जिसे कहने में कष्ट हो। पुं० गाली। दुर्वचन। |
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दुर्वचन :
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पुं० [सं० दुर-वचन प्रा० स०] १. बुरा वचन। बुरी उक्ति या दूषित कथन। २. गाली। |
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दुर्वर्ण :
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वि० [सं० दुर्-वर्ण प्रा० ब० स०] बुरे या हेय वर्णवाला। पुं० १. चाँदी। रजत। २. [प्रा० स०] बुरा वर्ण। |
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दुर्वर्णा :
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स्त्री० [सं० दुर्वर्ण+टाप्] १. चाँदी। २. एलुआ नामक औषधि। |
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दुर्वह :
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वि० [सं० दुर्√वह् (ढोना)+खल्] जिसे वहन करना बहुत कठिन हो। |
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दुर्वा-क्षेत्र :
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पुं० [ष० त०] १. वह क्षेत्र जिसमें दूब होती हो। २. खेल का वह मैदान जिसमें छोटी-छोटी घास लगी हुई हो। (लान) |
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दुर्वाक (च्) :
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पुं० [सं० दुर-वाच् प्रा० स०]=दुर्वचन। |
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दुर्वाद :
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पुं० [सं० दुर्-वाद प्रा० स०] १. अपवाद। निंदा। बदनामी। २. अनुचित अथवा उपयुक्त विवाद। तकरार। हुज्जत। ३. ऐसी बात जो अच्छी होने पर भी बुरे ढंग से कही जाय। |
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दुर्वादी (दिन्) :
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वि० [सं० दुर्वाद+इनि] १. दूसरों की बदनामी करनेवाला। २. तकरार या हुज्जत करनेवाला। ३. दुर्वाद कहने वाला। |
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समानार्थी शब्द-
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दुर्वार :
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वि० [सं० दुर्√वृ (वारण)+णिच्+खल्] जिसका निवारण करना कठिन हो। |
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दुर्वारि :
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पुं० [सं० दुर्-वारि=वारण प्रा० ब० स०] कंबोज देश का एक योद्धा जो महाभारत की लड़ाई में लड़ा था। |
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दुर्वार्य :
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वि० [सं० दुर्√वृ+णिच्+यत्]=दुर्वार। (देखें) |
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दुर्वासना :
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स्त्री० [सं० दुर्-वासना प्रा० स०] १. बुरी इच्छा, कामना या वासना। २. ऐसी कामना या वासना जो कभी अथवा जल्दी पूरी न हो सके। |
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दुर्वासा (सस्) :
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पुं० [सं० दुर-वासस् प्रा० ब० स०] अत्रि और अनुसूया के पुत्र एक प्रसिद्ध ऋषि जो बहुत ही क्रोधी स्वभाव के थे और जराजरा-सी बात पर शाप दे बैठते थे। |
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दुर्वाहित :
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वि० [सं० दुर्-वाहित प्रा० स०] जिसका वहन करना बहुत मुश्किल हो। पुं० भारी बोझ। |
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दुर्विगार :
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वि० [सं० दुर्-वि√गाह् (थाह लेना)+खल्] जिसका अवगाहन करना अर्थात् थाह पाना बहुत कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विज्ञेय :
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वि० [सं० दुर्-वि√ज्ञा (जानना)+यत्] जिसका ज्ञान प्राप्त करना बहुत कठिन हो। जिसे जल्दी जान न सकें। |
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उपलब्ध नहीं |
दुर्विद :
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वि० [सं० दुर्√विद् (जानना)+क] जिसे जानना तथा समझना बहुत कठिन हो। |
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दुर्विदग्ध :
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वि० [सं० दुर्-विदग्ध प्रा० स०] १. जो अच्छी तरह जला न हो। अधजला। २. जो पूरी तरह से पका न हो। ३. अभिमानी। घमंडी। |
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दुर्विदग्धता :
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स्त्री० [सं० दुर्विदग्ध तल—टाप्] दुर्विदग्ध होने की अवस्था या भाव। पूरी निपुणता का अभाव। अधकचरापन। |
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दुर्विध :
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वि० [सं० दुर्-विधा प्रा० ब० स०] १. दरिद्र। धन-हीन। २. खल। दुष्ट। ३. बेवकूफ। मूर्ख। |
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दुर्विधि :
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स्त्री० [सं० दुर्-विधि प्रा० स०] खराब या बुरी विधि। दूषित या बुरा ढंग या रीति। पुं० दुर्भाग्य। |
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दुर्विनय :
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वि० [सं० दुर्-विनय प्रा० ब० स०] १. जिसमें विनय का अभाव हो। २. उद्दंड। स्त्री० [प्रा० स०] १. अविनय। २. उद्दंडता। |
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दुर्विनीत :
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वि० [सं० दुर्-विनीत प्रा० स०] जो विनीत न हो। अवनीत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विपाक :
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पुं० [सं० दुर्-विपाक प्रा० स०] १. बुरा परिणाम। बुरा फल। २. बुरा संयोग। जैसे—दैव दुर्विपाक से उन्हें पुत्र-शोक सहना पड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विभाव्य :
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वि० [सं० दुर्वि√भू (होना)+ण्यत्] जिसका अनुमान कठिनता से हो सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विलास :
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पुं० [सं० दुर्-विलास प्रा० स०] भाग्य का विपरीत होना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विवाह :
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पुं० [सं० दुर्-विवाह प्रा० स०] बुरा या निंदनीय विवाह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विष :
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वि० [सं० दुर्-विष प्रा० ब० स०] दुराशय। पुं० महादेव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्विषह :
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वि० [सं० दुर्-वि√सह (सहना)√खल्] जिसे सहना बहुत कठिन हो। दुःसह। पुं० १. महादेव। शिव। २. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्वृत्त :
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वि० [सं० दुर्-वृत्त प्रा० ब० स०] [भाव० दुर्वृत्ति] १. जिसका आचरण बुरा हो। दुश्चरित्र। दुराचारी। २. जो दूषित या निंदनीय उपायों से जीविका चलाता हो। बुरी वृत्तिवाला। पुं० [प्रा० स०] निन्दनीय और बुरा आचरण। बद-चलनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्वृत्त-फलक :
