शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					टीस					 :
				 | 
				
					स्त्री० [देश०] १. सहसा तथा रह-रहकर उठनेवाली वह पीड़ा जो शरीर का भीतरी भाग चीरती हुई सी जान पड़े। हूल। क्रि० प्र०–उठना।–मारना। २. दुश्मनी। बैर। शत्रुता। स्त्री० [अं० स्टिच] पुस्तकों की सिलाई का वह प्रकार जिसमें उसके फरमें पहले अलग-अलग और तब एक साथ सीये जाते हैं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					टीसना					 :
				 | 
				
					अ० [हिं० टीस] शरीर के किसी अंग में रह-रहकर ऐसी तीव्र पीड़ा होना जो शरीर के उस अंग को अंदर से चीरती हुई सी जान पड़े।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					टीसा					 :
				 | 
				
					पुं० [देश०] खैरे रंग का एक शिकारी पक्षी जिसके डैने भूरे होते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |