शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					अर्चि					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०√अर्च+इन] १. अग्नि की शिखा। लपट। लौ। २. सूर्योदय या सूर्यास्त होते समय की किरणें। ३. दीप्ति। तेज।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चित					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० ब०] १. (व्यक्ति) जिसे कोई चिन्ता न हो। फलतः निश्चित या बेफिक्र २. जिसका चिंतन न हो सके।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं०√अर्च+क्त] जिसकी अर्चना की गयी हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चितनीय					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० त०] १. जिसका चिंतन या कल्पना न हो सके। फलतः अज्ञेय या दुर्बोध। २. जिसका अनुमान न हो सके या न किया गया हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चिंतित					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० त०] १. जो पहले से सोचा या विचारा न गया हो। २. (व्यक्ति) जो चिंतित न हो निश्चित। ३. अप्रत्याशित। आकस्मिक। ४. उपेक्षित।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चिती (तिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं० अर्चित+इनि] अर्चना करनेवाला।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चिमाल्य					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ] महर्षि मरीचि के पुत्र का नाम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चिष्मती					 :
				 | 
				
					वि० [सं० अर्चिस्+मतुप्, ङीष्] १. अग्निपुरी या अग्निलोक। २. बौद्धों के १॰ लोकों में से एक लोक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अर्चिष्मान्					 :
				 | 
				
					वि० [सं० अर्चिस्+मतुप्] प्रकाशमान। पुं० १. सूर्य। २. अग्नि। ३. देवताओं का एक भेद। ४. दे० ‘अर्चिमाल्य’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |