शब्द का अर्थ
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					अनित्य					 :
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					वि० [न० त०] [भाव० अनित्यता] १. जो नित्य या सद न बना रहे, बल्कि कुछ समय बाद नष्ट हो जाय। अस्थायी। जैसे—संसार और उसकी सब वस्तुएँ अनित्य हैं। २. कभी न कभी नष्ट हो जानेवाला। नश्वर। (मॉर्टल) ३. अनिश्चित। ४. जो स्वयं कार्य-रूप हो और जिसका कोई कारण हो। ५. असत्य। झूठा।				 | 
			
			
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					अनित्यकर्म (न्)					 :
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					पुं० [कर्म० स०] ऐसा धार्मिक कृत्य जो नित्य नियमित रूप से नहीं बल्कि कुछ विशिष्ट अवसरों पर किया जाता है।				 | 
			
			
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					अनित्यक्रिया					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] =अनित्यकर्म।				 | 
			
			
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					अनित्यता					 :
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					स्त्री० [सं० अनित्य+तल् — टाप्] १. अनित्य होने की अवस्था, गुण या भाव। २. नश्वरता।				 | 
			
			
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					अनित्यदत्त					 :
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					पुं० [तृ० त०] ऐसा बालक जो किसी को स्थायी रूप से दत्तक बनाने के लिए दिया गया हो।				 | 
			
			
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					अनित्यदत्तक					 :
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					पुं० [सं० अनित्यदत्त+कन्] =अनित्यदत्त।				 | 
			
			
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					अनित्यभाव					 :
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					पुं० [कर्म० स०] क्षण-भंगुरता। नश्वरता।				 | 
			
			
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					अनित्यसम					 :
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					पुं० [तृ० त०] तर्क में ऐसा दूषित और अमान्य उत्तर या कथन जिसमें किसी विशिष्ट धर्म या अपवाद-स्वरूप तथ्य के आधार पर ऐसी बातों का भी अंतर्भाव हो जाय, जिनका अंतर्भाव न हो सकता हो।				 | 
			
			
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