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पुं० [ष० त०] दे० ‘इति-वृत्तक’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्वृत्ति :
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स्त्री० [सं० दुर-वृत्ति प्रा० स०] १. बुरी वृत्ति। २. बुरा आचरण या स्वभाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्वृष्टि :
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स्त्री० [सं० दुर्-वृष्टि प्रा० स०] १. आवश्यक या उचित से कम वृष्टि। २. अनावृष्टि। सूखा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्वेद :
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वि [सं० दुर्√विद् (जानना)+खल्] १. जिसे समझना बहुत कठिन हो। २. जो वेदों का अध्ययन न करता हो। ३. वेदों की निंदा करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्व्यवस्था :
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स्त्री० [सं० दुर्-व्यवस्था प्रा० स०] खराब या बुरी व्यवस्था। अव्यवस्था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्व्यवहार :
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पुं० [सं० दुर्-व्यवहार प्रा० स०] १. अनुचित और बुरा व्यवहार। बुरा बरताव। २. अनुचित या बुरा आचरण। ३. ऐसा व्यवहार या मुकदमा जिसका फैसला (अनुचित प्रभाव, घूस आदि के कारण) ठीक न हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्व्यसन :
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पुं० [सं० दुर्-व्यसन प्रा० स०] कोई बुरा या दूषित काम करने का चस्का जो बहुत कठिनता से छूट सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्व्यसनी (निन्) :
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वि० [दुव्यर्यसन+इनि] जिसे किसी प्रकार का दुर्व्यसन हो। जिसे बुरी तरह से कोई लत या कई लतें लगी हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्व्रत :
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वि० [सं० दु्र-व्रत प्रा० ब० स०] जिसने कोई अनुचित या बुरा व्रत लिया हो। बुरे मनोरथों वाला। नीचाशय। पुं० [प्रा० स०] निन्दनीय, नीच अथवा बुरा आशय, मनोरथ या व्रत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्हृदय :
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वि० [सं० दुर्-हृदय प्रा० ब० स०] खोटे हृदयवाला। कपटी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्हृद् :
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वि० [सं० दुर्-हृदय प्रा० ब० स०] जो सुहृद् न हो। बुरे हृदयवाला। पुं० विरोधी या शत्रु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुर्हृषीक :
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वि० [सं० दुर्-हृषीक प्रा० ब० स०] जिसकी ज्ञानेंद्रियों में कुछ खराबी या विकार हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलकना :
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अ० [हिं० दलकना] (घोड़ों आदि का) अलग-अलग हर पैर उठाकर कुछ उछलते हुए चलना। अ०, स०=दुलखना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलकी :
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स्त्री० [हिं० दुलकना] टट्टू, घोड़े आदि की एक प्रकार की चाल जिसमें वह हर पैर अलग-अलग उठाकर कुछ उछलता हुआ दौड़ता है। क्रि० प्र०—चलना।—जाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलखना :
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स० [हिं० दो+लक्षण] १. बार-बार बतलाना। बार-बार कहना। बार-बार दोहराना। २. किसी की कही हुई ठीक बात पर भी आपत्ति करते हुए उसका तिरस्कार करना जो अविनय, उद्दंडता आदि का सूचक है। अ० मुकर जाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलखी :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार का फतिंगा जो गेहूँ, ज्वार, तमाखू नील, सरसों आदि की खेती को नुकसान पहुँचाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलड़ा :
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वि० [हिं० दो+ल़ड़] [स्त्री० दुलड़ी] जिसमें दो लड़ या लड़ियाँ हों। दो-लड़ों का। पुं० दो लड़ोंवाली माला या हार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलड़ी :
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स्त्री० [हिं. दो+लड़] दो लड़ों की माला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलत्ती :
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स्त्री० [हिं. दो+लात] १. गाय, घोड़े आदि का किसी पर प्रहार करने के लिए पिछली दोनों टाँगें एक साथ उठाने तथा झटकारने की क्रिया या भाव। क्रि० प्र०—चलना।—झाड़ना।—फेंकना।—मारना। २. उक्त प्रकार से किया जाने या लगनेवाला आघात। मुहा०—दुलत्ती झाड़ना =बहुत बिगड़ कर अलग या दूर होते हुए ऐसी बातें करना मानों गधों या घोड़ों की तरह अथवा पशुओं का-सा आचरण या व्यवहार कर रहे हों। (परिहास और व्यंग्य) ३. मालखंभ की एक कसरत जिसमें दोनों पैरों से मालखंभ को लपेटकर बाकी बदन मालखंभ से अलग झुलाकर ताल ठोंकते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलदुल :
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पुं० [अ०] १. वह खच्चरी (मादा खच्चर) जो इसकंदरिया (मिस्र) के हाकिम ने मुहम्मद साहब को भेंट की थी। २. मुहर्रम की आठवीं तारीख को जुलूस के साथ निकाला जानेवाला वह कोतल घोड़ा जिसके साथ शीया मुसलमान मातम करते हुए चलते हैं। विशेष—मुख्यतः यह उसी उक्त खच्चरी का प्रतीक होता है, जो मुहम्मद साहब को भेंट में मिली थी। पर लोग इसे भूल से खच्चर या घोड़ा समझते हैं, और इसी लिए इस शब्द का प्रयोग पुं० रूप में करते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलन :
|
पुं०=दोलन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलना :
|
अ०=डुलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलभ :
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वि०=दुर्लभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलरा :
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वि०=दुलारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलराना :
|
सं० [हिं. दुलराना] १. बच्चों से दुलार करना। २. बहुत अधिक दुलार कर बच्चों को बिगाड़ना। संयो० क्रि०—डालना। अ० दुलारे बच्चों की-सी चेष्टा या व्यवहार करना। (परिहास और व्यंग्य) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलरी :
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स्त्री०=दुलड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलरुआ :
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वि०=दुलारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहन :
|
स्त्री० [हिं० दुलहा का स्त्री०] १. वह स्त्री जो अभी व्याह कर लाई गई हो। वधू। २. पत्नी। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहा :
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पुं० [सं० दुर्लभ] [स्त्री० दुलहन] १. वर जिसका विवाह तुरंत होने को हो या हुआ हो। वर। २. पति। (पूरब) ३. रहस्य-संप्रदाय में, परमात्मा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहाई :
|
