शब्द का अर्थ
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					अचेत					 :
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					वि० [सं० अचेतस्) १. जिसकी चेतना शक्ति कुछ देर के लिए न रहे। चेतना रहित। मूर्छित। (अन्काँन्शस) २. जिसका होश हवाश ठिकाने न हो। उदाहरण—अबहूँ चेत अचेत, अब अधचरा बचाइ ले-तुलसी। ३. असावधान।				 | 
			
			
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					अचेतन					 :
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					वि० [सं० न० ब०] १. जिसमें चेतना या ज्ञान न हो। २. जिसमें जीवन या जीवनी शक्ति न हो। पुं० [सं० न० त०] १. जड़ पदार्थ। २. मनोविज्ञान में मन का वह नीचे दबा हुआ सुप्त-प्राय अंश जिसमें ऐसी धारणाएँ, भाव-विचार, संस्कार आदि पड़े-पड़े अपने कार्य करते रहते हैं, जिनका पूरा प्रत्यक्ष और स्पष्ठ भान मनुष्य को नहीं होता। (सबकाँन्शेन्स) विशेष— (क) वस्तुतः यह होता तो चेतन (मन) का बहुत बड़ा अंग या अंश ही है परन्तु लोक व्यवहार में चेतन का प्रयोग उसके उसी थोड़े से अंग या अंश के लिए होता है जिसका सब लोगों को सदा और सहज में अनुभव और परिज्ञान होता रहता है। शेष सारा अंश अचेतन ही कहलाता है। (ख) इसका प्रयोग प्रायः मन के पहले रूप में होता हैं।				 | 
			
			
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					अचेतनक					 :
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					वि० [सं० अचेतन+क्विप्+ण्वुल्-अक) अचेत या बेहोश रहने वाला। (एनीस्थेटिक)				 | 
			
			
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					अचेतना					 :
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					स्त्री० [सं० न० त०] चेतना न होने या न रहने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					अचेतनीयकरण					 :
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					पुं० [सं० अचेतन√ कृ+च्वि+ल्युट्-अन) चिकित्सा में, औषधि से शरीर के किसी अंग या भाग को निश्चेष्ट या सुन्न करने की क्रिया या भाव। (एनीसथेस्सि)				 | 
			
			
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					अचेता (तस्)					 :
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					वि० [सं० न० ब०] १. चेतना अथवा चित्त से रहित। अचेतन। २. जड़। ३. निर्जीव।				 | 
			
			
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