शब्द का अर्थ
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					अर्णव					 :
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					वि० [सं० अर्णस्+व,सलोप] १. उत्तेचित। २. फेनयुक्त। ३. विकल। पुं० [सं० ] १. समुद्र। २. सूर्य। ३. इंद्र। ४. अंतरिक्ष। ५. रत्न। मणि। ६. चार की संख्या। ७. दंडक वृत्त का वह भेद जिसके हर चरण में २ नगण और ९ रगण होते हैं।				 | 
			
			
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					अर्णव-नेमि					 :
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					स्त्री० [ष० त०] पृथ्वी।				 | 
			
			
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					अर्णव-पति					 :
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					पुं० [ष० त०] महासागर।				 | 
			
			
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					अर्णव-पोत					 :
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					पुं० [मध्य० स०] जल-पोत। जलयान। जहाज।				 | 
			
			
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					अर्णव-मल					 :
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					पुं० दे० ‘अर्णवज’।				 | 
			
			
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					अर्णव-यान					 :
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					पुं० [मध्य० स०] जलयान। जहाज।				 | 
			
			
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					अर्णवज					 :
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					पु० [सं० अर्णव√जन्(अत्पन्न करना)+ड] समुद्र की झाग या फेना।				 | 
			
			
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					अर्णवमंदिर					 :
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					पुं० [ब० स०] वरुण।				 | 
			
			
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					अर्णवोद्भव					 :
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					पुं० [सं० अर्णव-उदभव, ब० स०] १. अग्निजार नामक पौधा। २. चंद्रमा। ३. अमृत। वि० जो अर्णव या समुद्र से निकला या बना हो।				 | 
			
			
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					अर्णवोद्भवा					 :
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					स्त्री० [सं० अर्णवोदभव+टाप] लक्ष्मी।				 | 
			
			
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