शब्द का अर्थ
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तुरीय :
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वि० [सं० चतुर+छ–ईय, चलोप] चतुर्थ। चौथा। स्त्री० १. वाणी का वह रूप या अवस्था जब वह मुँह से उच्चरित होती है। बैखरी। २. प्राणियों की चार अवस्थाओं में से अन्तिम अवस्था जो ब्रह्म में होनेवाली लीनता या मोक्ष है। (वेदान्त)। पुं० निर्गुण ब्रह्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तुरीय-वर्ण :
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वि० [ब० स०] (व्यक्ति) जो चौथे वर्ण का अर्थात् शूद्र हो पुं० शूद्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |