शब्द का अर्थ
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					अरज					 :
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					पुं० [अ० अर्ज] चौड़ाई। पनहा। जैसे—कपड़े का अरज। स्त्री० [फा० अर्ज] नम्रतापूर्वक किसी से की हुई प्रार्थना। निवेदन। पद—अरज-गरज=आवश्यकता और उसके संबंध में की जानेवाली प्रार्थना।				 | 
			
			
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					अरजना					 :
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					स० [सं० अर्जन] अर्जन या प्राप्त करना। स० [फा० अर्ज] अरज (निवेदन या प्रार्थना) करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अरजम					 :
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					पुं० [देश०] कुंबी नामक वृक्ष।				 | 
			
			
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					अरजल					 :
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					पुं० [अ० अर्जल] १. वह घोड़ा जिसका एक अगला (दाहिना) और दोनों पिछले पाँव एक रंग के हों। और अगला बायाँ पैर किसी और रंग का हो। ऐसा घोड़ा खराब माना जाता है। २. तुच्छ व्यक्ति। कमीना। नीच। ३. वर्ण-संकर।				 | 
			
			
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					अरजस्क					 :
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					वि० [न० ब०, कप्] १. जिसमें रज या धूल न हो। २. स्वच्छ।				 | 
			
			
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					अरजाँ					 :
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					वि० [फा० अर्जा] [भाव० अर्जानी] कम या थोड़े मूल्य का। सस्ता।				 | 
			
			
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					अरजी					 :
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					स्त्री० [अ० अर्जी] वह पत्र जिसमें किसी अधिकारी से विनयपूर्वक प्रार्थना की गई हो। आवेदनपत्र। निवेदनपत्र। प्रार्थनापत्र। वि० गरज (निवेदन या प्रार्थना) करनेवाला। प्रार्थी।				 | 
			
			
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					अरजुन					 :
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					पुं०=अर्जुन।				 | 
			
			
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