शब्द का अर्थ
			 | 
		 
					
				| 
					चित-भंग					 :
				 | 
				
					पुं० [हिं० चित+भंग] १. वह अवस्था जिसमें मनुष्य का चित या मन एकाग्र और स्वस्थ न रह सके। मानस शांति में होनेवाली बाधा। २. किसी ओर से मन उचटने पर होनेवाली उदासी और विकलता। ३. चेतना, ज्ञान, बुद्धि आदि का ठिकाने न रहना।				 | 
			 
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
		 |