स्त्री० [हिं० दुलहा] विवाह के समय गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत (पूरब)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहिन :
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स्त्री०=दुलहन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहिया :
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स्त्री०=दुलहन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलही :
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स्त्री०=दुलहन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलहेटा :
|
पुं० [सं० दुर्लभ, प्रा० दुल्लह+हिं० बेटा] १. दुलहा। २. दुलारा बेटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलाई :
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स्त्री० [सं० तूल=रूई, हिं० तुलाई, तुराई] कपड़े की दो परतोंवाला सिला हुआ वह मोटा ओढ़ना जिसमें रूई भरी होती है। हलकी रजाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलाना :
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स०=डुलाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलार :
|
पुं० [हिं० दुलारना] १. छोटे बच्चों के प्रति किया जानेवाला ऐसा स्नेहपूर्ण व्यवहार जो उन्हें खूब प्रसन्न रखने के लिए किया जाता है। २. वह धृष्टतापूर्ण आचरण जो बच्चे उमंग में आकर बड़ों के प्रति करते हैं। मुहा०—किसी का दुलार रखना=अपने से छोटे का आग्रह या हठ मानना। उदा०—राखा मोर दुलार गोसाईं।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलारना :
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सं० [सं० दुर्लाल, प्रा० दुल्लाउन] १. बच्चों से दुलार करना। २. बहुत दुलार करके बच्चों को बिगाड़ना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलारा :
|
वि० [हिं० दुलार] [स्त्री० दुलारी] जिसका बहुत दुलार किया गया हो या किया जाता हो। लाड़ला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलारी :
|
वि० हिं० ‘दुलारा’ का स्त्री०। स्त्री०=दुलाई (ओढ़ने की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=दुलारो (चेचक या माता)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलारो :
|
स्त्री० [हिं० दुलार ?] एक प्रकार की माता या चेचक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलाल :
|
पुं० [?] एक प्रकार का चंपा (फूल)। पुं०=दुलार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलि :
|
स्त्री० [सं०=डुलि] कच्छपी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलीचा :
|
पुं० [हिं० गलीचा का अनु०] १. गलीचा। कालीन। २. छोटा ऊनी आसन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलेहटा :
|
पुं०=दुलहेटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलैचा :
|
पुं०=दुलीचा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुलोही :
|
स्त्री० [हिं० दो+लोहा] एक प्रकार की तलवार जो लोहे के दो टुकड़ों को जोड़कर बनाई जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुल्कन :
|
स्त्री० [हिं० दुलकना] दुलकने की क्रिया या भाव। वि० दुलकनेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुल्लभ :
|
वि० =दुर्लभ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुल्ली :
|
स्त्री०=दुल्लो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुल्लो :
|
स्त्री० [हिं० दो+ला (प्रत्य०)] लड़कों के खेल में वह गोली जो मीर या पहली गोली के बाद ठहरी या पड़ी हो। दूर तक जानेवाली गोलियों में पहली के बादवाली गोली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुल्हन, दुल्हैया :
|
स्त्री०=दुल्हन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुव :
|
वि० [सं० द्वि] दो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवन् :
|
पुं० [सं० दुर्मनस्] १. दुष्ट चित्त का मनुष्य। खल। दुर्जन। २. दुश्मन। वैरी। शत्रु। ३. राक्षस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवन्नी :
|
स्त्री०=दुअन्नी (सिक्का)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवा :
|
पुं०=दूआ (दुक्की)। स्त्री०=दुआ (प्रार्थना)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवाज :
|
पुं० [?] एक प्रकार का घोड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवाद :
|
वि०=द्वादश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवाद बानी :
|
वि० [सं० द्वादश=सूर्य+वर्ण] स्वर्ण जो सूर्य के समान दमकता हुआ हो अर्थात् बिलकुल खरा। बारहबानी (सोना)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवादसी :
|
स्त्री०=द्वादशी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवार :
|
पुं०=द्वार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवारिका :
|
स्त्री०=द्वारका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवाल :
|
स्त्री० [फा०] १. चमड़े का तसमा। २. रकाब का तसमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवालबंद :
|
पुं० [फा०] १. चमड़े का चौड़ा तसमा जो कमर आदि में लपेटा जाय। चपरास या पेटी का तसमा। २. वह जो पेटी बाँधता हो अर्थात् सिपाही। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवाली :
|
स्त्री० [देश०] रंगे या छपे हुए कपड़ों पर चमक लाने के लिए घोंटने का बेलन। घोंटा। २. वह परतला जिसमें तलवार या बन्दूक लटकाई जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवालीबंद :
|
पुं० [फा०] परतला आदि लगाये हुए तैयार सिपाही। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुविद :
|
पुं०=द्विविद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुविधा :
|
स्त्री० [सं० द्विविधा] ऐसी मनःस्थिति जिसमें दो या कई बातों में से किसी बात का निश्चय न हो रहा हो। दुबधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुवो :
|
वि० [हिं० दुब=दो+उ= ही] दोनों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःशकुन :
|
पुं० [सं० प्रा० स०] बुरा शकुन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुशमन :
|
पुं०= दुश्मन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःशला :
|
स्त्री० [सं०] सिंधु देश के राजा जयद्रथ की पत्नी का नाम जो धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी के गर्भ से उत्पन्न हुई थी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुशवार :
|
वि० [फा० दुश्वार] [भाव० दुशवारी] १. कठिन। मुश्किल। २. दुःसह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुंशवारी :
|
स्त्री० [फां०] १. दुशवार होने की अवस्था या भाव। २. कठिन काम। ३. विपत्ति या संकट की अवस्था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुशाला :
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पुं० [फा० दोशालः] पशमीने की बढ़िया चादरों का जोड़ा जिसके किनारों पर पशमीने की रंग-बिरंगी बेल बनी रहती है। मुहा०—दुशाले में लपेटकर मारना या लगाना=इस प्रकार आड़े हाथ लेना कि ऊपर से देखने में अनुचित न जान पड़े अथवा अप्रिय न लगे। मीठी-मीठी बातें कहते हुए कठोर व्यंग्य करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुशाला-पोश :
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वि० [फा०] जो दुशाला ओढ़े हो। जो अच्छे कपड़े पहने हो। पुं० अमीर। धनवान। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःशासन :
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वि० [सं० दुर्√शास् (शासन करना)+युच्—अन्] जिस पर शासन करना बहुत अधिक कठिन हो। पुं० १. बुरा शासन। २. धृतराष्ट्र का एक पुत्र जो अपने बड़े भाई राजा दुर्योधन का मंत्री था। इसी ने द्रौपदी का वस्त्र खींचकर उसे नग्न करने का प्रयत्न किया था। |
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समानार्थी शब्द-
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दुशासन :
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पुं०=दुःशासन। |
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दुःशील :
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वि० [सं० ब० स०] [भाव० दुःशीलता] दुष्ट या बुरे स्वभाव-वाला। |
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दुःशीलता :
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स्त्री०[सं० दुःशील+तल्—टाप्] दुःशील होने की अवस्था या भाव। दुःस्वभाव। |
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दुःशोध :
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वि० [सं० दुर्√शुध् (शुद्धि)+खल्] १. जिसका सुधार कठिन हो। २. (धातु) जिसका शोधन बहुत कठिन हो। |
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दुश्चर :
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वि० [सं० दर्√चर् (गति)+खल] [भाव० दुश्चरण]=दुष्कर। |
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दुश्चरित :
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वि०=दुष्चरित्र। |
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दुश्चरित्र :
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वि० [सं० दुर्-चरित्र प्रा० ब० स०] [स्त्री० दुश्चरित्रा] १. बुरे या खराब आचरण या चाल-चलनवाला। बद-चलन। २. जिस पर या जिसमें चलना कठिन हो। पुं० [प्रा० स०] १. निंदनीय या बुरा आचरण। बद-चलनी। २. पाप। गुनाह। |
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दुश्चर्मा :
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(चर्मन) पुं० [सं० दुर्-चर्म्मन, प्रा० ब० स०] वह पुरुष जिसकी। लिंगेन्द्रिय के मुख पर ढाकनेवाला चमड़ा न हो। |
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दुश्चलन :
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पुं० [सं० दुः+हिं० चलन] दुराचरण। खोटी चाल। |
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दुश्चिकित्स :
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वि०=दुश्चिकित्स्य। |
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दुश्चिकित्सा :
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स्त्री० [सं० दुर्-चिकित्सा प्रा० स०] आयुर्वेद-संबंधी चिकित्सा के नियमों के विरुद्ध की जानेवाली चिकित्सा। दूषित चिकित्सा। |
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दुश्चिकित्स्य :
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वि० [सं० दुर्√कित्+सन्, द्वित्वादि,+यत्] १. जिसकी चिकित्सा करना बहुत कठिन हो। २. असाध्य। (रोग और रोगी दोनों के सम्बन्ध में) |
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दुश्चिक्य :
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पुं० [सं०] फलित ज्योतिष के अनुसार लग्न से तीसरा स्थान। |
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दुश्चित् :
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पुं० [सं० दुर्-चित् प्रा० स०] १. आशंका। खटका। २. घबराहट। विकलता। |
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दुश्चिंत्य :
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वि० [सं० दुर्√चिन्त् (ध्यान)+यत्] जिसका चिंतन कठिनता से हो सके। |
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दुश्चेष्टा :
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स्त्री० [सं० दुर्-चेष्टा प्रा० स०] [वि० दुश्चेष्टित] कुचेष्टा। बुरी चेष्टा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुश्चेष्टित :
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पुं० [सं० दुर्-चेष्टित प्रा० स०] १. निंदनीय या बुरा काम। दुष्कर्म। २. छोटा या नीच काम। ३. पाप। गुनाह। |
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दुश्च्यवन :
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वि० [सं० दुर्-च्यवन प्रा० ब० स०] १. जो जल्दी च्युत न हो सके। २. जो जल्दी विचलित न हो। पुं० इन्द्र। |
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समानार्थी शब्द-
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दुश्च्याव :
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वि० [सं० दुर्-च्याव प्रा० ब० स०] जो जल्दी च्युत न किया जा सके। पुं० शिव। महादेव। |
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दुश्मन :
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पुं० [फा०] [भाव० दुश्मनी] वैरी। शत्रु। |
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दुश्मनी :
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स्त्री० [फा०] वैर। शत्रुता। |
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दुःश्रव :
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पुं० [सं० दुर्√श्रु (सुनना)+खल्] काव्य में वह दोष जो उसमें कर्णकटु वर्णों के आने से होता है। श्रुतिकटु दोष। |
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दुःषम (स्) :
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पुं० [सं० अव्य० स०] निंदा। |
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दुःषेध :
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वि० [सं० दुर्√सिध् (गति)+खल्] जिसका निवारण कठिन हो। |
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दुष्कर :
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वि० [सं० दुर्√कृ (करना)+खल्] (काम) जिसे करना कठिन हो। जो मुश्किल से हो सके। दुःसाध्य। पुं० आकाश। आसमान। |
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दुष्कर्ण :
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पुं० [सं० दुर्-कर्ण प्रा० ब० स०] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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दुष्कर्म (न्) :
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पुं० [सं० दुर्-कर्मन् प्रा० स०] [वि० दुष्कर्म्मा] १. ऐसा काम जिसे करना बहुत कठिन हो। २. अनुचित, निंदनीय, तथा बुरा काम। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्कर्मा (र्मन्) :
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वि० [सं० दुर्-कर्मन प्रा० ब० स०] दुष्कर्म करनेवाला। |
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दुष्कर्मी (र्मिन्) :
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वि० [सं० दुष्कर्म+इनि] १. दुष्कर्म या बुरे काम करनेवाला। २. दुराचारी। |
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दुष्काल :
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पुं० [सं० दुर्-काल प्रा० स०] १. बुरा वक्त। कुसमय। २. अकाल। दुर्भिक्ष। ३. शिव का एक नाम। |
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दुष्काव्य :
