शब्द का अर्थ
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					उपयोग					 :
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					पुं० [सं० उप√युज्+घञ्] १. किसी वस्तु का होनेवाला प्रयोग या व्यवहार। किसी चीज का काम में लाया जाना। जैसे—खाने-पीने की चीजों का उपयोग, अधिकार या शक्ति का उपयोग। २. आवश्यकता की पूर्ति या प्रयोजन की सिद्धि। (यूज, उक्त दोनों अर्थों में) जैसे—हमारे लिए आपकी इन बातों का कुछ भी उपयोग नहीं है। ३. साहित्य में, मानमोचन के दो उपचारों में से एक (विधेय से भिन्न) जिसमें मीठी बातें कहकर हाथ-पैर जोड़कर, प्रिय वस्तु भेंट करके या ऐसे ही दूसरे सौम्य उपचारों से रूठे हुए को मनाते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					उपयोग					 :
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					पुं० [सं० उप√युज्+घञ्] १. किसी वस्तु का होनेवाला प्रयोग या व्यवहार। किसी चीज का काम में लाया जाना। जैसे—खाने-पीने की चीजों का उपयोग, अधिकार या शक्ति का उपयोग। २. आवश्यकता की पूर्ति या प्रयोजन की सिद्धि। (यूज, उक्त दोनों अर्थों में) जैसे—हमारे लिए आपकी इन बातों का कुछ भी उपयोग नहीं है। ३. साहित्य में, मानमोचन के दो उपचारों में से एक (विधेय से भिन्न) जिसमें मीठी बातें कहकर हाथ-पैर जोड़कर, प्रिय वस्तु भेंट करके या ऐसे ही दूसरे सौम्य उपचारों से रूठे हुए को मनाते हैं।				 | 
			
			
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					उपयोग-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०]=उपयोगितावाद।				 | 
			
			
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					उपयोग-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०]=उपयोगितावाद।				 | 
			
			
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					उपयोगिता					 :
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					स्त्री० [सं० उपयोगिन्+तल्-टाप्] १. उपयोगी या लाभकारी होने की अवस्था या भाव। २. किसी वस्तु का वह गुण या तत्त्व जिसमें उस वस्तु के उपभोक्ता का कोई प्रयोजन सिद्ध होता हो या उसे किसी प्रकार की तृप्ति होती हो। (यूटिलिटी उक्त दोनों अर्थो में) जैसे—(क) बालकों को हर चीज की उपयोगिता बतलानी चाहिए। (ख) अब इन नियमों या विधानों की उपयोगिता नष्ट हो चुकी है।				 | 
			
			
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					उपयोगिता					 :
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					स्त्री० [सं० उपयोगिन्+तल्-टाप्] १. उपयोगी या लाभकारी होने की अवस्था या भाव। २. किसी वस्तु का वह गुण या तत्त्व जिसमें उस वस्तु के उपभोक्ता का कोई प्रयोजन सिद्ध होता हो या उसे किसी प्रकार की तृप्ति होती हो। (यूटिलिटी उक्त दोनों अर्थो में) जैसे—(क) बालकों को हर चीज की उपयोगिता बतलानी चाहिए। (ख) अब इन नियमों या विधानों की उपयोगिता नष्ट हो चुकी है।				 | 
			
			
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					उपयोगिता-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०] एक आधुनिक पाश्चातात्य मत या सिद्धान्त, जिसमें नैतिक, सांस्कृतिक आदि गुणों या विशेषताओं का ध्यान छोड़कर प्रत्येक बात या वस्तु का अर्थ, महत्त्व या मान इस दृष्टि से आँका जाता है कि मानव समाज के कल्याण के लिए उसका कितना, कैसा और क्या उपयोग है अथवा हो सकता है। (यूटिलिटेरियनिज्म)				 | 
			
			
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					उपयोगिता-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०] एक आधुनिक पाश्चातात्य मत या सिद्धान्त, जिसमें नैतिक, सांस्कृतिक आदि गुणों या विशेषताओं का ध्यान छोड़कर प्रत्येक बात या वस्तु का अर्थ, महत्त्व या मान इस दृष्टि से आँका जाता है कि मानव समाज के कल्याण के लिए उसका कितना, कैसा और क्या उपयोग है अथवा हो सकता है। (यूटिलिटेरियनिज्म)				 | 
			
			
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					उपयोगितावादी (दिन्)					 :
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					पुं० [सं० उपयोगितावाद+इनि] वह जो उपयोगितावाद के सिद्धांतों का अनुयायी, प्रतिपादक या समर्थक हो। (यूटिलिटेरिअन)				 | 
			
			
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					उपयोगितावादी (दिन्)					 :
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					पुं० [सं० उपयोगितावाद+इनि] वह जो उपयोगितावाद के सिद्धांतों का अनुयायी, प्रतिपादक या समर्थक हो। (यूटिलिटेरिअन)				 | 
			
			
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					उपयोगी (गिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√युज्+घिनुण्] १. जो उपयोग में लाये जाने के योग्य हो। २. जिसमें ऐसे गुण या तत्त्व हों जिनसे किसी का प्रयोजन सिद्ध होता हो या लाभ होता हो।				 | 
			
			
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					उपयोगी (गिन्)					 :
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					वि० [सं० उप√युज्+घिनुण्] १. जो उपयोग में लाये जाने के योग्य हो। २. जिसमें ऐसे गुण या तत्त्व हों जिनसे किसी का प्रयोजन सिद्ध होता हो या लाभ होता हो।				 | 
			
			
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