शब्द का अर्थ
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					केदार					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. खेतों, बगीचों आदि की क्यारी। २. वृक्षों के नीचे का थाला। थाँवला। ३. हिमालय की प्रसिद्ध एक चोटी जो एक तीर्थ स्थान है। ४. शिवलिंग। ५. मेघराग का चौथा पुत्र। ६. ओड़व-षाड़व जाति का एक राग जो रात के दूसरे पहर में गाया जाता है।				 | 
			
			
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					केदार-खंड					 :
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					पुं० [ष० त०] १. स्कंद पुराण का एक भाग, जिसमें केदारनाथ का माहात्म्य कहा गया है। २. पानी रोकने के लिए बाँधा हुआ बाँध।				 | 
			
			
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					केदार-गंगा					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] गढ़वाल प्रदेश की एक नदी जो गंगा में मिलती है।				 | 
			
			
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					केदार-नट					 :
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					पुं० [मध्य० स०] षाड़व जाति का एक संकर राग जो नट और केदार के योग से बनता है और रात के दूसरे पहर में गाया जाता है।				 | 
			
			
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					केदारक					 :
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					पुं० [सं० केदार+कन्] साठी धान।				 | 
			
			
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					केदारनाथ					 :
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					पुं० [ष० त०] हिमालय के केदार शिखर पर स्थित एक प्रसिद्ध शिवलिंग।				 | 
			
			
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					केदारा					 :
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					पुं०=केदार (राग)				 | 
			
			
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					केदारी					 :
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					स्त्री० [सं० केदार+ङीष्] दीपक राग की पाँचवी रागिनी।				 | 
			
			
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