शब्द का अर्थ
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					तीख					 :
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					वि०=तीखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखन					 :
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					वि०=तीक्ष्ण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखर					 :
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					पुं०=तीखुर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखल					 :
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					पुं०=तीखुर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखा					 :
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					वि० [सं० तीक्ष्ण] [स्त्री० तीखी] [भाव० तीखापन] १. (शस्त्र) जिसकी धार या नोक बहुत तेज या पैनी हो। चोखा। जैसे–तीखी छुरी। २. (व्यक्ति या उसका व्यवहार) जिसमें किसी प्रकार की उग्रता, तीव्रता या प्रखरता हो। कोमलता, मृदुता, सरलता आदि से रहित। जैसे–तीखी नजर, तीखा स्वभाव। ३. (पदार्थ) जिसका स्वाद उग्र, चरपरा या तेज हो। जैसे–तरकारी में पड़ा हुआ तीखा मसाला। ४. (कथन या बात) जिसमें अप्रियता या कटुता हो। जैसे–मैं किसी की तीखी बातें नहीं सुनना चाहता। ५. किसी की तुलना मे अच्छा या बढ़कर। चोखा। जैसे–यह घी (या तेल) उससे तीखा पड़ता है। ६. (दृष्टि) तिरछा। तिर्यक। जैसे–सुंदरी का किसी को तीखी नजर से देखना। पुं० [?] एक प्रकार की चिड़िया।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखापन					 :
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					पुं० [हिं० तीखा+पन(प्रत्यय)] तीखे होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तीखी					 :
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					स्त्री० [हिं० तीखा] एक उपकरण जिससे रेशम फेरा या बटा जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तीखुर					 :
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					पुं० [सं० तवक्षीर] हल्दी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ का सार सफेद चूर्ण के रूप में होता है और खीर, हलुआ आदि बनाने के काम आता है। अब एक प्रकार का तीखुर विदेशों से भी आता है जिसे आरारूट (देखें) कहते हैं।				 | 
			
			
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					तीखुल					 :
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					पुं०=तीखुर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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