शब्द का अर्थ
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					गति					 :
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					स्त्री० [सं०√गम् (जाना)+क्तिन्] १. किसी वस्तु व्यक्ति अथवा उसके किसी अंग या अवयव के स्पंदित या हिलते डुलते रहने की अवस्था या भाव। (मोशन) २. चलने अथवा चलते हुए अपना काम करते रहने की अवस्था या भाव। जैसे–गाड़ी या गड़ी की मन्द गति। ३. अवस्था। दशा। ४. बाना। ५. पहुँच। पैठ। ६. प्रयत्न की सीमा। अंतिम उपाय। ७. एक मात्र सहारा या अवलंब। उदाहरण–जाके गति है हनुमान की।–तुलसी। ८. चेष्टा। प्रयत्न। ९. ढंग। रीति। १॰. मृत्यु के उपरांत जावात्मा का दूसरे शरीर में होनेवाला गमन। जैसे–धर्मात्माओं को उत्तम गति प्राप्त होना। ११.मुक्ति। मोक्ष। १२. दे० गत (नृत्य और संगीत की)।				 | 
			
			
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					गति-भंग					 :
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					पुं० [ष० त०] कविता पाठ, संगीत आदि की गति या लय का बीच में भंग या विकृत होना।				 | 
			
			
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					गति-भेद					 :
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					पुं० [ष० त० ] =गतिभंग।				 | 
			
			
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					गति-मंडल					 :
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					पुं० [ष० त० ] नृत्य में शरीर के विभिन्न अंगों की एक प्रकार की मुद्रा।				 | 
			
			
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					गति-रोध					 :
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					पुं० [सं० ष० त० ] १. बीच में कठिनाई या बाधा आ पड़ने के कारण किसी चलते हुए काम या बात का रुक जाना। २. किसी प्रकार के झगड़े या बात-चीत के समय बीच में उत्पन्न होनेवाली ऐसी स्थिति जिसमें दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़ जाते हैं और समझौते का कोई रास्ता निकलते नहीं दिखाई देता। (डेडलाँक)				 | 
			
			
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					गति-विज्ञान					 :
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					पुं० [ष० त०] विज्ञान का वह अंग जिसमें द्रव्यों की गति और उन्हें परिचालित करनेवाली शक्तियों का विवेचन होता है। (डायनामिक्स)				 | 
			
			
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					गति-विद्या					 :
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					स्त्री० [ष० त०]=गति-विज्ञान।				 | 
			
			
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					गति-विधि					 :
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					स्त्री० [ष० त०] आचरण-व्यवहार आदि करने अथवा रहने सहने का रंग-ढंग। जैसे–सेना की गति विधि की निरीक्षण करना।				 | 
			
			
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					गति-शास्त्र					 :
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					पुं० [ष० त०]=गति-विज्ञान।				 | 
			
			
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					गति-हीन					 :
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					वि० [पं० त०] १. जिसमें गति न हो। २. ठहरा या रुका हुआ। ३. जिसके लिए कोई गति या उपाय न हो। असहाय और दीन।				 | 
			
			
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					गतिक					 :
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					पुं० [सं० गति+कन्] १. चलने की क्रिया या भाव। चाल। २. मार्ग। रास्ता। ३. आश्रय। वि० १. गति संबंधी। २. भौतिक गति या चाल से संबंध रखनेवाला। (डायनामिक)				 | 
			
			
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					गतिमान्(मत्)					 :
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					वि० [सं० गति+मतुप्] १. जिसमें गति हो। जो चल अथवा हिल-डुल रहा हो। चलता हुआ। २. जो अपना कार्य ठीक प्रकार से निरंतर कर रहा हो।				 | 
			
			
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					गतिया					 :
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					पुं० [हिं० गत+इया (प्रत्यय)] संगीत में गत या लय ठीक रखनेवाला, अर्थात् ढोलक, तबला या मृदंग बजानेवाला।				 | 
			
			
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					गतिशील					 :
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					वि० [ब० स०] १. चलनेवाला या चलता हुआ। २. आगे की ओर बढ़नेवाला। उन्नतिशील। ३. जो स्वयं चलकर दूसरों को भी चलाता हो।				 | 
			
			
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