शब्द का अर्थ
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					अवम					 :
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					वि० [सं०√अव (रक्षण आदि)+अमच्] १. जो सबसे नीचे हो। निचला। २. अधम। नीच। ३. अंतिम। आखिरी। ४. रक्षक। पुं० १. पितरों का एक गण या वर्ग। २. अधिक मास। मलमास।				 | 
			
			
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					अवम-तिथि					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] चांद्र मास की वह तिथि जिसका क्षय हो गया हो।				 | 
			
			
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					अवम-रति					 :
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					स्त्री० [सं० कर्म०स०) ऐसी रति या प्रीति जो विशुद्ध स्वार्थ की दृष्टि से की जाए।				 | 
			
			
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					अवमत					 :
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					वि० [सं० अव√मन् (जानना)+क्त] अपमानित। तिरस्कृत। निंदित। पुं० [सं० अव-मत, प्रा० स०] अनुचित या बुरा मत।				 | 
			
			
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					अवमंता (तृ)					 :
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					वि० [सं० अव√मन् (जानना)+तृच्] अपमान करनेवाला।				 | 
			
			
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					अवमति					 :
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					स्त्री० [सं० अव√मन्+क्तिन्] १. अरुचि। २. अपमान। निंदा। स्त्री० [सं० अव-मति, प्रा० स०] अनुचित या बुरी मति। (बुद्धि या परामर्श)।				 | 
			
			
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					अवमंथ					 :
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					पुं० [सं० अव√मन्थ् (मथना)+अच्] लिंगेन्द्रिय का एक रोग।				 | 
			
			
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					अवमर्द (ग्रहण)					 :
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					पुं० [सं० अव√मृद् (चूर्ण करना)+घञ्] ऐसा ग्रहण जिसमें चंद्रमा या सूर्य का मंडल अधिक समय तक और पूरी तरह से छिपा या ढका रहे।				 | 
			
			
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					अवमर्दन					 :
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					पुं० [सं० अव√मृद्+ल्युट्-अन] [भू० कृ० अवमर्दित] १. कष्ट या दुःख देना। २. पैरों से कुचलना, दलना या रौंदना।				 | 
			
			
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					अवमर्दित					 :
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					भू० कृ० [सं० अव√मृद्+क्त] १. जिसका अवमर्दन हुआ हो। २. कुचला, दला या रौंदा हुआ।				 | 
			
			
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					अवमर्श					 :
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					पुं० [सं० अव√मृश् (छूना)+घञ्] १. छूना या स्पर्श करना। २. संबंध स्थापित करना।				 | 
			
			
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					अवमर्श-संधि					 :
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					स्त्री० [ष० त०] नाट्य शास्त्र में, पाँच प्रकार की संधियों में से एक।				 | 
			
			
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					अवमर्ष					 :
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					पुं० [अव√मृष् (सहना)+घञ्] =अवमर्षण।				 | 
			
			
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					अवमर्षण					 :
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					पुं० [सं० अव√मृष्+ल्युट्-अन] १. स्पर्श करना। छूना। २. दूर करना। हटाना। ३. नष्ट करना। मिटाना। ४. मान्य या सहन न करना।				 | 
			
			
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					अवमान					 :
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					पुं० [सं० अव√मन् (मानना)+घञ्] [भू० कृ० अवमानित] १. किसी के मान का पूरा ध्यान न रखना। जितना चाहिए, उतना आदर या मान न करना। (डिसरिगार्ड) विशेष दे० अवज्ञा। २. महत्त्व मान या मूल्य ठीक प्रकार से न आँकना।				 | 
			
			
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					अवमानन					 :
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					पुं० [सं० अव√मन्+णिच्+ल्युट्-अन] अवमान या अपमान करना।				 | 
			
			
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					अवमानना					 :
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					स० [सं० अवमान] अवमान करना।				 | 
			
			
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					अवमानित					 :
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					भू० कृ० [सं० अव√मन्+णिच्+क्त] १. जिसका अवमान हुआ हो। २. दे० ‘अपमानित’।				 | 
			
			
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					अवमानी (निन्)					 :
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					वि० [सं० अव√मन्+णिच्+णिनि] अपमान या अवमान करनेवाला। उदाहरण—सोचिअ सूद्र विप्र अवमानी।—तुलसी।				 | 
			
			
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					अवमूल्यन					 :
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					पुं० [सं० अवमूल्य+णिच्+ल्युट्-अन] १. किसी वस्तु के मूल्य के कम होने या घटने की अवस्था या भाव। २. आधुनिक अर्थशास्त्र में विनिमय के काम के लिए मुद्रा या सिक्कों का मूल्य कम करने की क्रिया या भाव। (डीवैल्यूएसन)				 | 
			
			
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					अवमोचन					 :
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					पुं० [सं० अव√मुच् (छोड़ना)+ल्युट्-अन] बंधन से मुक्त करने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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