शब्द का अर्थ
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					अख					 :
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					पुं० [?] बाग। बगीचा। (डि०)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंग					 :
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					वि० [सं० अखंड] न खँगने वाला। जो जल्दी क्षीण न हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखगरिया					 :
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					पुं० [अ० अखगर=चिनगारी+इया प्रत्य०] वह घोड़ा जिसके शरीर से मलने के समय चिनगारियाँ निकलती हों।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंज					 :
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					वि० [सं० अखाद्य] १. न खाने योग्य। अखाद्य। २. निकृष्ट। बुरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंड					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० ब०] १. जिसके खंड या टुकड़े न हुए हो अथवा न हो सकते हों। फलतः पूरा या समूचा। जैसे—अखंड भारत। २. जिसका क्रम बीच में न टूटे। निरंतर चलनेवाला जैसे—अखंड पाठ। ३. जिसके बीच या मार्ग में कोई बाधा या विघ्न न हो। निर्विघ्न। बे-रोक-टोक। ४. जिसका खंडन न हो सके।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंड-द्वादशी					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] अगहन-शुक्ल द्वादशी। (पर्व)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंडन					 :
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					पुं० [सं० न० त०] १. खंडन का अभाव। खंडन न होना। २. स्वीकार। ३. परमात्मा। ४. काल। वि० [सं० न० ब०] १. जिसका खंडन न हुआ हो। अखंडित। २. जिसका खंडन न हो सके। अखंडनीय। ३. पूरा। समूचा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंडनीय					 :
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					वि० [सं० न० त०] १. (पदार्थ) जिसके खंड या टुकड़े न हो सकें। २. (मत या सिद्वान्त) जिसका खंडन न हो सके। जिसे अन्यथा सिद्ध न किया जा सके।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंडल					 :
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					वि० [सं० अखण्ड] १. अखंड। २. पूरा। समूच। पुं० [सं० अखंडल] इन्द्र। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखड़ा					 :
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					पुं० [सं० आखात] ताल के बीच का वह गड्ढा जिसमें मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। चँदवा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखंडित					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० त०] १. जिसके खंड या टुकड़े न हों। जो खंडित न हुआ हो। २. पूरा। समूचा। ३. जिसका क्रम बीच में न टूटा हो। लगातार चलता रहनेवाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखड़ैत					 :
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					वि० [हि० अखाड़ा + ऐत (प्रत्य०)] बलवान। (डि०) पुं० दे० ‘अखाड़िया'।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखती					 :
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					वि० =अखाद्य। स्त्री०=अक्षय तृतीया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखतीज					 :
				 | 
				
					स्त्री०=अक्षय तृतीया।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अ० अखनी] उबाले हुए मांस का रसा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखबार					 :
				 | 
				
					पुं० [अ० खबर का बहु०] समाचार पत्र।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखबार-नवीस					 :
				 | 
				
					पुं० दे० ‘पत्रकार'।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखबार-नवीसी					 :
				 | 
				
					स्त्री० दे० ‘पत्रकारिता'।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखबारी					 :
				 | 
				
					वि० [अ० अखबार] समाचार-पत्र से संबंध रखने वाला। जैसे—अखबारी कागज।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखय					 :
				 | 
				
					वि० =अक्षय। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखर					 :
				 | 
				
					वि० पुं०=अक्षर। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरताली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० अक्षर+तल) हस्ताक्षर। दस्तखत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरना					 :
				 | 
				
					अ० [सं० खर=तीव्र या कटु] अप्रिय या बुरा लगना। खलना। २. कष्टदायक या दुःखदायी जान पड़ना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरा					 :
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					वि० [सं० अ+हिं० खरा=सच्चा] जो खरा या सच्चा न हो। झूठा या बनावटी। पुं०=अक्षर। पुं० बिना छाना हुआ जौ का आटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरावट					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० अक्षरावर्त्तन पा० अक्खरावट्टन] १. वर्ण-माला। २. लिखने का ढंग। लिखावट। ३. वह कविता जिसमें चरण या पद वर्ण-माला के अक्षरों के क्रम से आरंभ होते हों।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखरावटी					 :
				 | 
				
					स्त्री०=अखरावट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरोट					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अक्षोट] १. एक प्रसिद्ध वृक्ष जो भूटान से अफगानिस्तान तक होता है। २. उक्त वृक्ष को छोटा गोल फल जिसकी गिनती मेवों में से होती है। (वाँलनट)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखरौटी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० अक्षरार्त्तन] १. अखरावट। २. सितार आदि बाजों पर राग के बोल अलग-अलग और साफ निकालने की क्रिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखर्व					 :
				 | 
				
					वि० [न० त०] १. जो खर्च या छोटा न हो। बड़ा। २. लंबा।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखसता					 :
				 | 
				
					पुं०=अक्षत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखां					 :
				 | 
				
					पुं०=आखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					अखाँगना					 :
				 | 
				
					स० [हिं० खाँग ?] प्रहार करना मारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखाड़					 :
				 | 
				
					वि० [सं० अखंड] बहुत अधिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखाड़ा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अक्षवाट, प्रा० अक्खआडो] १. कुश्ती या कसरत करने का स्थान। व्यामशाला। मुहावरा—अखाड़े में आना या उतरना=प्रतिद्वंद्विता करने या लड़ने के लिए सामने आना। २. साधुओं की सांप्रदायिक मंडली। जमायत। ३. उक्त के रहने का विशिष्ठ स्थान। ४. तमाशा दिखाने या बजाने वालों की मंडली। जयामत। ५. नाचघर। नृत्यशाला। ६. रंगशाला। ७. आँगन। ८. विशिष्ठ प्रकार के लोगों के इकट्ठे होने का स्थान।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखाड़िया					 :
				 | 
				
