शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					ठाढ़					 :
				 | 
				
					वि०=ठाढ़ा। उदाहरण–ठाढ़ करत हैं कारन तबही।–तुलसी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					ठाढ़ा					 :
				 | 
				
					वि० [सं० स्थातृ=जो खड़ा हो] [स्त्री० ठाढ़ी] १. जो सीधा खड़ा हो। दंडायमान। २. जो अपने पूर्व या मूलरूप में वर्तमान या स्थित हो। उदाहरण–गाढ़ै, ठाढ़ै कुचनु ठिलि पिय हिय को ठहराइ।-बिहारी। मुहावरा–ठाढ़ा देना=किसी चीज को यत्नपूर्वक संभालकर ज्यों का त्यों रखना। ३. (अनाज का दाना) जो कूटा या पीसा न गया हो, बल्कि ज्यों का त्यों अपने मूल रूप में हो। जैसे–ठाढ़ा गेहूँ या चना। ४. हृष्ट-पुष्ट। हट्टा-कट्टा। ५. जो खड़े बल में हो या सीधा ऊपर की ओर गया हो। ६. जो सामने आकर उपस्थित या प्रस्तुत हुआ हो। वर्तमान।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					ठाढ़ेश्वरी					 :
				 | 
				
					पुं० [हिं० ठाढ़ा+सं० ईश्वर+ई (प्रत्यय)] साधुओं का एक वर्ग जो रात-दिन खड़ा रहता है। विशेष–वे साधु या तो चलते-फिरते रहते हैं या खड़े रहते हैं, बैठते या लेटते बिलकुल नहीं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |