शब्द का अर्थ
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					दन					 :
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					पुं० [सं० दिन] दिन। (डिं०) पुं० [अनु०] बंदूक, तोप आदि चलने से होनेवाला शब्द। पद—दन से=चट-पट। तुरंत। जैसे—दन से यह काम कर डालो।				 | 
			
			
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					दनकर					 :
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					पुं० [सं० दिनकर] सूर्य। (डिं०)				 | 
			
			
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					दनगा					 :
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					पुं० [देश०] खेत का छोटा टुकड़ा।				 | 
			
			
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					दनदनाना					 :
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					अ० [अनु०] १. दन-दन शब्द होना। २. खुशी मनाना। आनंद करना। स० दन-दन शब्द उत्पन्न करना।				 | 
			
			
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					दनमणि					 :
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					पुं० [सं० दिनमणि] सूर्य। (डिं०)				 | 
			
			
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					दनादन					 :
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					अव्य० [अनु०] १. दन-दन शब्द करते हुए। २. निरंतर। लगातार। ३. चटपट। तुरंत।				 | 
			
			
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					दनियाँ					 :
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					वि०=दानी। उदाहरण—अंग अंग सुभग सकल सुख दनियाँ।—सूर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					दनु					 :
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					स्त्री०[सं०√दा (दान)+नु (नि०सिद्धि)] दक्ष की एक कन्या जो कश्यप की पत्नी थी तथा जिसके गर्भ से चालीस पुत्र उत्पन्न हुए थे, जो सब के सब दनुज या दानव कहलाये।				 | 
			
			
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					दनुज					 :
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					वि० [सं० दनु√जन् (उत्पन्न होना)+ड] दनु के गर्भ से उत्पन्न। पुं० दानव। राक्षस।				 | 
			
			
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					दनुज दलनी					 :
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					स्त्री० [ष० त०] दुर्गा।				 | 
			
			
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					दनुजराय					 :
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					पुं० [सं० दनुज+हिं० राय] दनुजों अर्थात् राक्षसों का राजा हिरण्यकश्यप।				 | 
			
			
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					दनुजारि					 :
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					पुं० [दनुज-अरि, ष० त०] दानवों के शत्रु, देवता।				 | 
			
			
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					दनुजेंद्र					 :
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					पुं० [दनुज-इंद्र, ष० त०] दानवों का राजा रावण।				 | 
			
			
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					दनुसम्भव					 :
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					पुं० [ष० त०] दनु से उत्पन्न, दानव।				 | 
			
			
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					दनू					 :
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					स्त्री० [सं० दनु+ऊङ०]=दनु।				 | 
			
			
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					दन्न					 :
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					पुं० [अनु०]=दन (शब्द)। (दे०)				 | 
			
			
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