शब्द का अर्थ
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					अक्षय					 :
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					वि० [सं० न० ब०] १. जिसका क्षय या नाश न हो। अविनाशी। २. गरीब। निर्धन। पुं० परमात्मा का एक नाम या विश्लेषण।				 | 
			
			
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					अक्षय-तृतीया					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] वैशाख शुल्क-तृतीया। आखातीज। (पर्व)				 | 
			
			
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					अक्षय-पद					 :
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					पुं० (कर्म० स०) मोक्ष। वि० दे० ‘परमपद'।				 | 
			
			
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					अक्षय-लोक					 :
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					पुं० (कर्म० स०) स्वर्ग।				 | 
			
			
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					अक्षय-वट					 :
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					पुं० (कर्म० स०) प्रयाग और गया के प्रसिद्ध वटवृक्ष जो हजारों वर्ष पुराने कहे जाते है।				 | 
			
			
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					अक्षय-वृक्ष					 :
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					पुं०=अक्षयवट।				 | 
			
			
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					अक्षयकुमार					 :
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					पुं०=अक्षकुमार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अक्षया					 :
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					स्त्री० [सं० अक्षय+टाप्] गणित ज्योतिष में कुछ विशिष्ट ऐसी तिथियाँ जो कुछ विशिष्ट दिनों में पड़ती हों। जैसे—रविवार को होने वाली सप्तमी, सोमवार को होने वाली अमावस्या या मंगलवार को होने वाली चौथ।				 | 
			
			
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					अक्षयिणी					 :
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					स्त्री० [सं० क्षयिणी, क्षय+इनि-डीप्, अक्षयिणी, न० त०] पार्वती।				 | 
			
			
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					अक्षयी (यिन्)					 :
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					वि० [सं० क्षय+इनि, न० त०] [स्त्री० अक्षयिणी] जिसका क्षय या नाश न हो। अक्षय।				 | 
			
			
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					अक्षय्य					 :
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					वि० [सं०√क्षि (क्षय) +यत् नि०न० त०] जिसका किसी प्रकार क्षय न किया जा सके। प्रायः सदा एक सा बना रहनेवाला।				 | 
			
			
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