शब्द का अर्थ
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					तिरछा					 :
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					वि० [सं० तिर्यक या तिरस] [स्त्री० तिरछी] १. कोई सीधी रेखा या इसी तरह की कोई और चीज जो लंब रूप में तथा क्षितिज के समान्तर न हो बल्कि कुछ या अधिक ढालुई हो। २. जिसमें टेढ़ापन या वक्रता हो। पद–तिरछी चितवन या नजर-बिना सिर घुमाये पार्श्व या बगल में कुछ देखने का भाव। तिरछी बात या वचन-मन को कष्ट पहुँचानेवाली कटु या अप्रिय बात। ३. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जो प्रायः अस्तर के काम में आता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तिरछाई					 :
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					स्त्री० [हिं० तिरछा+ई (प्रत्यय)] तिरछापन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिरछाना					 :
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					अ० [हिं० तिरछा] तिरछा होना। स० तिरछा करना।				 | 
			
			
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					तिरछापन					 :
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					पुं० [हिं० तिरछा+पन (प्रत्यय] तिरक्षा करने या होने की अवस्था, क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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