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पुं० [सं० दुर-काव्य प्रा० स०] १. ऐसा काव्य जिसकी रचना बहुत कठिन हो अथवा जो सहज में समझा न जा सके। २. घटिया दरजे का या बुरा काव्य। |
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दुष्कीर्ति :
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स्त्री० [सं० दुर्-कीर्ति प्रा० स०] बुरी कीर्ति। बदनामी। |
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दुष्कुल :
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वि० [सं० दुर-कुल प्रा० ब० स०] नीच कुल का। तुच्छ घराने का। पुं० [प्रा० स०] नीच कुल। खराब खानदान या घराना। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्कुलीन :
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वि० [सं० दुष्कुल+ख—ईन] निम्न कुल या नीच घराने का। |
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दुष्कुलेय :
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वि० [सं० दुष्कुला+ढक्—एय] दुष्कुलीन। |
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दुष्कृत :
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पुं० [सं दुर्-कृत प्रा० स०] दुष्कर्म। |
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दुष्कृति :
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वि० [सं० दुर्-कृति प्रा० ब० स०] दुष्कृत्य करनेवाला। कुकर्मी। पुं० [प्रा० स०] बुरा काम। कुकर्म। दुष्कृत्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्कृती(तिन्) :
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वि० [सं० दुष्कृत+इनि] दुष्कर्म करनेवाला। |
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दुष्क्रम :
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पुं० [सं० दुर्-क्रम प्रा० स०] १. अनुचित या कठिन क्रम। २. साहित्य में, किसी उक्ति या रचना के अन्तर्गत लोक विहित या शास्त्र विहित क्रम की उपेक्षा या उल्लंघन जो अर्थ-संबंधी एक दोष माना गया है। |
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दुष्क्रीत :
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वि० [सं० दुर्√क्री (खरीदना)+क्त] १. जो बहुत कठिनाई से खरीदा गया हो। २. महँगा। |
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दुष्ख़दिर :
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पुं० [सं० दुर्-खदिर प्रा० स०] एक प्रकार का खैर का पेड़ जिसका कत्था घटिया दरजे का होता है। क्षुद्र खदिर। |
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दुष्ट :
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वि० [सं०√दुष् (विकृति)+क्त] [स्त्री० दुष्टा] १. जिसमें दोष हो। दूषित। २. जो जान-बूझकर दूसरों को कष्ट देता अथवा तंग या परेशान करता हो। दूषित मनोवृत्तिवाला। ३. पित्त आदि दोषों से युक्त (रोग या व्यक्ति)। पुं० कुष्ठ या कोढ़ नाम का रोग। |
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दुष्ट-चेता (तस्) :
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वि० [सं० ब० स०] १. बुरी बात सोचनेवाला। २. दूसरों का अहित या बुरा चाहनेवाला। अशुभ-चिन्तक। ३. कपटी। छली। धोखेबाज। |
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दुष्ट-साक्षी (क्षिन्) :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह गवाह जो गलत या झूठी गवाही दे। बुरा गवाह। |
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दुष्टचारी (रिन्) :
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वि० [सं० दुष्ट√चर् (गति)+णिनि] [स्त्री० दुष्टचारिणी] १. बुरा आचरण करनेवाला। दुराचारी। २. खल दुर्जन। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्टता :
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स्त्री० [सं० दुष्ट+तल्—टाप्] १. दुष्ट होने की अवस्था, गुण या भाव। २. दोष। ऐब। ३. खराबी। बुराई। ४. पाजीपन। शरारत। ५. बदमाशी। |
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दुष्टत्व :
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पुं० [सं० दुष्ट+त्व]=दुष्टता। |
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दुष्टपना :
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पुं० [हिं. दुष्ट+पन (प्रत्य०)] दुष्टता। |
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दुष्टर :
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वि० = दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्टव्रण :
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पुं० [कर्म० स०] १. वह व्रण या घाव जिसमें से दुर्गंध निकलती हो। २. असाध्य व्रण या घाव। |
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दुष्टा :
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वि० [सं० दुष्ट+टाप्] ‘दुष्ट’ का स्त्री०। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्टाचार :
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पुं० [दुष्ट-आचार कर्म. स०] १. खराब या बुरा आचरण। २. अनुचित और निंदनीय काम। दुष्कर्म। वि०=दुराचारी। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्टाचारी (रिन्) :
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वि० [सं० दुष्टाचार+इनि] [स्त्री० दुष्टाचारिणी] १. अनुचित या बुरे काम करनेवाला। २. जिसका आचरण अच्छा न हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्टात्मा (त्मन्) :
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वि० [दुष्ट-आत्मन् ब० स०] बुरे अन्तःकरण या विचारोंवाला। |
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दुष्टान्न :
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पुं० [दुष्ट-अन्न कर्म० स०] १. बिगड़ा हुआ या खराब अन्न। २. बासी या सड़ा हुआ अन्न अथवा भोजन। ३. कुत्सित उपायों से प्राप्त किया हुआ अन्न या भोजन। पाप की कमाई का अन्न या भोजन। ४. कुत्सित कमाई करनेवाले यी नीच व्यक्ति का अन्न या भोजन। |
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दुष्टि :
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स्त्री० [सं०√दुष् (विकृति)+क्तिच्]=दोष। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पच :
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वि० [सं० दुर्√पच् (पाक)+खल्] १. (फल आदि) जो कठिनता से पके। २. (खाद्य पदार्थ) जो कठिनता से पचे। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पत्र :
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पुं० [सं० दुर्-पत्र प्रा० ब० स०] चोर या चोरक नामक गंध द्रव्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पद :
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वि० [सं० दुर्√पद् (गति)+खल्]=दुष्प्राय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्पराजय :
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वि० [सं० दुर-पराजय प्रा० ब० स०] जिसे पराजित करना कठिन हो। पुं० धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्परिग्रह :
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वि० [सं० दुर्-परि√ग्रह् (पकड़ना)+खल्] जिसे पकड़ना अर्थात् अधिकार या वश में करना कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्परिमेय :
