शब्द का अर्थ
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					उरस					 :
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					वि० [सं० निरस] जिसमें रस न हो। बिना रस का। पुं० [सं० उरस्] १. छाती। वक्षःस्थल। २. हृदय।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उरस					 :
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					वि० [सं० निरस] जिसमें रस न हो। बिना रस का। पुं० [सं० उरस्] १. छाती। वक्षःस्थल। २. हृदय।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उरसना					 :
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					स० [हिं० उड़सना] १. ऊपर-नीचे या उथल-पुथल करना। २. ढाँकना। उदाहरण—पट पटि उरसि संथजुत बंक निहारत।—लोकगीत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					उरसना					 :
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					स० [हिं० उड़सना] १. ऊपर-नीचे या उथल-पुथल करना। २. ढाँकना। उदाहरण—पट पटि उरसि संथजुत बंक निहारत।—लोकगीत।				 | 
			
			
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					उरसि-रुह					 :
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					पुं० [सं० उरसि√रुह्(उत्पन्न होना)+क] स्तन।				 | 
			
			
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					उरसि-रुह					 :
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					पुं० [सं० उरसि√रुह्(उत्पन्न होना)+क] स्तन।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					उरसिज					 :
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					पुं० [सं० उरसि√जन् (उत्पन्न होना)+ड] उरोज। स्तन।				 | 
			
			
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					उरसिज					 :
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					पुं० [सं० उरसि√जन् (उत्पन्न होना)+ड] उरोज। स्तन।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					उरस्क					 :
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					पुं० [सं० उरस्+कन्] १. छाती। वक्षःस्थल। २. हृदय।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उरस्क					 :
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					पुं० [सं० उरस्+कन्] १. छाती। वक्षःस्थल। २. हृदय।				 | 
			
			
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					उरस्त्राण					 :
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					पुं० [सं० उरस्√त्रा (रक्षा करना)+ल्युट-अन] युद्ध में छाती की रक्षा के लिए उस पर बाँधने का कवच।				 | 
			
			
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					उरस्त्राण					 :
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					पुं० [सं० उरस्√त्रा (रक्षा करना)+ल्युट-अन] युद्ध में छाती की रक्षा के लिए उस पर बाँधने का कवच।				 | 
			
			
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					उरस्य					 :
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					वि० [सं० उरस्+य] उर-संबंधी। पुं० १. औरस पुत्र। २. सेना का अगला भाग।				 | 
			
			
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					उरस्य					 :
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					वि० [सं० उरस्+य] उर-संबंधी। पुं० १. औरस पुत्र। २. सेना का अगला भाग।				 | 
			
			
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					उरस्वान (स्वत्)					 :
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					वि० [सं० उरस्+मतुप्] जिसका उर या वक्षःस्थल चौड़ा हो।				 | 
			
			
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					उरस्वान (स्वत्)					 :
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					वि० [सं० उरस्+मतुप्] जिसका उर या वक्षःस्थल चौड़ा हो।				 | 
			
			
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