शब्द का अर्थ
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					अरण्य					 :
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					पुं० [सं०√ऋ (गति)+अन्य] १. वह विस्तृत भू-भाग जो वृक्षों और झाड़ियों से भरा हो। जंगल। वन। २. दशनामी संन्यासियों के दस भेदों में से एक। ३. कायफल।				 | 
			
			
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					अरण्य-गान					 :
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					पुं० [सं० त०] १. वन में एकांत स्थान पर गाया जानेवाला गीत। २. लाक्षणिक अर्थ में, वह सुंदर काम या बात जिसे देखने-सुनने या समझनेवाला कोई न हो।				 | 
			
			
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					अरण्य-चंद्रिका					 :
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					स्त्री० [सं० त०] ऐसी चंद्रिका (श्रंगार या शोभा) जिसे देखने या समझनेवाला कोई न हो।				 | 
			
			
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					अरण्य-पंडित					 :
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					पुं० [सं० त०] वह जो वन (अर्थात् निर्जन स्थान) में ही अपना गुँ या पांडित्य प्रकट कर सके।				 | 
			
			
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					अरण्य-पति					 :
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					पुं० [ष० त०] सिंह।				 | 
			
			
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					अरण्य-मक्षिका					 :
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					स्त्री० [ष० त०] डाँस। मच्छर।				 | 
			
			
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					अरण्य-यान					 :
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					पुं० [सं० त०] १. जंगल की ओर प्रस्थान करना। २. वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करना।				 | 
			
			
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					अरण्य-राज					 :
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					पुं० [ष० त०] सिंह।				 | 
			
			
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					अरण्य-रोदन					 :
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					पुं० [सं० त०] ऐसी चिल्लाहट, पुकार या व्यथा निवेदन जिसकी ओर कोई ध्यान न देने वाला हो।				 | 
			
			
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					अरण्य-विलाप					 :
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					पुं० [सं० त०]=अरण्य-रोदन।				 | 
			
			
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					अरण्य-षष्टी					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] एक व्रत जो ज्येष्ठ शुक्ल षष्ठी को किया जाता है।				 | 
			
			
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					अरण्यक					 :
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					पुं० [सं० अरण्य+कन्] १. जंगल। वन। २. जंगल में रहनेवाला समाज।				 | 
			
			
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					अरण्यानी					 :
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					स्त्री० [सं० अरण्य+ङीष्, आनुक्] १. बहुत बड़ा वन। २. मरुस्थल। रेगिस्तान। ३. वन की देवी।				 | 
			
			
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					अरण्यीय					 :
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					वि० [सं० अरण्य+छ-ईय] १. जंगलवाला। २. जो जंगल के निकट पास या समीप स्थित हो। पुं० वह भू-भाग जिसमें वन हो।				 | 
			
			
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