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वि० [सं० दुर्-परि√मा (नापना)+यत्] जिसे नापना सहज न हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पर्श :
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वि० [सं० दुर्-स्पृश् (छूना)+खल्] १. जिसे स्पर्श करना कठिन हो। जिसे छूना सहज न हो। २. जो जल्दी मिल न सके। दुष्प्राप्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्पर्शा :
|
स्त्री० [सं० दुष्पर्श+टाप्] जवासा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पार :
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वि० [सं० दुर्√पार् (पार होना)+खल्] १. जिसे कठिनता से पार किया जा सके। २. (कार्य) जो बहुत कठिन या दुस्साध्य हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्पूर :
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वि० [सं० दुर्√पूर (भरना)+खल्] १. जिसे भरना कठिन हो। २. जो जल्दी पूरा न हो सके। कठिनता से पूरा होनेवाला। ३. जिसका जल्दी या सहज में निवारण न हो सके। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रकृति :
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वि० [सं० दुर्-प्रकृति प्रा० बा० स०] बुरी प्रकृति या खराब स्वभाववाला (व्यक्ति)। स्त्री० खराब या बुरी प्रकृति अथवा स्वभाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रधर्षा :
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स्त्री० [सं० दुष्प्रधर्ष+टाप्] १. जवासा। हिगुवा। २. खजूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रधर्षिणी :
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स्त्री० [सं० दुष्प्रधर्ष+इनि—ङीष्] १. कंटकारी। भटकटैया। २. बैगन। भंटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रधर्षे :
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वि० [सं० दुर-प्र√धृष् (दबाना)+खल्] जिसे कठिनता से पकड़ा जा सके। पुं० धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रयोग :
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पुं० [सं० दुर्-प्रयोग प्रा० ब० स०]=दुरुप्रयोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रवृत्ति :
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स्त्री० [सं० दुर्-प्रवृत्ति प्रा० ब० स०] अनुचित या बुरी प्रवृत्ति। वि० दुष्ट या बुरी प्रवृत्तिवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रवेशा :
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स्त्री० [सं० दुर्-प्र√विश् (प्रवेश)+खल्—टाप्] कथारी वृक्ष। |
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दुष्प्राप्य :
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वि० [सं० दुर्-प्र√आप् (प्राप्त करना)+ण्यत्] जो कठिनता से प्राप्त किया जा सके। जो आसानी से या जल्दी प्राप्त न हो सकता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्प्रेक्ष :
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वि० [सं० दुर्-प्र√ईक्ष् (देखना)+खल्]=दुष्प्रेक्ष्य। |
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समानार्थी शब्द-
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दुष्प्रेक्ष्य :
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वि० [सं० दुर्-प्र√ईक्ष्+ण्यत्] १. जिसे देखना कठिन हो। जो सहज में न देखा जा सके। २. जो देखने में बहुत बुरा लगे। कुरूप। भद्दा। ३. भीषण। विकराल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्मंत :
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पुं०=दुष्यंत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्यंत :
|
पुं० [सं०] महाभारत में वर्णित एक प्रसिद्ध पुरुवंशी राजा जो ऐति नामक राजा के पुत्र थे। महाकवि कालिदास ने ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ में इसी दुष्यंत तथा शकुन्तला की प्रेम-गाथा लिखी है। पुं० [सं० दुःख+अंत] दुःख का अंत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुष्योदर :
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पुं० [सं० दुष्य-उदर ब० स०] एक प्रकार का उदर रोग जो प्रायः असाध्य होता है। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसंकल्प :
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वि० [सं० ब० स०] बुरा विचार या संकल्प करने वाला। पुं० बुरा संकल्प। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसंग :
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पुं० [सं० ब० स०] बुरी संगत या सोहबत। बुरा साथ कुसंग। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसट :
|
वि० [सं० दुष्ट] १. बुरा। खराब। २. नीच। उदा०—दुसट सासना भली दइ।—प्रिथीराज। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसंत :
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पुं०=दुष्यंत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसंधान :
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पुं० [सं० ब० स०] १. दुःख साध्य कार्य का संधान। २. केशव के अनुसार काव्य में एक रस जो उस स्थल पर होता है जहाँ एक व्यक्ति तो अनुकूल होता है और दूसरा प्रतिकूल। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसराता :
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सं०=दोहराना। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसरिहा :
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वि० [हिं. दूसरा+हा (प्रत्य०)] १. अन्य। दूसरा। २. संगी। साथी। ३. दूसरी बार होनेवाला। ४. अपर या विरोधी पक्ष का। प्रतिद्वंद्वी। प्रतियोगी। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
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दुसह :
|
वि० [सं० दुर्√ सह (सहना)+खल्] जिसे सहन करना बहुत कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसह :
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वि० [सं० दुःसह] जो सहज में सहा न जाय। दुस्सह। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसहा :
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स्त्री० [सं० दुःसह+टाप्] नागदमनी। नागदौन। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसही :
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वि० [हिं० दुःसह+ई (प्रत्य०)] १. जिसे सहना बहुत कठिन हो। २. जो दूसरों की उन्नति, भलाई आदि देख या सह न सके; अर्थात् ईर्ष्या या डाह करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसाख़ा :
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पुं०=दोशाखा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःसाध :
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वि०=दुःसाध्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसाध :
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पुं० [सं० दोषाद वा दुःसाध्य] हिंदुओं में एक जाति जो सूअर पालती है। वि० [?] अधम। नीच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःसाधी (धिन्) :
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पुं० [सं० दुर्√साध् (सिद्ध करना)+णिच्+णिनि] द्वारपाल। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसाध्य :
