शब्द का अर्थ
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					गोर					 :
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					स्त्री० [फा०] जमीन में खोदा जानेवाला वह गड्ढा जिसमें मुसलमान आदि मुर्दा गाड़ते है। कब्र। पुं० [अ० गोर] [वि० गोरी] फारस देश का एक पुराना प्रान्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं० गौर] १. गौर वर्ण का। गोरा। २. सफेद।				 | 
			
			
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					गोर-चकरा					 :
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					पुं० [देश०] सन की जाति का एक जंगली पौधा।				 | 
			
			
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					गोर-मदाइन					 :
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					स्त्री० [?] इंद्रधनुष (बुंदेल०)				 | 
			
			
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					गोरका					 :
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					पुं० [देश०] अरैल नाम का वृक्ष।				 | 
			
			
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					गोरख					 :
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					पुं० =गोरखनाथ (योगी)।				 | 
			
			
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					गोरख-इमली					 :
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					स्त्री० [हिं० गोरख+इमली] बहुत बड़ा और मोटे तनेवाला एक प्रकार का पेड़।				 | 
			
			
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					गोरख-ककड़ी					 :
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					स्त्री० [हिं० गोरख+ककड़ी] फूट नामक ककड़ी या फल। गोरखी।				 | 
			
			
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					गोरख-डिब्बी					 :
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					स्त्री० [हिं० गोरख+डिब्बी] पानी का वह कुंड या स्रोत जिसमें से गरम तथा खनिज पदार्थों से युक्त जल निकलता हो।				 | 
			
			
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					गोरख-धंधा					 :
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					पुं० [हिं० गोरखनाथ+धंधा] १. ऐसा कठिन और जटिल काम या बात जिसका निराकरण सहज में न हो सकता हो। २. ऐसी झंझट या बखेड़ा जिससे जल्दी छुटकारा न हो। ३. कई तारों, कड़ियों या लकड़ी के टुकड़ों का वह समूह या रचना जिसे जोड़ने या अलग-अलग करने के लिए विशेष बुद्धिबल की आवश्यकता होती है। विशेष-ये एक प्रकार के खिलौने से होते हैं।				 | 
			
			
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					गोरख-नाथ					 :
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					पुं० [गोरक्षनाथ] ई० १५ वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध अवधूत महात्मा और हठयोगी जिनका चलाया हुआ गोरखपंथ नामक संप्रदाय है। इन्हीं के नाम पर गोरखपुर शहर बसा है।				 | 
			
			
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					गोरख-पंथ					 :
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					पुं० [हिं० गोरखनाथ+पंथ] महात्मा गोरखनाथ द्वारा प्रस्थापित एक पंथ या संप्रदाय।				 | 
			
			
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					गोरख-पंथी					 :
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					वि० [हिं० गोरखनाथ+पंथी] गोरखनाथ के चलाये हुए पंथ का अनुयायी।				 | 
			
			
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					गोरख-मुडी					 :
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					स्त्री० [सं० मुण्डी] एक प्रकार की घास जिसमें घुण्डी के तरह के छोटे गोल फल लगते हैं, ये फल रक्तशोधन के लिए बहुत गुणकारी कहे गये हैं।				 | 
			
			
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					गोरखर					 :
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					पुं० [फा०] गधे की जाति का एक प्रकार का जंगली पशु जो गधे से बडा़ और घोड़े से छोटा होता तथा उत्तर-पश्चिमी भारत में पाया जाता है।				 | 
			
			
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					गोरखा					 :
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					पुं० [सं० गोरक्ष अथवा हिं० गो+रखना] १. नेपाल देश का एक प्रदेश। २. उक्त प्रदेश में रहनेवाली एक वीर जाति। ३. उक्त जाति का पुरुष।				 | 
			
			
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					गोरखाली					 :
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					स्त्री० [हिं० गोरख] गोरखा नामक जाति और प्रदेश की बोली।				 | 
			
			
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					गोरखी					 :
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					स्त्री० गोरख-ककड़ी।				 | 
			
			
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					गोरटा					 :
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					वि० [हिं० गोरा] [स्त्री० गोरटी] गोरे रंगवाला। गोरा।				 | 
			
			
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					गोरड़ा					 :
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					वि० [स्त्री० गोरड़ी] =गोरटा। (राज०) उदाहरण-तियाँ तिहारी गोरड़ी, दिन दिन लाख लहाइ।–ढोलामारू। पुं० [हिं० गोड़ना] ईख। ऊख। (अधवी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गोरन					 :
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					पुं० [देश०] १. कुछ नदियों तथा समुद्र के किनारे पर होनेवाला एक प्रकार का पेड़ जिसकी लकड़ी का रंग लाल होता है। २. उक्त वृक्ष की लकड़ी जो नावें बनाने के काम आती है। ३. उक्त वृक्ष का छाल जो चमड़ा सिझाने के काम आती है।				 | 
			
