शब्द का अर्थ
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					अहा					 :
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					अव्य० [सं० अहह] आनंद, आह्राद, प्रसन्नता आदि का सूचक अव्यय। अ० अवधी और पूर्वी हिन्दी में ‘होना’ क्रिया का भूतकालिक रूप था।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अहाता					 :
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					पुं० [अ० इहातः] १. चारों ओर से घिरा हुआ मैदान या स्थान। हाता। २. चारदीवारी।				 | 
			
			
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					अहान					 :
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					पुं० [सं० आह्वान] पुकार। चिल्लाहट। पुं० [सं० अहन्] दिन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अहार					 :
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					पुं० [सं० आहार, सिं० आहरू, मराठी० अहार] १. खाने की चीज़ें। खाद्य पदार्थ। २. भोजन करने की क्रिया या भाव। खाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अहारना					 :
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					स० [सं० आहरणम्=(खाना)] १. आहार या भोजन करना। २. लेई लगाकर लसना। चिपकाना। ३. कपड़े में माड़ी देना। ४. दे० ‘अहरना’।				 | 
			
			
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					अहारी					 :
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					वि० =आहारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अहार्य					 :
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					वि० [सं०√हृ (हरण करना)+ण्यत्, न० त०] १. जो हरण किया या चुराया न जा सके। २. जिसका हरण करना उचित न हो। ३. जिसे धन आदि के द्वारा वश में न किया जा सके।				 | 
			
			
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					अहाहा					 :
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					अव्य० [सं० अहह] प्रसन्नता या हर्ष-सूचक एक अव्यय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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