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वि० [सं० सुप्सुपा समास] १. (कार्य) जिसका साधन या पूरा करना कठिन हो। जैसे—दुःसाध्य परिश्रम। २. जिसका उपाय या प्रतिकार करना बहुत कठिन हो। ३. (रोग) जिसका उपचार या चिकित्सा बहुत कठिनता से हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसार :
|
पुं० [हिं० दो+सालाना] आर-पार किया या गया हुआ छेद। क्रि० वि० इस पार या सिरे से उस पार या दूसरे सिरे तक। वि० [सं० दुःशल्य] बहुत कष्ट देनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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दुसाल :
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पुं०, क्रि० वि०, वि०=दुसार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसाला :
|
पुं०=दुशाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसासन :
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पुं० = दुःशासन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःसाहस :
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पुं० [सं० प्रा० स०] ऐसा साहस जो साधारणतः अनुचित हो या न किया जाने के योग्य हो। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसाहसिक :
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वि० [सं० दुःसाहस+ठन्—इक] १. (कार्य) जिसे करने का साहस करना अनुचित या निष्फल हो। जैसे—दुःसाहसिक कार्य। २. दे० ‘दुःसाहसी’। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःसाहसी (सिन्) :
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वि० [सं० दुःसाहस+इनि] दुःसाहस अर्थात् अनुचित साहस करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसाहा :
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पुं० [देश०] जिसमें दो फसलें होती हों। दो-फसला खेत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसूती :
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स्त्री० [हिं० दो०+सूत] एक प्रकार का मोटा मजबूत कपड़ा जिसमें दो-दो तागों का ताना और बाना होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुसेजा :
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पुं० [हिं० दो+सेज] ऐसी बड़ी खाट या पलंग जिस पर दो आदमी एक साथ सो सकते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुस्तम :
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वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुस्तर :
|
वि० [सं०] १. जिसे तैर कर पार करना कठिन हो। २. जिसे पूरा या संपन्न करना कठिन हो। कठिन। दुर्घट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुस्त्यज :
|
वि० [सं० दुर्√ज्यज् (छोड़ना)+खल्] जिसे छोड़ना या त्यागना कठिन हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःस्थ :
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वि० [सं० दुर्√स्था (ठहरना)+क] १. जिसकी स्थिति बुरी हो। दुर्दशाग्रस्त। २. दरिद्र। निर्धन। ३. मूर्ख। |
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समानार्थी शब्द-
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दुस्थित :
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वि० [सं० दुर√स्था (ठहरना)+क्त] [भाव० दुस्थिति] १. जो कठिन या बुरी स्थिति में हो। २. दुर्दशाग्रस्त। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःस्थिति :
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स्त्री० [सं० प्रा० स०] बुरी अवस्था। दुरास्था। दुर्दशा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःस्पर्श :
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वि० [सं० दुर्√स्पृश (छूना)+खल्] जिसे छूना कठिन हो। २. जिसे पाना कठिन हो। पुं० १. केवाँच। कौंछ। २. लता करंज। ३. कंटकारी। ४. आकाश-गंगा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःस्पर्शा :
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स्त्री० [सं० दुःस्पर्श+टाप] काँटेदार मकोय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःस्फोट :
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पुं० [सं० दुर्√ स्फूट (फूटना)+णिच्+अच्] प्राचीन काल का एक प्रकार का शस्त्र। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःस्वप्न :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. ऐसा स्वप्न जिसमें दुःखद घटनाएँ दिखलाई पड़ें। २. ऐसा स्वप्न जिसका परिणाम या फल बुरा हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
दुःस्वभाव :
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वि० [सं० ब० स०] बुरे स्वभाववाला। बद-मिजाज। पुं० बुरा स्वभाव। |
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समानार्थी शब्द-
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दुःस्वरनाम :
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पुं० [सं०] वह पाप कर्म जिसके उदय से प्राणियों के कंठ-स्वर कठोर और कर्कश होते हैं। (जैन) |
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समानार्थी शब्द-
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दुस्सपर्शा :
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स्त्री० [सं०] १. जवासा। केवाँच। २. भटकटैया। |
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समानार्थी शब्द-
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दुस्सह :
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वि० [सं० दुर्√सह् (सहना)+खल्] जिसे सह सकना बहुत कठिन हो। दुःसह। |
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दुस्स्पर्श :
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वि० [सं०] दुष्पर्श। (दे०) |
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दुस्स्पृष्ट :
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पुं० [सं० दुर√स्पृश् (छूना)+क्त] १. हलका स्पर्श। २. जिह्वा का ईषत् स्पर्श जिससे य्, र्, ल् और व् ध्वनियों का उच्चारण होता है। |
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दुस्स्मर :
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वि० [सं० दुर्√स्मृ (स्मरण)+खल्] जिसे स्मरण करना या रखना कठिन हो। |
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दुहकर :
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वि०=दुष्कर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहता :
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पुं० [सं० दौहित्र] [स्त्री० दुहती] बेटी का बेटा। दोहता। नाती। |
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दुहत्थड़ :
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क्रि० वि०, पुं०=दोहत्थड़। |
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दुहत्था :
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वि०=दोहत्था। |
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दुहत्था शासन :
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पुं०= द्विदल शासन। |
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दुहत्थी :
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स्त्री०=दोहत्थी। |
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समानार्थी शब्द-
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दुहना :