			
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					गोरया					 :
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					पुं० [देश०] अगहन में होनेवाला एक प्रकार का धान।				 | 
			
			
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					गोरल					 :
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					पुं० [देश०] एक प्रकार का जंगली बकरा। वि० =गोरा (गौर वर्णवाला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० गौरी। पार्वती। (राज०) उदाहरण–म्हाँना गुरु गोविन्द री आण, गोरल ना पूजाँ।–मीराँ।				 | 
			
			
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					गोरवा					 :
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					पुं० [देश०] एक प्रकार का बाँस जिसकी छोटी तथा पतली टहनियों से हुक्कों के नैचे बनाये जाते हैं।				 | 
			
			
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					गोरसर					 :
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					पुं० [देश०] बाँस के पंखों में डंडी के पास लगाई जानेवाली कमाची।				 | 
			
			
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					गोरसा					 :
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					पुं० [सं० गोरस] [स्त्री० गोरसी] वह बच्चा जो गाय का दूध पीकर पला हो।				 | 
			
			
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					गोरसी					 :
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					स्त्री० [सं० गोरस+ई (प्रत्यय)] एक प्रकार की छोटी अँगीठी जिसपर दूध गरम किया जाता है।				 | 
			
			
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					गोरा					 :
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					वि० [सं० गौर, प्रा० गोर, बं० उ० पं० मरा० गोरा, सिं० गोरो, गु० गोरू, ने० गोरो] (व्यक्ति) जिसके शरीर का वर्ण बरफ की तरह सफेद और स्वच्छ हो। गौर-वर्णवाला। पद-गोरा भभूका बहुत अधिक गोरा-चिट्टा। पुं० [स्त्री० गोरी] अमेरिका, य़ूरोप आदि ठंडे देशों में रहनेवाला ऐसा व्यक्ति जिसका वर्ण गौर हो। पुं० [देश०] १. एक प्रकार की कल जिससे नील के कारखाने में बट्टियाँ काटी जाती हैं। २. एक प्रकार का नीबू।				 | 
			
			
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					गोरा-पत्थर					 :
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					पुं० [हिं० गोरा+पत्थर] सफेद रंग का एक प्रकार का चिकना तथा मुलायम पत्थर। घीया पत्थर। संग-जराहत। (सोप स्टोन)।				 | 
			
			
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					गोराई					 :
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					स्त्री० [सं० गौर+हिं० आई] १. गोरे होने की अवस्था या भाव। गोरापन। २. व्यक्ति का रूप सम्बन्धी सौन्दर्य ।				 | 
			
			
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					गोराटी					 :
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					स्त्री० [सं० गो√रट् (रटना)+अण्-ङीष्] मैना। पक्षी।				 | 
			
			
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					गोराडू					 :
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					पुं० [देश०] ऐसी मिट्टी जिसमें बालू का भी अँश हो।				 | 
			
			
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					गोरामूँग					 :
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					पुं० [हि० गोरा+मूँग] एक प्रकार का जंगली मूँग।				 | 
			
			
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					गोरिल्ला					 :
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					पुं० [अफ्रिका] अफ्रीका के जंगलों में रहनेवाला एक प्रकार का बनमानुस।				 | 
			
			
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					गोरी					 :
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					स्त्री० [सं० गौरी] १. वह स्त्री जिसका वर्ण गौर हो। २. रूपवती स्त्री। सुन्दरी। वि० [अ० गोर देश] फारस के गोर नामक देश का। जैसे–मुहम्मद गोरी।				 | 
			
			
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					गोरू					 :
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					पुं० [सं० गोरूप, पा० गोरूप, बं० गरू, उ० ने० गोरु, पं० गोरु.मरा० गुरूँ] गौ, बकरी, भैंस आदि सींगवाले पालतू पशु। (कैटिल)। पुं० [सं० गोरुत] दो कोस की दूरी। (राज०)				 | 
			
			
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					गोरू-चोर					 :
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					पुं० [हिं० गोरू+चोर] दूसरों की गौएँ, बकरियाँ, भैंसें आदि चुरानेवाला व्यक्ति। (ए बैक्टर)।				 | 
			
			
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					गोर्खा					 :
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					पुं० =गोरखा।				 | 
			
			
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					गोर्खाली					 :
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					स्त्री० =गोरखाली।				 | 
			
			
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					गोर्द, गोर्ध					 :
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					पुं० [सं०Ö√गुर् (उद्यम)+ददन्, नि० सिद्धि] मस्तिष्क।				 | 
			
			
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