शब्द का अर्थ
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					गीर					 :
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					वि० [फा०] एक प्रत्यय जो कुछ शब्दों के अंत में लगकर निम्नलिखित अर्थ देता है। (क) पकड़नेवाला। जैसे–दामनगीर राहतगीर।(ख) अपने अधिकार में रखनेवाला। जैसे–जहाँगीर। स्त्री० [सं० गिरा] वाणी।				 | 
			
			
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					गीरबान					 :
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					पुं०=गीर्वाण (देवता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गीरवाण, गौरवान					 :
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					पुं० =गीर्वाण।				 | 
			
			
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					गीर्ण					 :
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					वि० [सं०√गृ (शब्द करना)+क्त] १. कथित। कहा हुआ। २. विस्तारपूर्वक बतलाया हुआ। वर्णित। ३. निगला हुआ।				 | 
			
			
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					गीर्णि					 :
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					वि० [सं०√गृ+क्तिन्] १. वर्णन। २. प्रशंसा। स्तुति। ३. निगलने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					गीर्देवी					 :
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					स्त्री० [गिर्-देवी,ष० त०] सरस्वती। शारदा।				 | 
			
			
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					गीर्पति					 :
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					पुं० [गिर्-पति, ष० त०] १. बृहस्पति। २. पंडित। विद्वान।				 | 
			
			
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					गीर्भाषा					 :
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					स्त्री० [गिर्-भाषा, कर्म० स०] दे० ‘गीर्वाणी’।				 | 
			
			
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					गीर्वाण					 :
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					पुं० [गिर-वाण,ब० स०] देवता। सुर।				 | 
			
			
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					गीर्वाणी					 :
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					स्त्री० [गिर्-वाणी, कर्म० स०] देवताओं की भाषा। देवभाषा। संस्कृत।				 | 
			
			
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