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सं०=दोहनी। स्त्री०=दुहिता। |
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दुहरना :
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अ० [?] दोहराया जाना। स०=दोहराना। |
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दुहरा :
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वि० [स्त्री० दुहरी]=दोहरा। |
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समानार्थी शब्द-
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दुहराना :
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स०=दोहराना। |
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दुहा :
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वि०, स्त्री० [सं०] जो दुही जा सके। स्त्री० गाय। गौ। वि०=दोनों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदा०—ऐके ठाहर दूहा बसेरा। पुं०=दूहा या दोहा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहाई :
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स्त्री० [सं० द्विधाकृतम् (दो टुकड़े कर डाला अर्थात् बचाओ मुझे मारडाला) का प्रा० रूप अथवा सं० द्वि=दो+आह्वाय=पुकार] १. ऐसी सूचना जो उच्च स्वर से पुकारते हुए सब लोगों को दी जाय। मुनादी। मुहा०—(किसी की) दुहाई फिरना=(क) राजा के सिंहासन पर बैठने पर उसके राज्याधिकार की घोषणा होना (ख) किसी के प्रताप, यश आदि की चारों ओर खूब चर्चा होना। २. भारी कष्ट या विपत्ति आने पर दूसरों से सहायता पाने के लिए की जानेवाली पुकार। अपने बचाव या रक्षा के लिए दीनतापूर्वक चिल्लाकर की जानेवाली याचना। क्रि० प्र०—देना। ३. शपथ। सौगंध। स्त्री० [हिं० दूहना] दूहने की क्रिया, भाव और पारिश्रमिक। |
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दुहाग :
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पुं० [सं० दुर्भाग्य, प्रा० दुव्भाग] १. दुर्भाग्य। बदकिस्मती। २. वैधव्य। ‘सुहाग’ का विपर्याय। |
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दुहागिन :
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स्त्री० [हिं० दुहागी] विधवा स्त्री। ‘सुगाहिन’ का विपर्याय। |
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दुहागिल :
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वि०=दुहागी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहागी :
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वि० [हिं० दुहाग+ई (प्रत्य०)] १. अभागा। २. अना। ३. खाली। ४. निर्जन। सूना। |
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दुहाजू :
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वि० [सं० द्विभार्य] १. (पुरुष) जो पहली स्त्री के मर जाने पर दूसरा विवाह करे। २. (स्त्री) जो पहले पति के मरने पर दूसरा विवाह करे। |
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दुहाना :
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सं० [हिं० दूहना का प्रे०] गाय आदि दुहने में किसी को प्रवृत्त करना। दुहने का काम किसी से कराना। |
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दुहाव :
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पुं० [हिं० दुहाना] १. गौ, भैंस आदि दुहने की क्रिया या भाव। २. एक प्राचीन प्रथा जिसके अनुसार जमींदार प्रति वर्ष जन्माष्टमी आदि त्योहारों पर किसानों की गाय-भैंसों का दूध दुहाकर ले लेता था। ३. उक्त प्रथा के अनुसार दिया या लिया जानेवाला दूध। |
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दुहावनी :
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स्त्री० [हिं० दुहाना] वह धन जो ग्वाले को गौ, भैंस आदि दुहने के बदले दिया जाता है। दूध दुहने की मजदूरी। |
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दुहिता (तृ) :
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स्त्री० [सं०√दुह+तृच्] बेटी। लड़की। विशेष—प्राचीन काव में गौएँ आदि दुहने का काम प्रायः लड़कियाँ ही करती थीं, इसी से उनका यह नाम पड़ा था। |
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दुहितृ-पति :
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पुं० [सं० ष० त०] दुहिता अर्थात् बेटी का पति। जामाता। दामाद। |
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दुहितृका :
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स्त्री० [सं०] गुड़िया। पंचाली। |
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दुहिन :
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पुं० [सं० द्रुहण] ब्रह्मा। |
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दुहुँधा :
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क्रि० वि० [हिं० दु=दो+धा=ओर] १. दोनों ओर। उदा०—मोटी पीर परम पुरुषोत्तम दुःख मेर्यौ दुहुँधा कौ।—सूर। २. दोनों तरह से।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहूँ :
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वि० [हिं० दो+हूँ (प्रत्य०)] १. दोनों। उदा०—दुहूँ भाँति असमंजसै, वाण चले सुखपाय।—केशव। २. दोनों को। |
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दुहेन् :
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स्त्री० [हिं० दुहना] दूध देनेवाली गाय। |
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दुहेरा :
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वि० १.=दुहेला। २.=दोहरा। |
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दुहेल :
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पुं० [सं० दुर्हेल] दुःख। विपत्ति। मुसीबत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहेलरा :
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वि० [स्त्री० दुहेलरी]=दुहेला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=दुहेला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहेला :
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वि० [सं० दुर्हेल=कठिन खेल] [स्त्री० दुहेली] १.कष्ट-प्रद। दुःखदायी। २. दुसाध्य। कठिन। उदा०—भगति दुहेली राम की।—कबीर। ३.कष्ट या विपत्ति में पड़ा हुआ। दीन। दुखिया। उदा०—दरस बिनु खड़ी दुहेली।—मीराँ। ४. दुःखमय। दुःखपूर्ण। पुं० विकट या दुःखदायक कार्य। |
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दुहैया :
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वि० [हिं० दुहना] गौ, भैंस आदि दूहने का कार्य करने वाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=दुहाई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दुहोतरा :
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वि० [हिं० दो+सं० उत्तर] गिनती में दो से अधिक। पुं०=दोहतरा (नाती)। |
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दुह्य :
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वि० [सं०] [स्त्री० दुह्या] १. जिसे दूहा जा सके। दूहे जाने के योग्य। २. जो दूहा जाने को हो। |
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दुह्यु :
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पुं० [सं०] शर्मिष्ठा के गर्भ से उत्पन्न ययाती राजा के एक पुत्र का नाम। |
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