					वि० [हि०अखाड़ा+इया (प्रत्य०)] १. अखाड़े में पहुँचकर कुश्ती लड़ने वाला। २. प्रतिद्वंद्विता में बड़ें-बड़ों का सामना करने और बहुतों को परास्त करने वाला। दंगली। पुं० पहलवान। मल्ल।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखात					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० खन् (खोदना) +क्त, न्० त०] १. समुद्र का वह भाग जो स्थल से तीन ओर घिरा हो। खाड़ी। २. प्राकृतिक जलाशय।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखाद					 :
				 | 
				
					वि० =अखाद्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखाद्य					 :
				 | 
				
					वि० [सं० खद् (खाना) +ण्यत्, न० त०] १. (पदार्थ) जो खाये जाने के योग्य न हो या जिसे खाना उचित न होय २. (पदार्थ) जो खाया न जा सके।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखारना					 :
				 | 
				
					स० दे० ‘पखारना’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखारा					 :
				 | 
				
					पुं०=अखाड़ा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखित					 :
				 | 
				
					वि० , पुं०=अक्षत।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखियात					 :
				 | 
				
					वि० , पुं०=आख्यात।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखिल					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√खिल् (एक-एक कण लेना) +क, न० त०] १. पूरा। समूचा। सारा। २. सर्वागपूर्ण। अखंड। ३. खेती-बारी के योग्य भूमि। पुं० जगत्। संसार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखिलात्मा (त्मन्)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अखिल-आत्मा, ष० त०] सारे विश्व और उसके सब अंगों में व्याप्त रहने वाली आत्मा। विश्वात्मा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखिलेश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अखिल-ईश, ष० त०] सब का स्वामी। परमेश्वर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखीन					 :
				 | 
				
					वि० =अक्षीण।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखीर					 :
				 | 
				
					पुं० [अ० आखिर] १. अंत। समाप्ति। २. छोर। सिरा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखीरी					 :
				 | 
				
					वि० [अ०] अन्त का। आखिरी अन्तिम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखुटना					 :
				 | 
				
					अ० [?] १. समाप्त न होना। खतम न होना। २. लड़-खड़ाना। उदाहरण—अखुटत परत, सुबिहवल भयो-नन्ददास।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखुटित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० दे० अखूट। क्रि० वि० [हिं० अखुटना] निरंतर। लगातार। उदाहरण—अखुटित रटत सभीत, ससंकित, सुकृत सब्द नहिं पावै-सूर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखूट					 :
				 | 
				
					वि० [हिं० अ=नहीं+खुटना=समाप्त होना] १. जो जल्दी खतम या समाप्त न हो। २. अखंड। अक्षुण्ण। उदाहरण—साधन भोग सजोग रज मंडन आउ अखूट-चन्द्र्वरदाई। ३. बहुत अधिक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखेट					 :
				 | 
				
					पुं०=आखेट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखेटक					 :
				 | 
				
					पुं०=आखेटक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखेलत					 :
				 | 
				
					वि० [हिं० अ+खेलना] १. जो खेलता हुआ न हो। जो चंचल न हो। शांत। स्थिर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखै					 :
				 | 
				
					वि० =अक्षय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखैतीज					 :
				 | 
				
					स्त्री०=अक्षय तृतीया।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखैबट					 :
				 | 
				
					पुं०=अक्षयवट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखैबर					 :
				 | 
				
					पुं०=अक्षयवट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखैवर					 :
				 | 
				
					पुं०=अक्षयवट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखोटा					 :
				 | 
				
					पुं (देश०) कान में पहनने का गहना। (राज) उदाहरण—कान अखोट जान जुगत को, झूटणों—मीरा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखोर					 :
				 | 
				
					वि० [हिं० अ+खोर=खोट] १. जिसमें कोई खोर या दोष न हो। अच्छा। भला। २. भद्र। सज्जन। ३. सुन्दर। वि० (फा०आखूर वा आखोर) पुं० १. कूड़ा-करकट २. निकम्मी और रद्दी चीज। ३.घास पात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखोला					 :
				 | 
				
					पुं० =अंकोल (वृक्ष)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखोह					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० क्षोभ=असमानता] ऊबड़-खाबड़ जमीन। असम भूमि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अखौटा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अक्ष+हिं० औटा (प्रत्य०)] १. चक्की के बीच की खूँटी। २. कुएँ पर का वह डंडा जिसमें गराड़ी लगी रहती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्खाह					 :
				 | 
				
					अव्य० [सं० अहह] प्रसन्नता और आश्चर्यसूचक शब्द।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्तावर					 :
				 | 
				
					पुं० [फा० आख्ता] वह घोड़ा जिसके अंडकोश में कौड़ी या गाँठ न हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्तियार					 :
				 | 
				
					पुं० [अ० इख्तियार]=अधिकार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्यात					 :
				 | 
				
					वि० [सं० न० त०] १. जो कहा न गया हो। २. जो ख्यात या प्रसिद्ध न हो। वि० पुं०=आख्यात।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्यान					 :
				 | 
				
					पुं० =आख्यान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अख्यायिका					 :
				 | 
				
					स्त्री०=आख्यायिका।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |