शब्द का अर्थ
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					चारी(रिन्)					 :
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					वि० [सं० (पूर्वरद के साथ होने पर) √ चर् (चलना)+णिनि] एक विशेषण जो समस्त पदों के अंत में लग कर निम्नलिखित अर्थ देता है। (क) चलने या विचरण करनेवाला। जैसे–व्योम-चारी। (ख) कोई विशिष्ट आचरण या क्रिया करनेवाला। जैसे–व्यभिचारी। (ग) पालन करनेवाला। जैसे–ब्रह्मचारी, व्रतचारी। पुं० १. पैदल चलनेवाला सिपाही। २. साहित्य में, संचारी भाव। ३. नृत्य में एक प्रकार की क्रिया।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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