शब्द का अर्थ
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					कपोल					 :
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					पुं० [सं०√कंप्+ओलच्, नलोप] १. मुख का वह मांसल भाग जो मुँह के दोनों ओर आँख, नाक, चिबुक तथा मुँह के बीच में स्थित होता है। गाल। २. नृत्य या नाट्य में कपोल की चेष्टा या भाव-भंगी जो सात प्रकार की कही गई हैं। यथा—लज्जा, भय, क्रोध, हर्ष, क्षोभ, उत्साह और गर्व के समय तथा प्राकृतिक या स्वाभाविक।				 | 
			
			
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					कपोल-कल्पना					 :
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					स्त्री० [ष० त०] ऐसी बात जो केवल मन से गढ़ी गई हो और जिसका कोई वास्तविक आधार न हो। मन-गढ़ंत।				 | 
			
			
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					कपोल-कल्पित					 :
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					वि० [तृ० त०] (ऐसी बात) जो बिना किसी आधार के अपने मन से बना ली गई हो। कल्पना पर आधारित तथा मनगढ़ंत।				 | 
			
			
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					कपोल-दुआ					 :
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					पुं० दे० ‘गल-तकिया’।				 | 
			
			
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