शब्द का अर्थ
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					दत्त					 :
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					वि० [सं०√दा (देना)+क्त] [स्त्री० दत्ता] १. जो किसी को दिया जा चुका हो। २. जिसका कर, देन, परिव्यय आदि चुकता कर दिया गया हो। (पेड) पुं० १. दान। २. चंदे, सहायता आदि के रूप में किसी संस्था को दी जानेवाली रकम। (डोनेशन) ३. दत्तक संतान। ४. दत्तात्रेय। ५. जैनों के नौ वासुदेवों में से एक।				 | 
			
			
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					दत्त-चित्त					 :
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					वि० [ब० स०] जो किसी कार्य के संपादन में मनोयोग पूर्वक लगा हुआ हो। जो किसी काम में पूरा मन लगा रहा हो।				 | 
			
			
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					दत्तक					 :
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					पुं० [सं० दत्त+कन् (स्वार्थे)] संतान न होने पर दूसरे कुल और परिवार का वह लड़का जो विधिवत् गोद लेकर अपना पुत्र बनाया गया हो। मुतबन्ना। (एडोप्टेड सन)। विशेष—ऐसा पुत्र धर्म और विधि (या कानून) दोनों के अनुसार हर तरह से औरस या स्वजात पुत्र के समान माना जाता है।				 | 
			
			
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					दत्तक-ग्रहण					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] किसी लड़के को अपना दत्तक पुत्र या मुतबन्ना बनाने की क्रिया या विधान (एडाप्शन)।				 | 
			
			
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					दत्तक-ग्राही					 :
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					वि० [सं० दत्तक-ग्राहिन] जो किसी दूसरे के लड़के को अपना दत्तक पुत्र बनावे।				 | 
			
			
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					दत्ततीर्थकृत					 :
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					पुं० [सं०] गत उत्सर्पिणी के आठवें अर्हत। (जैन)				 | 
			
			
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					दत्तस्यानपा कर्म					 :
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					पुं० [सं० व्यस्त पद] दी हुई चीज फिर वापस ले लेना।				 | 
			
			
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					दत्ता					 :
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					पुं०=दत्तात्रेय।				 | 
			
			
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					दत्तात्मा (त्मन्)					 :
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					पुं० [सं० दत्त-आत्मन्, ब० स०] वह अनाथ अथवा माता-पिता द्वारा त्यक्त बालक जो स्वंय किसी के पास जाकर उसका दत्तक बने। स्वयं अपने आपको किसी का दत्तक पुत्र बनानेवाला बालक या व्यक्ति।				 | 
			
			
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					दत्तात्रेय					 :
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					पुं० [सं० दत्त-आत्रेय, कर्म० स०] अत्रि मुनि और अनुसूया के पुत्र अवधूत वेषधारी महात्मा जिनकी गिनती २४ अवतारों में होती है।				 | 
			
			
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					दत्ताप्रदानिक					 :
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					पुं० [सं० दत्त-अप्रदान, ष० त०+ठन्—इक] दान किये हुए किसी पदार्थ को अन्याय पूर्वक फिर से प्राप्त करने का प्रयत्न जो व्यवहार में अठारह प्रकार के विवाद-पदों में से पाँचवाँ विवाद पद माना गया है।				 | 
			
			
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					दत्तावधान					 :
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					वि० [सं० दत्त-अवधान, ब० स०] १. किसी ओर अवधान या ध्यान देनेवाला। २. सावधान।				 | 
			
			
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					दत्ति					 :
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					स्त्री० [सं० द+क्तिन्] दान।				 | 
			
			
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					दत्ती					 :
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					स्त्री० [?] विवाह-संबंध या सगाई पक्की होना।				 | 
			
			
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					दत्तेय					 :
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					पुं० [सं० दत्ता+ढक्—एय] इंद्र।				 | 
			
			
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					दत्तोपनिषद्					 :
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					पुं० [सं० दत्त-उपनिषद्, मध्य० स०] एक उपनिषद् का नाम।				 | 
			
			
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					दत्तोलि					 :
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					पुं० [सं०] पुलस्त्य मुनि का एक नाम।				 | 
			
			
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